Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 15(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 15 देश, काल, पात्र और दान आदिका विचार)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 15(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 15 देश, काल, पात्र और दान आदिका विचार) (अध्याय 15)   :-ऋषियोंने कहा- समस्त पदार्थोंके ज्ञाताओंमें श्रेष्ठ सूतजी ! अब आप क्रमशः देश, काल आदिका वर्णन करें।   सूतजी बोले-महर्षियो ! देवयज्ञ आदि कर्मोंमें अपना शुद्ध गृह समान फल देनेवाला होता है अर्थात् अपने घरमें किये हुए … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 14(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 14अग्नियज्ञ, देवयज्ञ और ब्रह्मयज्ञ आदिका वर्णन, भगवान् शिवके द्वारा सातों वारोंका निर्माण तथा उनमें देवाराधनसे विभिन्न प्रकारके फलोंकी प्राप्तिका कथन) (अध्याय 14)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 14(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 14अग्नियज्ञ, देवयज्ञ और ब्रह्मयज्ञ आदिका वर्णन, भगवान् शिवके द्वारा सातों वारोंका निर्माण तथा उनमें देवाराधनसे विभिन्न प्रकारके फलोंकी प्राप्तिका कथन) (अध्याय 14)   :-ऋषियोंने कहा- प्रभो ! अग्नियज्ञ, देव- यज्ञ, ब्रह्मयज्ञ, गुरुपूजा तथा ब्रह्मतृप्तिका हमारे समक्ष क्रमशः वर्णन कीजिये। सूतजी बोले – महर्षियो ! गृहस्थ पुरुष अग्निमें … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 13(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 13 सदाचार, शौचाचार, स्नान, भस्मधारण, संध्यावन्दन, प्रणव-जप, गायत्री-जप, दान, न्यायतः धनोपार्जन तथा अग्निहोत्र आदिकी विधि एवं महिमाका वर्णन)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 13(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 13 सदाचार, शौचाचार, स्नान, भस्मधारण, संध्यावन्दन, प्रणव-जप, गायत्री-जप, दान, न्यायतः धनोपार्जन तथा अग्निहोत्र आदिकी विधि एवं महिमाका वर्णन) (अध्याय 13) :’ऋषियोंने कहा-सूतजी ! अब आप शीघ्र ही हमें वह सदाचार सुनाइये, जिससे विद्वान् पुरुष पुण्यलोकोंपर विजय पाता है। स्वर्ग प्रदान करनेवाले धर्ममय आचार तथा नरकका कष्ट देनेवाले … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 12(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 12 मोक्षदायक पुण्यक्षेत्रोंका वर्णन, कालविशेषमें विभिन्न नदियोंके जलमें स्नानके उत्तम फलका निर्देश तथा तीर्थोंमें पापसे बचे रहनेकी चेतावनी)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 12(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 12 मोक्षदायक पुण्यक्षेत्रोंका वर्णन, कालविशेषमें विभिन्न नदियोंके जलमें स्नानके उत्तम फलका निर्देश तथा तीर्थोंमें पापसे बचे रहनेकी चेतावनी) (अध्याय 12) :-सूतजी बोले-विद्वान् एवं बुद्धिमान् महर्षियो ! मोक्षदायक शिवक्षेत्रोंका वर्णन सुनो। तत्पश्चात् मैं लोकरक्षाके लिये शिवसम्बन्धी आगमोंका वर्णन करूँगा। पर्वत, वन और काननोंसहित इस पृथ्वीका विस्तार पचास करोड़ … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 11(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 11 शिवलिंगकी स्थापना, उसके लक्षण और पूजनकी विधिका वर्णन तथा शिवपदकी प्राप्ति करानेवाले सत्कर्मोंका विवेचन)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 11(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 11 शिवलिंगकी स्थापना, उसके लक्षण और पूजनकी विधिका वर्णन तथा शिवपदकी प्राप्ति करानेवाले सत्कर्मोंका विवेचन) (अध्याय 11)   :-ऋषियोंने पूछा- सूतजी ! शिवलिंगकी स्थापना कैसे करनी चाहिये ? उसका लक्षण क्या है? तथा उसकी पूजा कैसे करनी चाहिये, किस देश-कालमें करनी चाहिये और किस द्रव्यके द्वारा उसका … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 10(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 10 पाँच कृत्योंका प्रतिपादन, प्रणव एवं पंचाक्षर-मन्त्रकी महत्ता, ब्रह्मा- विष्णुद्वारा भगवान् शिवकी स्तुति तथा उनका अन्तर्धान)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 10(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 10 पाँच कृत्योंका प्रतिपादन, प्रणव एवं पंचाक्षर-मन्त्रकी महत्ता, ब्रह्मा- विष्णुद्वारा भगवान् शिवकी स्तुति तथा उनका अन्तर्धान) (अध्याय 10)    -ब्रह्मा और विष्णुने पूछा-प्रभो ! सृष्टि आदि पाँच कृत्योंके लक्षण क्या हैं, यह हम दोनोंको बताइये। भगवान् शिव बोले- मेरे कर्तव्योंको समझना अत्यन्त गहन है, तथापि मैं कृपापूर्वक … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 9(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 9महेश्वरका ब्रह्मा और विष्णुको अपने निष्कल और सकल स्वरूपका परिचय देते हुए लिंगपूजनका महत्त्व बताना)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 9(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 9महेश्वरका ब्रह्मा और विष्णुको अपने निष्कल और सकल स्वरूपका परिचय देते हुए लिंगपूजनका महत्त्व बताना) (अध्याय 9)   :-नन्दिकेश्वर कहते हैं- तदनन्तर वे दोनों – ब्रह्मा और विष्णु भगवान् शंकरको प्रणाम करके दोनों हाथ जोड़ उनके दायें- बायें भागमें चुपचाप खड़े हो गये। फिर, उन्होंने वहाँ साक्षात् … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 5 to 8(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 5 से 8 भगवान् शिवके लिंग एवं साकार विग्रहकी पूजाके रहस्य तथा महत्त्वका वर्णन)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 5 to 8(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 5 से 8 भगवान् शिवके लिंग एवं साकार विग्रहकी पूजाके रहस्य तथा महत्त्वका वर्णन) (अध्याय 5 से 8)   :-सूतजी कहते हैं- शौनक ! जो श्रवण, शंकरके लिंग एवं मूर्तिकी स्थापना करके कीर्तन और मनन- इन तीनों साधनोंके नित्य उसकी पूजा करे तो संसार-सागरसे अनुष्ठानमें … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 3 or 4(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 3 और 4 साध्य-साधन आदिका विचार तथा श्रवण, कीर्तन और मनन- इन तीन साधनोंकी श्रेष्ठताका प्रतिपादन)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 3 or 4(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 3 और 4 साध्य-साधन आदिका विचार तथा श्रवण, कीर्तन और मनन- इन तीन साधनोंकी श्रेष्ठताका प्रतिपादन)   (अध्याय 3 और 4)   :-व्यासजी कहते हैं – सूतजीका यह वचन सुनकर वे सब महर्षि बोले- ‘अब आप हमें वेदान्तसार-सर्वस्वरूप अद्भुत शिवपुराण- की कथा सुनाइये।’ सूतजीने कहा- … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 2(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 2 शिवपुराणका परिचय)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 2(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 2 शिवपुराणका परिचय) (अध्याय 2)    -सूतजी कहते हैं-साधु महात्माओ ! आपने बहुत अच्छी बात पूछी है। आपका यह प्रश्न तीनों लोकोंका हित करनेवाला है। मैं गुरुदेव व्यासका स्मरण करके आपलोगोंके स्नेहवश इस विषयका वर्णन करूँगा।   आप आदरपूर्वक सुनें। सबसे उत्तम जो शिवपुराण है, वह वेदान्तका … Read more

error: Content is protected !!