Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 14 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 14 गुरुसे मन्त्र लेने तथा उसके जप करनेकी विधि, पाँच प्रकारके जप तथा उनकी महिमा, मन्त्रगणनाके लिये विभिन्न प्रकारकी मालाओंका महत्त्व तथा अंगुलियोंके उपयोगका वर्णन, जपके लिये उपयोगी स्थान तथा दिशा, जपमें वर्जनीय बातें, सदाचारका महत्त्व, आस्तिकताकी प्रशंसा तथा पंचाक्षर-मन्त्रकी विशेषताका वर्णन)

[वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड)] Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 14 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 14 गुरुसे मन्त्र लेने तथा उसके जप करनेकी विधि, पाँच प्रकारके जप तथा उनकी महिमा, मन्त्रगणनाके लिये विभिन्न प्रकारकी मालाओंका महत्त्व तथा अंगुलियोंके उपयोगका वर्णन, जपके लिये उपयोगी स्थान तथा दिशा, जपमें वर्जनीय बातें, सदाचारका महत्त्व, आस्तिकताकी प्रशंसा तथा पंचाक्षर-मन्त्रकी … Read more

Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 13 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 13 पंचाक्षर-मन्त्रकी महिमा, उसमें समस्त वाङ्मयकी स्थिति, उसकी उपदेशपरम्परा, देवीरूपा पंचाक्षरीविद्याका ध्यान, उसके समस्त और व्यस्त अक्षरोंके ऋषि, छन्द, देवता, बीज, शक्ति तथा अंगन्यास आदिका विचार)

[वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड)] Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 13 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 13 पंचाक्षर-मन्त्रकी महिमा, उसमें समस्त वाङ्मयकी स्थिति, उसकी उपदेशपरम्परा, देवीरूपा पंचाक्षरीविद्याका ध्यान, उसके समस्त और व्यस्त अक्षरोंके ऋषि, छन्द, देवता, बीज, शक्ति तथा अंगन्यास आदिका विचार) :-देवी बोलीं- महेश्वर ! दुर्जय, दुर्लङ्घय एवं कलुषित कलिकालमें जब सारा संसार धर्मसे विमुख … Read more

Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 12 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 12 पंचाक्षर-मन्त्रके माहात्म्यका वर्णन)

[वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड)] Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 12 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 12 पंचाक्षर-मन्त्रके माहात्म्यका वर्णन) :-श्रीकृष्ण बोले- सर्वज्ञ महर्षिप्रवर ! आप सम्पूर्ण ज्ञानके महासागर हैं। अब मैं आपके मुखसे पंचाक्षर-मन्त्रके माहात्म्यका तत्त्वतः वर्णन सुनना चाहता हूँ। उपमन्युने कहा- देवकीनन्दन ! पंचाक्षर- मन्त्रके माहात्म्यका विस्तारपूर्वक वर्णन तो सौ करोड़ वर्षोंमें भी नहीं … Read more

Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 11 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 11वर्णाश्रम-धर्म तथा नारी-धर्मका वर्णन; शिवके भजन, चिन्तन एवं ज्ञानकी महत्ताका प्रतिपादन)

[वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड)] Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 11 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 11वर्णाश्रम-धर्म तथा नारी-धर्मका वर्णन; शिवके भजन, चिन्तन एवं ज्ञानकी महत्ताका प्रतिपादन) :-महादेवजी कहते हैं- देवेश्वरि ! अब मैं अधिकारी, विद्वान् एवं श्रेष्ठ ब्राह्मण-भक्तोंके लिये संक्षेपसे वर्ण-धर्मका वर्णन करता हूँ। तीनों काल स्नान, अग्निहोत्र, विधिवत् शिवलिंग-पूजन, दान, ईश्वर-प्रेम, सदा और सर्वत्र … Read more

Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 10 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 10 भगवान् शिवके प्रति श्रद्धा-भक्तिकी आवश्यकताका प्रतिपादन, शिवधर्मके चार पादोंका वर्णन एवं ज्ञानयोगके साधनों तथा शिवधर्मके अधिकारियोंका निरूपण, शिवपूजनके अनेक प्रकार एवं अनन्यचित्तसे भजनकी महिमा)

[वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड)] Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 10 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 10 भगवान् शिवके प्रति श्रद्धा-भक्तिकी आवश्यकताका प्रतिपादन, शिवधर्मके चार पादोंका वर्णन एवं ज्ञानयोगके साधनों तथा शिवधर्मके अधिकारियोंका निरूपण, शिवपूजनके अनेक प्रकार एवं अनन्यचित्तसे भजनकी महिमा) :-तदनन्तर श्रीकृष्णके प्रश्न करनेपर उपमन्यु मन्दराचलपर घटित हुए शिव- पार्वती – संवादको प्रस्तुत करते हुए … Read more

Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 9 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 9 शिवके अवतार, योगाचार्यों तथा उनके शिष्योंकी नामावली)

वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड) Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 9 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 9 शिवके अवतार, योगाचार्यों तथा उनके शिष्योंकी नामावली)   :-श्रीकृष्ण बोले- भगवन् ! समस्त युगावर्तोंमें योगाचार्यके व्याजसे भगवान् शंकरके जो अवतार होते हैं और उन अवतारोंके जो शिष्य होते हैं, उन सबका वर्णन कीजिये। उपमन्युने कहा-श्वेत, सुतार, मदन, सुहोत्र, कंकलौगाक्षि, … Read more

Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 8 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 8 शिव-ज्ञान, शिवकी उपासनासे देवताओंको उनका दर्शन, सूर्यदेवमें शिवकी पूजा करके अर्घ्यदानकी विधि तथा व्यासावतारोंका वर्णन)

[वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड)] Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 8 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 8 शिव-ज्ञान, शिवकी उपासनासे देवताओंको उनका दर्शन, सूर्यदेवमें शिवकी पूजा करके अर्घ्यदानकी विधि तथा व्यासावतारोंका वर्णन)   :-श्रीकृष्ण बोले- भगवन् ! अब मैं उस शिव-ज्ञानको सुनना चाहता हूँ, जो वेदोंका सारतत्त्व है तथा जिसे भगवान् शिवने अपने शरणागत भक्तोंकी मुक्तिके … Read more

Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 7 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 7 परमेश्वरकी शक्तिका ऋषियोंद्वारा साक्षात्कार, शिवके प्रसादसे प्राणियोंकी मुक्ति, शिवकी सेवा-भक्ति तथा पाँच प्रकारके शिवधर्मका वर्णन)

वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड) Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 7 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 7 परमेश्वरकी शक्तिका ऋषियोंद्वारा साक्षात्कार, शिवके प्रसादसे प्राणियोंकी मुक्ति, शिवकी सेवा-भक्ति तथा पाँच प्रकारके शिवधर्मका वर्णन)   :-उपमन्यु कहते हैं-परमेश्वर शिवकी स्वाभाविक शक्ति विद्या है, जो सबसे विलक्षण है। वह एक होकर भी अनेक रूपसे भासित होती है। जैसे सूर्यकी … Read more

Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 6 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 6 शिवके शुद्ध, बुद्ध, मुक्त, सर्वमय, सर्वव्यापक एवं सर्वातीत स्वरूपका तथा उनकी प्रणवरूपताका प्रतिपादन)

वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड) Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 6 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 6 शिवके शुद्ध, बुद्ध, मुक्त, सर्वमय, सर्वव्यापक एवं सर्वातीत स्वरूपका तथा उनकी प्रणवरूपताका प्रतिपादन) :-उपमन्यु कहते हैं-यदुनन्दन ! शिवको न तो आणव मलका ही बन्धन प्राप्त है, न कर्मका और न मायाका ही। प्राकृत, बौद्ध, अहंकार, मन, चित्त, इन्द्रिय, तन्मात्रा … Read more

Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 5(शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 5 परमेश्वर शिवके यथार्थ स्वरूपका विवेचन तथा उनकी शरणमें जानेसे जीवके कल्याणका कथन)

वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड) Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 5(शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 5 परमेश्वर शिवके यथार्थ स्वरूपका विवेचन तथा उनकी शरणमें जानेसे जीवके कल्याणका कथन) :-उपमन्यु कहते हैं- यदुनन्दन ! यह चराचर जगत् देवाधिदेव महादेवजीका स्वरूप है। परंतु पशु (जीव) भारी पाशसे बँधे होनेके कारण जगत्को इस रूपमें नहीं जानते। महर्षिगण उन परमेश्वर … Read more

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