Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 11 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 11वर्णाश्रम-धर्म तथा नारी-धर्मका वर्णन; शिवके भजन, चिन्तन एवं ज्ञानकी महत्ताका प्रतिपादन)

[वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड)] Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 11 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 11वर्णाश्रम-धर्म तथा नारी-धर्मका वर्णन; शिवके भजन, चिन्तन एवं ज्ञानकी महत्ताका प्रतिपादन) :-महादेवजी कहते हैं- देवेश्वरि ! अब मैं अधिकारी, विद्वान् एवं श्रेष्ठ ब्राह्मण-भक्तोंके लिये संक्षेपसे वर्ण-धर्मका वर्णन करता हूँ। तीनों काल स्नान, अग्निहोत्र, विधिवत् शिवलिंग-पूजन, दान, ईश्वर-प्रेम, सदा और सर्वत्र … Read more

Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 34 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 34 बालक उपमन्युको दूधके लिये दुःखी देख माताका उसे शिवकी आराधनाके लिये प्रेरित करना तथा उपमन्युकी तीव्र तपस्या)

(वायवीयसंहिता(पूर्वखण्ड)) Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 34 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 34 बालक उपमन्युको दूधके लिये दुःखी देख माताका उसे शिवकी आराधनाके लिये प्रेरित करना तथा उपमन्युकी तीव्र तपस्या) : -ऋषियोंने पूछा-प्रभो ! धौम्यके बड़े भाई उपमन्यु जब छोटे बालक थे, तब उन्होंने दूधके लिये तपस्या की थी और भगवान् शिवने प्रसन्न होकर … Read more

Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 33 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 33 पाशुपत-व्रतकी विधि और महिमा तथा भस्मधारणकी महत्ता)

(वायवीयसंहिता(पूर्वखण्ड)) Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 33 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 33 पाशुपत-व्रतकी विधि और महिमा तथा भस्मधारणकी महत्ता) :-ऋषि बोले- भगवन् ! हम परम उत्तम पाशुपत व्रतको सुनना चाहते हैं, जिसका अनुष्ठान करके ब्रह्मा आदि सब देवता पाशुपत माने गये हैं। वायुदेवने कहा- मैं तुम सब लोगोंको गोपनीय पाशुपत-व्रतका रहस्य बताता हूँ, … Read more

Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 32 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 32 परम धर्मका प्रतिपादन, शैवागमके अनुसार पाशुपत ज्ञान तथा उसके साधनोंका वर्णन)

(वायवीयसंहिता(पूर्वखण्ड)) Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 32 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 32 परम धर्मका प्रतिपादन, शैवागमके अनुसार पाशुपत ज्ञान तथा उसके साधनोंका वर्णन) :-ऋषियोंने पूछा- वायुदेव ! वह कौन- सा श्रेष्ठ अनुष्ठान है, जो मोक्षस्वरूप ज्ञानको अपरोक्ष कर देता है? उसको और उसके साधनोंको आज आप हमें बतानेकी कृपा करें। वायुने कहा- भगवान् … Read more

Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 30 or 31 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 30 और 31 ऋषियोंके प्रश्नका उत्तर देते हुए वायुदेवके द्वारा शिवके स्वतन्त्र एवं सर्वानुग्राहक स्वरूपका प्रतिपादन)

(वायवीयसंहिता(पूर्वखण्ड)) Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 30 or 31 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 30 और 31 ऋषियोंके प्रश्नका उत्तर देते हुए वायुदेवके द्वारा शिवके स्वतन्त्र एवं सर्वानुग्राहक स्वरूपका प्रतिपादन) : -तदनन्तर ऋषियोंने कई कारण दिखाकर पूछा-वायुदेव ! यदि शिव सदा शान्तभावसे रहकर ही सबपर अनुग्रह करते हैं तो सबकी अभिलाषाओंको एक साथ ही … Read more

Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 29 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 29 जगत् ‘वाणी और अर्थरूप’ है- इसका प्रतिपादन)

(वायवीयसंहिता(पूर्वखण्ड)) Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 29 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 29 जगत् ‘वाणी और अर्थरूप’ है- इसका प्रतिपादन) : -वायुदेवता कहते हैं-महर्षियो ! अब यह बता रहा हूँ कि जगत्‌की वागर्थात्मकता- की सिद्धि कैसे की गयी है। छः अध्वाओं (मार्गों) का सम्यक् ज्ञान में संक्षेपसे ही करा रहा हूँ, विस्तारसे नहीं। कोई … Read more

Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 27 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 27 मन्दराचलपर गौरीदेवीका स्वागत, महादेवजीके द्वारा उनके और अपने उत्कृष्ट स्वरूप एवं अविच्छेद्य सम्बन्धपर प्रकाश तथा देवीके साथ आये हुए व्याघ्रको उनका गणाध्यक्ष बनाकर अन्तःपुरके द्वारपर सोमनन्दी नामसे प्रतिष्ठित करना)

(वायवीयसंहिता(पूर्वखण्ड)) Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 27 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 27 मन्दराचलपर गौरीदेवीका स्वागत, महादेवजीके द्वारा उनके और अपने उत्कृष्ट स्वरूप एवं अविच्छेद्य सम्बन्धपर प्रकाश तथा देवीके साथ आये हुए व्याघ्रको उनका गणाध्यक्ष बनाकर अन्तःपुरके द्वारपर सोमनन्दी नामसे प्रतिष्ठित करना) ऋषियोंने पूछा- अपने शरीरको दिव्य गौरवर्णसे युक्त बनाकर गिरिराजकुमारी देवी पार्वतीने जब … Read more

Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 26 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 26 गौरीदेवीका व्याघ्रको अपने साथ ले जानेके लिये ब्रह्माजीसे आज्ञा माँगना, ब्रह्माजीका उसे दुष्कर्मी बताकर रोकना, देवीका शरणागतको त्यागनेसे इनकार करना, ब्रह्माजीका देवीकी महत्ता बताकर अनुमति देना और देवीका माता- पितासे मिलकर मन्दराचलको जाना)

(वायवीयसंहिता(पूर्वखण्ड)) Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 26 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 26 गौरीदेवीका व्याघ्रको अपने साथ ले जानेके लिये ब्रह्माजीसे आज्ञा माँगना, ब्रह्माजीका उसे दुष्कर्मी बताकर रोकना, देवीका शरणागतको त्यागनेसे इनकार करना, ब्रह्माजीका देवीकी महत्ता बताकर अनुमति देना और देवीका माता- पितासे मिलकर मन्दराचलको जाना)   वायुदेवता कहते हैं-कौशिकीको उत्पन्न करके उसे ब्रह्माजीके … Read more

Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 25 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 25 पार्वतीकी तपस्या, एक व्याघ्रपर उनकी कृपा, ब्रह्माजीका उनके पास आना, देवीके साथ उनका वार्तालाप, देवीके द्वारा काली त्वचाका त्याग और उससे कृष्णवर्णा कुमारी कन्याके रूपमें उत्पन्न हुई कौशिकीके द्वारा शुम्भ-निशुम्भका वध)

(वायवीयसंहिता(पूर्वखण्ड)) Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 25 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 25 पार्वतीकी तपस्या, एक व्याघ्रपर उनकी कृपा, ब्रह्माजीका उनके पास आना, देवीके साथ उनका वार्तालाप, देवीके द्वारा काली त्वचाका त्याग और उससे कृष्णवर्णा कुमारी कन्याके रूपमें उत्पन्न हुई कौशिकीके द्वारा शुम्भ-निशुम्भका वध)   :-वायुदेव कहते हैं-महर्षियो ! तदनन्तर पतिव्रता माता पार्वती पतिकी … Read more

Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 17 to 24  (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 17 से 24 भगवान् शिवका पार्वती तथा पार्षदोंके साथ मन्दराचलपर जाकर रहना, शुम्भ निशुम्भके वधके लिये ब्रह्माजीकी प्रार्थनासे शिवका पार्वतीको ‘काली’ कहकर कुपित करना और कालीका ‘गौरी’ होनेके लिये तपस्याके निमित्त जानेकी आज्ञा माँगना)

(वायवीयसंहिता(पूर्वखण्ड)) Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 17 to 24  (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 17 से 24 भगवान् शिवका पार्वती तथा पार्षदोंके साथ मन्दराचलपर जाकर रहना, शुम्भ निशुम्भके वधके लिये ब्रह्माजीकी प्रार्थनासे शिवका पार्वतीको ‘काली’ कहकर कुपित करना और कालीका ‘गौरी’ होनेके लिये तपस्याके निमित्त जानेकी आज्ञा माँगना) :-वायुदेवता कहते हैं-इस प्रकार महादेवजीसे ही … Read more

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