Shiv puran shatrudra samhita chapter 33 to 38 (शिव पुराण शतरुद्रसंहिता अध्याय 33 से 38 शिवजीके किरातावतारके प्रसंगमें श्रीकृष्णद्वारा द्वैतवनमें दुर्वासाके शापसे पाण्डवोंकी रक्षा, व्यासजीका अर्जुनको शक्रविद्या और पार्थिवपूजनकी विधि बताकर तपके लिये सम्मति देना, अर्जुनका इन्द्रकील पर्वतपर तप, इन्द्रका आगमन और अर्जुनको वरदान, अर्जुनका शिवजीके उद्देश्यसे पुनः तपमें प्रवृत्त होना)

(शतरुद्रसंहिता) Shiv puran shatrudra samhita chapter 33 to 38 (शिव पुराण शतरुद्रसंहिता अध्याय 33 से 38 शिवजीके किरातावतारके प्रसंगमें श्रीकृष्णद्वारा द्वैतवनमें दुर्वासाके शापसे पाण्डवोंकी रक्षा, व्यासजीका अर्जुनको शक्रविद्या और पार्थिवपूजनकी विधि बताकर तपके लिये सम्मति देना, अर्जुनका इन्द्रकील पर्वतपर तप, इन्द्रका आगमन और अर्जुनको वरदान, अर्जुनका शिवजीके उद्देश्यसे पुनः तपमें प्रवृत्त होना) :-तदनन्तर पार्वतीके विवाहप्रसंगमें … Read more

error: Content is protected !!