Shiv puran rudra samhita srishti khand chapter 4 (शिव पुराण रुद्रसंहिता सृष्टि खंड अध्याय: 4 नारदजीका भगवान् विष्णुको क्रोधपूर्वक फटकारना और शाप देना; फिर मायाके दूर हो जानेपर पश्चात्तापपूर्वक भगवान्‌के चरणोंमें गिरना और शुद्धिका उपाय पूछना तथा भगवान् विष्णुका उन्हें समझा-बुझाकर शिवका माहात्म्य जाननेके लिये ब्रह्माजीके पास जानेका आदेश और शिवके भजनका उपदेश देना)

(रुद्रसंहिता, प्रथम (सृष्टि) खण्ड) Shiv puran rudra samhita srishti khand chapter 4 (शिव पुराण रुद्रसंहिता सृष्टि खंड अध्याय: 4 नारदजीका भगवान् विष्णुको क्रोधपूर्वक फटकारना और शाप देना; फिर मायाके दूर हो जानेपर पश्चात्तापपूर्वक भगवान्‌के चरणोंमें गिरना और शुद्धिका उपाय पूछना तथा भगवान् विष्णुका उन्हें समझा-बुझाकर शिवका माहात्म्य जाननेके लिये ब्रह्माजीके पास जानेका आदेश और शिवके … Read more

Shiv puran rudra samhita srishti khand chapter 3 (शिव पुराण रुद्रसंहिता सृष्टि खंड अध्याय: 3 मायानिर्मित नगरमें शीलनिधिकी कन्यापर मोहित हुए नारदजीका भगवान् विष्णुसे उनका रूप माँगना, भगवान्‌का अपने रूपके साथ उन्हें वानरका-सा मुँह देना, कन्याका भगवान्‌को वरण करना और कुपित हुए नारदका शिवगणोंको शाप देना)

(रुद्रसंहिता, प्रथम (सृष्टि) खण्ड) Shiv puran rudra samhita srishti khand chapter 3 (शिव पुराण रुद्रसंहिता सृष्टि खंड अध्याय: 3 मायानिर्मित नगरमें शीलनिधिकी कन्यापर मोहित हुए नारदजीका भगवान् विष्णुसे उनका रूप माँगना, भगवान्‌का अपने रूपके साथ उन्हें वानरका-सा मुँह देना, कन्याका भगवान्‌को वरण करना और कुपित हुए नारदका शिवगणोंको शाप देना) :-सूतजी कहते हैं- महर्षियो ! … Read more

Shiv puran rudra samhita srishti khand chapter 1 or 2 (शिव पुराण रुद्रसंहिता सृष्टि खंड प्रथम अध्याय: प्रश्नके उत्तरमें नारद-ब्रह्म-संवादकी अवतारणा करते हुए सूतजीका उन्हें नारदमोहका प्रसंग सुनाना; कामविजयके गर्वसे युक्त हुए नारदका शिव, ब्रह्मा तथा विष्णुके पास जाकर अपने तपका प्रभाव बताना)

(रुद्रसंहिता, प्रथम (सृष्टि) खण्ड) Shiv puran rudra samhita srishti khand chapter 1 or 2 (शिव पुराण रुद्रसंहिता सृष्टि खंड प्रथम अध्याय: प्रश्नके उत्तरमें नारद-ब्रह्म-संवादकी अवतारणा करते हुए सूतजीका उन्हें नारदमोहका प्रसंग सुनाना; कामविजयके गर्वसे युक्त हुए नारदका शिव, ब्रह्मा तथा विष्णुके पास जाकर अपने तपका प्रभाव बताना)   विश्वोद्भवस्थितिलयादिषु हेतुमेकं गौरीपतिं विदिततत्त्वमनन्तकीर्तिम् । मायाश्रयं विगतमायमचिन्त्यरूपं … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 25 (श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 25 रुद्राक्षधारणकी महिमा तथा उसके विविध भेदोंका वर्णन)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 25 (श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 25 रुद्राक्षधारणकी महिमा तथा उसके विविध भेदोंका वर्णन) (अध्याय 25)   :-सूतजी कहते हैं-महाप्राज्ञ ! महामते ! शिवरूप शौनक ! अब मैं संक्षेपसे रुद्राक्षका माहात्म्य बता रहा हूँ, सुनो। रुद्राक्ष शिवको बहुत ही प्रिय है। इसे परम पावन समझना चाहिये। रुद्राक्षके दर्शनसे, स्पर्शसे तथा उसपर जप … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 23 or 24(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 23 और 24 शिवनाम-जप तथा भस्मधारणकी महिमा, त्रिपुण्ड्रके देवता और स्थान आदिका प्रतिपादन)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 23 or 24(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 23 और 24 शिवनाम-जप तथा भस्मधारणकी महिमा, त्रिपुण्ड्रके देवता और स्थान आदिका प्रतिपादन) (अध्याय 23 और 24)   :-ऋषि बोले – महाभाग व्यासशिष्य सूतजी ! आपको नमस्कार है। अब आप उस परम उत्तम भस्म-माहात्म्यका ही वर्णन कीजिये। भस्म-माहात्म्य, रुद्राक्ष-माहात्म्य तथा उत्तम नाम-माहात्म्य – इन तीनोंका … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 21 or 22(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 21 और 22 पार्थिवपूजाकी महिमा, शिवनैवेद्यभक्षणके विषयमें निर्णय तथा बिल्वका माहात्म्य)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 21 or 22(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 21 और 22 पार्थिवपूजाकी महिमा, शिवनैवेद्यभक्षणके विषयमें निर्णय तथा बिल्वका माहात्म्य) (अध्याय 21 और 22)   :-सूतजी बोले-महर्षियो ! पार्थिव- लिंगोंकी पूजा कोटि-कोटि यज्ञोंका फल देनेवाली है। कलियुगमें लोगोंके लिये शिवलिंग-पूजन जैसा श्रेष्ठ दिखायी देता है वैसा दूसरा कोई साधन नहीं है- यह समस्त शास्त्रोंका … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 19 or 20(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 19 और 20 पार्थिवलिंगके निर्माणकी रीति तथा वेद-मन्त्रोंद्वारा उसके पूजनकी विस्तृत एवं संक्षिप्त विधिका वर्णन)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 19 or 20(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 19 और 20 पार्थिवलिंगके निर्माणकी रीति तथा वेद-मन्त्रोंद्वारा उसके पूजनकी विस्तृत एवं संक्षिप्त विधिका वर्णन) (अध्याय 19 और 20)   :तदनन्तर पार्थिवलिंगकी श्रेष्ठता तथा महिमाका वर्णन करके सूतजी कहते हैं- महर्षियो ! अब मैं वैदिक कर्मके प्रति श्रद्धा-भक्ति रखनेवाले लोगोंके लिये वेदोक्त मार्गसे ही पार्थिव-पूजाकी पद्धतिका … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 18(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 18 बन्धन और मोक्षका विवेचन, शिवपूजाका उपदेश, लिंग आदिमें शिवपूजनका विधान, भस्मके स्वरूपका निरूपण और महत्त्व, शिव एवं गुरु शब्दकी व्युत्पत्ति तथा शिवके भस्मधारणका रहस्य)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 18(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 18 बन्धन और मोक्षका विवेचन, शिवपूजाका उपदेश, लिंग आदिमें शिवपूजनका विधान, भस्मके स्वरूपका निरूपण और महत्त्व, शिव एवं गुरु शब्दकी व्युत्पत्ति तथा शिवके भस्मधारणका रहस्य) (अध्याय 18)   :-ऋषि बोले-सर्वज्ञोंमें श्रेष्ठ सूतजी ! बन्धन और मोक्षका स्वरूप क्या है? यह हमें बताइये।   सूतजीने कहा-महर्षियो ! मैं … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 17(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 17 ष‌ड्लिंगस्वरूप प्रणवका माहात्म्य, उसके सूक्ष्म रूप (ॐकार) और स्थूल रूप (पंचाक्षरमन्त्र) का विवेचन, उसके जपकी विधि एवं महिमा, कार्यब्रह्मके लोकोंसे लेकर कारणरुद्रके लोकोंतकका विवेचन करके कालातीत, पंचावरणविशिष्ट शिवलोकके अनिर्वचनीय वैभवका निरूपण तथा शिव- भक्तोंके सत्कारकी महत्ता)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 17(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 17 ष‌ड्लिंगस्वरूप प्रणवका माहात्म्य, उसके सूक्ष्म रूप (ॐकार) और स्थूल रूप (पंचाक्षरमन्त्र) का विवेचन, उसके जपकी विधि एवं महिमा, कार्यब्रह्मके लोकोंसे लेकर कारणरुद्रके लोकोंतकका विवेचन करके कालातीत, पंचावरणविशिष्ट शिवलोकके अनिर्वचनीय वैभवका निरूपण तथा शिव- भक्तोंके सत्कारकी महत्ता) (अध्याय 17)   :-ऋषि बोले- प्रभो ! महामुने ! आप … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 16(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 16 पृथ्वी आदिसे निर्मित देवप्रतिमाओंके पूजनकी विधि, उनके लिये  नैवेद्यका विचार, पूजनके विभिन्न उपचारोंका फल, विशेष मास, वार, तिथि एवं नक्षत्रोंके योगमें पूजनका विशेष फल तथा लिंगके वैज्ञानिक स्वरूपका विवेचन)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 16(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 16 पृथ्वी आदिसे निर्मित देवप्रतिमाओंके पूजनकी विधि, उनके लिये  नैवेद्यका विचार, पूजनके विभिन्न उपचारोंका फल, विशेष मास, वार, तिथि एवं नक्षत्रोंके योगमें पूजनका विशेष फल तथा लिंगके वैज्ञानिक स्वरूपका विवेचन) (अध्याय 16)   :-ऋषियोंने कहा-साधुशिरोमणे ! अब आप पार्थिव प्रतिमाकी पूजाका विधान बताइये, जिससे समस्त अभीष्ट वस्तुओंकी … Read more

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