Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 2(शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 2 ऋषियों का ब्रह्माजी के पास जा उनकी स्तुति करके उनसे परम पुरुष के विषय में प्रश्न करना और ब्रह्माजी का आनन्दमग्न हो ‘रुद्र’ कहकर उत्तर देना)

(वायवीयसंहिता(पूर्वखण्ड)) Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 2(शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 2 ऋषियों का ब्रह्माजी के पास जा उनकी स्तुति करके उनसे परम पुरुष के विषय में प्रश्न करना और ब्रह्माजी का आनन्दमग्न हो ‘रुद्र’ कहकर उत्तर देना) :-सूतजी कहते हैं-महर्षियो ! पहले अनेक कल्पों के बारंबार बीतने पर सुदीर्घकाल के पश्चात् जब यह … Read more

Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 1(वायु संहिता अध्याय 1 प्रयागमें ऋषियोंद्वारा सम्मानित सूतजीके द्वारा कथाका आरम्भ, विद्यास्थानों एवं पुराणोंका परिचय तथा वायुसंहिताका प्रारम्भ)

(वायवीयसंहिता(पूर्वखण्ड)) Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 1(वायु संहिता अध्याय 1 प्रयागमें ऋषियोंद्वारा सम्मानित सूतजीके द्वारा कथाका आरम्भ, विद्यास्थानों एवं पुराणोंका परिचय तथा वायुसंहिताका प्रारम्भ)   व्यास उवाच “नमः शिवाय सोमाय सगणाय ससूनवे। प्रधानपुरुषेशाय सर्गग्वित्यन्तहेतवे ॥ शक्तिरप्रतिमा यस्य हौश्वर्य चापि सर्वगम् । स्वामित्वं च विभुत्वं च स्वभाव सम्प्रचक्षते ॥ तमजं विश्वकर्माणं शाश्वतं शिवमव्ययम् । महादेवं … Read more

Shiv puran kailash samhita chapter 23 (शिवपुराण  कैलाससंहिता  संहिता अध्याय 23 यतिके द्वादशाह-कृत्यका वर्णन, स्कन्द और वामदेवका कैलास पर्वतपर जाना तथा सूतजीके द्वारा इस संहिताका उपसंहार)

(कैलाससंहिता) Shiv puran kailash samhita chapter 23 (शिवपुराण  कैलाससंहिता  संहिता अध्याय 23 यतिके द्वादशाह-कृत्यका वर्णन, स्कन्द और वामदेवका कैलास पर्वतपर जाना तथा सूतजीके द्वारा इस संहिताका उपसंहार) :-स्कन्दजी कहते हैं- वामदेव ! बारहवें दिन प्रातःकाल उठकर श्राद्धकर्ता पुरुष स्नान और नित्यकर्म करके शिवभक्तों, यतियों अथवा शिवके प्रति प्रेम रखनेवाले ब्राह्मणोंको निमन्त्रित करे। मध्याह्नकालमें स्नान करके … Read more

Shiv puran kailash samhita chapter 22 (शिवपुराण  कैलाससंहिता  संहिता अध्याय 22 यतिके लिये एकादशाह-कृत्यका वर्णन)

(कैलाससंहिता) Shiv puran kailash samhita chapter 22 (शिवपुराण  कैलाससंहिता  संहिता अध्याय 22 यतिके लिये एकादशाह-कृत्यका वर्णन)   स्कन्दजी कहते हैं-वामदेव ! यतिका एकादशाह प्राप्त होनेपर जो विधि बतायी गयी है, उसका मैं तुम्हारे स्नेहवश वर्णन करता हूँ। मिट्टीकी वेदी बनाकर उसका सम्मार्जन और उपलेपन करे। तत्पश्चात् पुण्याहवाचनपूर्वक प्रोक्षण करके पश्चिमसे लेकर पूर्वकी ओर पाँच मण्डल … Read more

Shiv puran kailash samhita chapter 20 or 21 (शिवपुराण  कैलाससंहिता  संहिता अध्याय 20 और 21 यतिके अन्त्येष्टिकर्मकी दशाहपर्यन्त विधिका वर्णन)

(कैलाससंहिता) Shiv puran kailash samhita chapter 20 or 21 (शिवपुराण  कैलाससंहिता  संहिता अध्याय 20 और 21 यतिके अन्त्येष्टिकर्मकी दशाहपर्यन्त विधिका वर्णन) :-वामदेवजी बोले-जो मुक्त यति हैं, उनके शरीरका दाहकर्म नहीं होता। मरनेपर उनके शरीरको गाड़ दिया जाता है, यह मैंने सुना है। मेरे गुरु कार्तिकेय ! आप प्रसन्नतापूर्वक यतियोंके उस अन्त्येष्टिकर्मका मुझसे वर्णन कीजिये; क्योंकि … Read more

Shiv puran kailash samhita chapter 17 to 19 (शिवपुराण  कैलाससंहिता  संहिता अध्याय 17 से 19 महावाक्योंके अर्थपर विचार तथा संन्यासियोंके योगपट्टका प्रकार)

(कैलाससंहिता) Shiv puran kailash samhita chapter 17 to 19 (शिवपुराण  कैलाससंहिता  संहिता अध्याय 17 से 19 महावाक्योंके अर्थपर विचार तथा संन्यासियोंके योगपट्टका प्रकार)   :-स्कन्दजी कहते हैं-मुने अब महावाक्य प्रस्तुत किये जाते हैं- १-प्रज्ञानं ब्रह्म (ऐतरेय० ३।३ तथा आत्मप्र० १), २-अहं ब्रह्मास्मि (बृहदारण्यक०१।४।१०), ३-तत्त्वमसि (छा० उ० ख० ८ से १६ तक),४-अयमात्मा ब्रह्म (माण्डुक्य० २: बृह० … Read more

Shiv puran kailash samhita chapter 14 (शिव पुराण  कैलाससंहिता  संहिता अध्याय 14 प्रणवके अर्थोंका विवेचन)

(कैलाससंहिता) Shiv puran kailash samhita chapter 14 (शिव पुराण  कैलाससंहिता  संहिता अध्याय 14 प्रणवके अर्थोंका विवेचन) :-वामदेवजी बोले-भगवान् षडानन ! सम्पूर्ण विज्ञानमय अमृतके सागर ! समस्त देवताओंके स्वामी महेश्वरके पुत्र ! प्रणतार्तिके भंजन कार्तिकेय ! आपने कहा है कि प्रणवके छः प्रकारके अर्थोंका परिज्ञान अभीष्ट वस्तुको देनेवाला है। यह छः प्रकारके अर्थोंका ज्ञान क्या है? … Read more

Shiv puran kailash samhita chapter 13 (शिव पुराण  कैलाससंहिता  संहिता अध्याय 13 संन्यासग्रहणकी शास्त्रीय विधि – गणपति-पूजन, होम, तत्त्व-शुद्धि, सावित्री-प्रवेश, सर्वसंन्यास और दण्ड-धारण आदिका प्रकार)

(कैलाससंहिता) Shiv puran kailash samhita chapter 13 (शिव पुराण  कैलाससंहिता  संहिता अध्याय 13 संन्यासग्रहणकी शास्त्रीय विधि – गणपति-पूजन, होम, तत्त्व-शुद्धि, सावित्री-प्रवेश, सर्वसंन्यास और दण्ड-धारण आदिका प्रकार) :-स्कन्द कहते हैं-वामदेव ! तदनन्तर मध्याह्नकालमें स्नान करके साधक अपने मनको वशमें रखते हुए गन्ध, पुष्प और अक्षत आदि पूजा-द्रव्योंको ले आये और नैर्ऋत्यकोणमें देवपूजित विघ्नराज गणेशकी पूजा करे। … Read more

Shiv puran kailash samhita chapter 12 (शिव पुराण  कैलाससंहिता  संहिता अध्याय 12 प्रणवके वाच्यार्थरूप सदाशिवके स्वरूपका ध्यान, वर्णाश्रम-धर्मके पालनका महत्त्व, ज्ञानमयी पूजा, संन्यासके पूर्वागभूत नान्दीश्राद्ध एवं ब्रह्मयज्ञ आदिका वर्णन)

(कैलाससंहिता) Shiv puran kailash samhita chapter 12 (शिव पुराण  कैलाससंहिता  संहिता अध्याय 12 प्रणवके वाच्यार्थरूप सदाशिवके स्वरूपका ध्यान, वर्णाश्रम-धर्मके पालनका महत्त्व, ज्ञानमयी पूजा, संन्यासके पूर्वागभूत नान्दीश्राद्ध एवं ब्रह्मयज्ञ आदिका वर्णन) :-श्रीस्कन्दने कहा-महाभाग मुनीश्वर वामदेव ! तुम्हें साधुवाद है; क्योंकि तुम भगवान् शिवके अत्यन्त भक्त हो और शिवतत्त्वके ज्ञाताओंमें सबसे श्रेष्ठ हो। तीनों लोकोंमें कहीं कोई … Read more

Shiv puran kailash samhita chapter 1 to 11 (शिव पुराण  कैलाससंहिता  संहिता अध्याय 1 से 11 ऋषियोंका सूतजीसे तथा वामदेवजीका स्कन्दसे प्रश्न – प्रणवार्थ-निरूपणके लिये अनुरोध)

(कैलाससंहिता) Shiv puran kailash samhita chapter 1 to 11 (शिव पुराण  कैलाससंहिता  संहिता अध्याय 1 से 11 ऋषियोंका सूतजीसे तथा वामदेवजीका स्कन्दसे प्रश्न – प्रणवार्थ-निरूपणके लिये अनुरोध) “:-नमः शिवाय साम्बाय सगणाय ससूनवे । प्रधानपुरुषेशाय सर्गस्थित्यन्तहेतवे ॥” जो प्रधान (प्रकृति) और पुरुषके नियन्ता तथा सृष्टि, पालन और संहारके कारण हैं, उन पार्वतीसहित शिवको उनके पार्षदों और … Read more

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