Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 4(शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 4 शिव और शिवाकी विभूतियोंका वर्णन)

वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड) Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 4(शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 4 शिव और शिवाकी विभूतियोंका वर्णन) :-श्रीकृष्णने पूछा- भगवन् ! अमिततेजस्वी भगवान् शिवकी मूर्तियोंने इस सम्पूर्ण जगत्‌को जिस प्रकार व्याप्त कर रखा है, वह सब मैंने सुना। अब मुझे यह जाननेकी इच्छा है कि परमेश्वरी शिवा और परमेश्वर शिवका यथार्थ स्वरूप … Read more

Shiv puran vayu samhita uttarkhand chapter 3(शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 3 भगवान् शिवकी ब्रह्मा आदि पंचमूर्तियों, ईशानादि ब्रह्ममूर्तियों तथा पृथ्वी एवं शर्व आदि अष्टमूर्तियोंका परिचय और उनकी सर्वव्यापकताका वर्णन)

वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड) Shiv puran vayu samhita uttarkhand chapter 3(शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 3 भगवान् शिवकी ब्रह्मा आदि पंचमूर्तियों, ईशानादि ब्रह्ममूर्तियों तथा पृथ्वी एवं शर्व आदि अष्टमूर्तियोंका परिचय और उनकी सर्वव्यापकताका वर्णन) :-उपमन्यु कहते हैं- श्रीकृष्ण ! महेश्वर परमात्मा शिवकी मूर्तियोंसे यह सम्पूर्ण चराचर जगत् किस प्रकार व्याप्त है, यह सुनो। ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र, महेशान … Read more

Shiv puran vayu samhita uttarkhand chapter 2(शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 2 उपमन्युद्वारा श्रीकृष्णको पाशुपत ज्ञानका उपदेश

वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड) Shiv puran vayu samhita uttarkhand chapter 2(शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 2 उपमन्युद्वारा श्रीकृष्णको पाशुपत ज्ञानका उपदेश) :-ऋषियोंने पूछा-पाशुपत ज्ञान क्या है? भगवान् शिव पशुपति कैसे हैं? और अनायास ही महान् कर्म करनेवाले भगवान्श्री कृष्णने उपमन्युसे किस प्रकार प्रश्न किया था ? वायुदेव ! आप साक्षात् शंकरके स्वरूप हैं, इसलिये ये सब बातें … Read more

Shiv puran vayu samhita uttarkhand chapter 1 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 1 ऋषियोंके पूछनेपर वायुदेवका श्रीकृष्ण और उपमन्युके मिलनका प्रसंग सुनाना, श्रीकृष्णको उपमन्युसे ज्ञानका और भगवान् शंकरसे पुत्रका लाभ)

वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड) Shiv puran vayu samhita uttarkhand chapter 1(शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 1 ऋषियोंके पूछनेपर वायुदेवका श्रीकृष्ण और उपमन्युके मिलनका प्रसंग सुनाना, श्रीकृष्णको उपमन्युसे ज्ञानका और भगवान् शंकरसे पुत्रका लाभ) नमः सूत उवाच समस्तसंसारचक्रभ्रमणहेतवे । गौरीकुचतटद्वन्द्वकुङ्कुमाङ्कितवक्षसे ॥ सूतजी कहते हैं जो समस्त संसार- चक्रके परिभ्रमणमें कारणरूप हैं तथा गौरीके युगल उरोजोंमें लगे हुए केसरसे … Read more

Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 34 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 34 बालक उपमन्युको दूधके लिये दुःखी देख माताका उसे शिवकी आराधनाके लिये प्रेरित करना तथा उपमन्युकी तीव्र तपस्या)

(वायवीयसंहिता(पूर्वखण्ड)) Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 34 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 34 बालक उपमन्युको दूधके लिये दुःखी देख माताका उसे शिवकी आराधनाके लिये प्रेरित करना तथा उपमन्युकी तीव्र तपस्या) : -ऋषियोंने पूछा-प्रभो ! धौम्यके बड़े भाई उपमन्यु जब छोटे बालक थे, तब उन्होंने दूधके लिये तपस्या की थी और भगवान् शिवने प्रसन्न होकर … Read more

Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 33 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 33 पाशुपत-व्रतकी विधि और महिमा तथा भस्मधारणकी महत्ता)

(वायवीयसंहिता(पूर्वखण्ड)) Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 33 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 33 पाशुपत-व्रतकी विधि और महिमा तथा भस्मधारणकी महत्ता) :-ऋषि बोले- भगवन् ! हम परम उत्तम पाशुपत व्रतको सुनना चाहते हैं, जिसका अनुष्ठान करके ब्रह्मा आदि सब देवता पाशुपत माने गये हैं। वायुदेवने कहा- मैं तुम सब लोगोंको गोपनीय पाशुपत-व्रतका रहस्य बताता हूँ, … Read more

Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 32 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 32 परम धर्मका प्रतिपादन, शैवागमके अनुसार पाशुपत ज्ञान तथा उसके साधनोंका वर्णन)

(वायवीयसंहिता(पूर्वखण्ड)) Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 32 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 32 परम धर्मका प्रतिपादन, शैवागमके अनुसार पाशुपत ज्ञान तथा उसके साधनोंका वर्णन) :-ऋषियोंने पूछा- वायुदेव ! वह कौन- सा श्रेष्ठ अनुष्ठान है, जो मोक्षस्वरूप ज्ञानको अपरोक्ष कर देता है? उसको और उसके साधनोंको आज आप हमें बतानेकी कृपा करें। वायुने कहा- भगवान् … Read more

Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 30 or 31 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 30 और 31 ऋषियोंके प्रश्नका उत्तर देते हुए वायुदेवके द्वारा शिवके स्वतन्त्र एवं सर्वानुग्राहक स्वरूपका प्रतिपादन)

(वायवीयसंहिता(पूर्वखण्ड)) Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 30 or 31 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 30 और 31 ऋषियोंके प्रश्नका उत्तर देते हुए वायुदेवके द्वारा शिवके स्वतन्त्र एवं सर्वानुग्राहक स्वरूपका प्रतिपादन) : -तदनन्तर ऋषियोंने कई कारण दिखाकर पूछा-वायुदेव ! यदि शिव सदा शान्तभावसे रहकर ही सबपर अनुग्रह करते हैं तो सबकी अभिलाषाओंको एक साथ ही … Read more

Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 29 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 29 जगत् ‘वाणी और अर्थरूप’ है- इसका प्रतिपादन)

(वायवीयसंहिता(पूर्वखण्ड)) Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 29 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 29 जगत् ‘वाणी और अर्थरूप’ है- इसका प्रतिपादन) : -वायुदेवता कहते हैं-महर्षियो ! अब यह बता रहा हूँ कि जगत्‌की वागर्थात्मकता- की सिद्धि कैसे की गयी है। छः अध्वाओं (मार्गों) का सम्यक् ज्ञान में संक्षेपसे ही करा रहा हूँ, विस्तारसे नहीं। कोई … Read more

Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 27 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 27 मन्दराचलपर गौरीदेवीका स्वागत, महादेवजीके द्वारा उनके और अपने उत्कृष्ट स्वरूप एवं अविच्छेद्य सम्बन्धपर प्रकाश तथा देवीके साथ आये हुए व्याघ्रको उनका गणाध्यक्ष बनाकर अन्तःपुरके द्वारपर सोमनन्दी नामसे प्रतिष्ठित करना)

(वायवीयसंहिता(पूर्वखण्ड)) Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 27 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 27 मन्दराचलपर गौरीदेवीका स्वागत, महादेवजीके द्वारा उनके और अपने उत्कृष्ट स्वरूप एवं अविच्छेद्य सम्बन्धपर प्रकाश तथा देवीके साथ आये हुए व्याघ्रको उनका गणाध्यक्ष बनाकर अन्तःपुरके द्वारपर सोमनन्दी नामसे प्रतिष्ठित करना) ऋषियोंने पूछा- अपने शरीरको दिव्य गौरवर्णसे युक्त बनाकर गिरिराजकुमारी देवी पार्वतीने जब … Read more

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