Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 25 (श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 25 रुद्राक्षधारणकी महिमा तथा उसके विविध भेदोंका वर्णन)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 25 (श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 25 रुद्राक्षधारणकी महिमा तथा उसके विविध भेदोंका वर्णन) (अध्याय 25)   :-सूतजी कहते हैं-महाप्राज्ञ ! महामते ! शिवरूप शौनक ! अब मैं संक्षेपसे रुद्राक्षका माहात्म्य बता रहा हूँ, सुनो। रुद्राक्ष शिवको बहुत ही प्रिय है। इसे परम पावन समझना चाहिये। रुद्राक्षके दर्शनसे, स्पर्शसे तथा उसपर जप … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 23 or 24(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 23 और 24 शिवनाम-जप तथा भस्मधारणकी महिमा, त्रिपुण्ड्रके देवता और स्थान आदिका प्रतिपादन)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 23 or 24(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 23 और 24 शिवनाम-जप तथा भस्मधारणकी महिमा, त्रिपुण्ड्रके देवता और स्थान आदिका प्रतिपादन) (अध्याय 23 और 24)   :-ऋषि बोले – महाभाग व्यासशिष्य सूतजी ! आपको नमस्कार है। अब आप उस परम उत्तम भस्म-माहात्म्यका ही वर्णन कीजिये। भस्म-माहात्म्य, रुद्राक्ष-माहात्म्य तथा उत्तम नाम-माहात्म्य – इन तीनोंका … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 21 or 22(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 21 और 22 पार्थिवपूजाकी महिमा, शिवनैवेद्यभक्षणके विषयमें निर्णय तथा बिल्वका माहात्म्य)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 21 or 22(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 21 और 22 पार्थिवपूजाकी महिमा, शिवनैवेद्यभक्षणके विषयमें निर्णय तथा बिल्वका माहात्म्य) (अध्याय 21 और 22)   :-सूतजी बोले-महर्षियो ! पार्थिव- लिंगोंकी पूजा कोटि-कोटि यज्ञोंका फल देनेवाली है। कलियुगमें लोगोंके लिये शिवलिंग-पूजन जैसा श्रेष्ठ दिखायी देता है वैसा दूसरा कोई साधन नहीं है- यह समस्त शास्त्रोंका … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 19 or 20(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 19 और 20 पार्थिवलिंगके निर्माणकी रीति तथा वेद-मन्त्रोंद्वारा उसके पूजनकी विस्तृत एवं संक्षिप्त विधिका वर्णन)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 19 or 20(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 19 और 20 पार्थिवलिंगके निर्माणकी रीति तथा वेद-मन्त्रोंद्वारा उसके पूजनकी विस्तृत एवं संक्षिप्त विधिका वर्णन) (अध्याय 19 और 20)   :तदनन्तर पार्थिवलिंगकी श्रेष्ठता तथा महिमाका वर्णन करके सूतजी कहते हैं- महर्षियो ! अब मैं वैदिक कर्मके प्रति श्रद्धा-भक्ति रखनेवाले लोगोंके लिये वेदोक्त मार्गसे ही पार्थिव-पूजाकी पद्धतिका … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 18(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 18 बन्धन और मोक्षका विवेचन, शिवपूजाका उपदेश, लिंग आदिमें शिवपूजनका विधान, भस्मके स्वरूपका निरूपण और महत्त्व, शिव एवं गुरु शब्दकी व्युत्पत्ति तथा शिवके भस्मधारणका रहस्य)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 18(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 18 बन्धन और मोक्षका विवेचन, शिवपूजाका उपदेश, लिंग आदिमें शिवपूजनका विधान, भस्मके स्वरूपका निरूपण और महत्त्व, शिव एवं गुरु शब्दकी व्युत्पत्ति तथा शिवके भस्मधारणका रहस्य) (अध्याय 18)   :-ऋषि बोले-सर्वज्ञोंमें श्रेष्ठ सूतजी ! बन्धन और मोक्षका स्वरूप क्या है? यह हमें बताइये।   सूतजीने कहा-महर्षियो ! मैं … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 17(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 17 ष‌ड्लिंगस्वरूप प्रणवका माहात्म्य, उसके सूक्ष्म रूप (ॐकार) और स्थूल रूप (पंचाक्षरमन्त्र) का विवेचन, उसके जपकी विधि एवं महिमा, कार्यब्रह्मके लोकोंसे लेकर कारणरुद्रके लोकोंतकका विवेचन करके कालातीत, पंचावरणविशिष्ट शिवलोकके अनिर्वचनीय वैभवका निरूपण तथा शिव- भक्तोंके सत्कारकी महत्ता)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 17(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 17 ष‌ड्लिंगस्वरूप प्रणवका माहात्म्य, उसके सूक्ष्म रूप (ॐकार) और स्थूल रूप (पंचाक्षरमन्त्र) का विवेचन, उसके जपकी विधि एवं महिमा, कार्यब्रह्मके लोकोंसे लेकर कारणरुद्रके लोकोंतकका विवेचन करके कालातीत, पंचावरणविशिष्ट शिवलोकके अनिर्वचनीय वैभवका निरूपण तथा शिव- भक्तोंके सत्कारकी महत्ता) (अध्याय 17)   :-ऋषि बोले- प्रभो ! महामुने ! आप … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 16(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 16 पृथ्वी आदिसे निर्मित देवप्रतिमाओंके पूजनकी विधि, उनके लिये  नैवेद्यका विचार, पूजनके विभिन्न उपचारोंका फल, विशेष मास, वार, तिथि एवं नक्षत्रोंके योगमें पूजनका विशेष फल तथा लिंगके वैज्ञानिक स्वरूपका विवेचन)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 16(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 16 पृथ्वी आदिसे निर्मित देवप्रतिमाओंके पूजनकी विधि, उनके लिये  नैवेद्यका विचार, पूजनके विभिन्न उपचारोंका फल, विशेष मास, वार, तिथि एवं नक्षत्रोंके योगमें पूजनका विशेष फल तथा लिंगके वैज्ञानिक स्वरूपका विवेचन) (अध्याय 16)   :-ऋषियोंने कहा-साधुशिरोमणे ! अब आप पार्थिव प्रतिमाकी पूजाका विधान बताइये, जिससे समस्त अभीष्ट वस्तुओंकी … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 15(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 15 देश, काल, पात्र और दान आदिका विचार)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 15(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 15 देश, काल, पात्र और दान आदिका विचार) (अध्याय 15)   :-ऋषियोंने कहा- समस्त पदार्थोंके ज्ञाताओंमें श्रेष्ठ सूतजी ! अब आप क्रमशः देश, काल आदिका वर्णन करें।   सूतजी बोले-महर्षियो ! देवयज्ञ आदि कर्मोंमें अपना शुद्ध गृह समान फल देनेवाला होता है अर्थात् अपने घरमें किये हुए … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 14(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 14अग्नियज्ञ, देवयज्ञ और ब्रह्मयज्ञ आदिका वर्णन, भगवान् शिवके द्वारा सातों वारोंका निर्माण तथा उनमें देवाराधनसे विभिन्न प्रकारके फलोंकी प्राप्तिका कथन) (अध्याय 14)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 14(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 14अग्नियज्ञ, देवयज्ञ और ब्रह्मयज्ञ आदिका वर्णन, भगवान् शिवके द्वारा सातों वारोंका निर्माण तथा उनमें देवाराधनसे विभिन्न प्रकारके फलोंकी प्राप्तिका कथन) (अध्याय 14)   :-ऋषियोंने कहा- प्रभो ! अग्नियज्ञ, देव- यज्ञ, ब्रह्मयज्ञ, गुरुपूजा तथा ब्रह्मतृप्तिका हमारे समक्ष क्रमशः वर्णन कीजिये। सूतजी बोले – महर्षियो ! गृहस्थ पुरुष अग्निमें … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 13(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 13 सदाचार, शौचाचार, स्नान, भस्मधारण, संध्यावन्दन, प्रणव-जप, गायत्री-जप, दान, न्यायतः धनोपार्जन तथा अग्निहोत्र आदिकी विधि एवं महिमाका वर्णन)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 13(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 13 सदाचार, शौचाचार, स्नान, भस्मधारण, संध्यावन्दन, प्रणव-जप, गायत्री-जप, दान, न्यायतः धनोपार्जन तथा अग्निहोत्र आदिकी विधि एवं महिमाका वर्णन) (अध्याय 13) :’ऋषियोंने कहा-सूतजी ! अब आप शीघ्र ही हमें वह सदाचार सुनाइये, जिससे विद्वान् पुरुष पुण्यलोकोंपर विजय पाता है। स्वर्ग प्रदान करनेवाले धर्ममय आचार तथा नरकका कष्ट देनेवाले … Read more

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