Shiv puran uma samhita chapter 13 to 16 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 13 से 16 वेद और पुराणोंके स्वाध्याय तथा विविध प्रकारके दानकी महिमा, नरकोंका वर्णन तथा उनमें गिरानेवाले पापोंका दिग्दर्शन, पापोंके लिये सर्वोत्तम प्रायश्चित्त शिवस्मरण तथा ज्ञानके महत्त्वका प्रतिपादन)

(उमासंहिता) Shiv puran uma samhita chapter 13 to 16 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 13 से 16 वेद और पुराणोंके स्वाध्याय तथा विविध प्रकारके दानकी महिमा, नरकोंका वर्णन तथा उनमें गिरानेवाले पापोंका दिग्दर्शन, पापोंके लिये सर्वोत्तम प्रायश्चित्त शिवस्मरण तथा ज्ञानके महत्त्वका प्रतिपादन) :-सनत्कुमारजी कहते हैं-मुने ! जो वनमें जंगली फल-मूल खाकर तप करता है और … Read more

Shiv puran uma samhita chapter 12 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 12 जलदान, जलाशय-निर्माण, वृक्षारोपण, सत्यभाषण और तपकी महिमा)

(उमासंहिता) Shiv puran uma samhita chapter 12 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 12 जलदान, जलाशय-निर्माण, वृक्षारोपण, सत्यभाषण और तपकी महिमा) :-सनत्कुमारजी कहते हैं- व्यासजी ! जलदान सबसे श्रेष्ठ है। वह सब दानोंमें सदा उत्तम है; क्योंकि जल सभी जीवसमुदायको तृप्त करनेवाला जीवन कहा गया है। इसलिये बड़े स्नेहके साथ अनिवार्यरूपसे प्रपादान (पौंसला चलाकर दूसरोंको पानी … Read more

Shiv puran uma samhita chapter 11 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 11 यमलोकके मार्गमें सुविधा प्रदान करनेवाले विविध दानोंका वर्णन)

(उमासंहिता) Shiv puran uma samhita chapter 11 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 11 यमलोकके मार्गमें सुविधा प्रदान करनेवाले विविध दानोंका वर्णन) :-व्यासजी बोले-प्रभो ! पापी मनुष्य बड़े दुःखसे यमलोकके मार्गमें जाते हैं। अब आप मुझे उन धर्मोंका परिचय दीजिये, जिनसे जीव सुखपूर्वक यममार्गपर यात्रा करते हैं। सनत्कुमारजीने कहा- मुने ! अपना किया हुआ शुभाशुभ कर्म … Read more

Shiv puran uma samhita chapter 9 or 10 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 9 और 10 विभिन्न पापोंके कारण मिलनेवाली नरकयातनाका वर्णन तथा कुक्कुरबलि, काकबलि एवं देवता आदिके लिये दी हुई बलिकी आवश्यकता एवं महत्ताका प्रतिपादन)

(उमासंहिता) Shiv puran uma samhita chapter 9 or 10 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 9 और 10 विभिन्न पापोंके कारण मिलनेवाली नरकयातनाका वर्णन तथा कुक्कुरबलि, काकबलि एवं देवता आदिके लिये दी हुई बलिकी आवश्यकता एवं महत्ताका प्रतिपादन) :-सनत्कुमारजी कहते हैं- व्यासजी ! इन सब भयानक पीड़ादायक नरकोंमें पापी जीवोंको अत्यन्त भीषण नरकयातना भोगनी पड़ती है। … Read more

Shiv puran uma samhita chapter 8 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 8 नरकोंकी अट्ठाईस कोटियों तथा प्रत्येकके पाँच-पाँच नायकके क्रमसे एक सौ चालीस रौरवादि नरकोंकी नामावली)

(उमासंहिता) Shiv puran uma samhita chapter 8 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 8 नरकोंकी अट्ठाईस कोटियों तथा प्रत्येकके पाँच-पाँच नायकके क्रमसे एक सौ चालीस रौरवादि नरकोंकी नामावली) :-सनत्कुमारजी कहते हैं- व्यासजी ! तदनन्तर यमदूत पापियोंको अत्यन्त तपे हुए पत्थरपर बड़े वेगसे दे मारते हैं, मानो वज्रसे बड़े-बड़े वृक्षोंको धराशायी कर दिया गया हो। उस समय … Read more

Shiv puran uma samhita chapter 7 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 7  पापियों और पुण्यात्माओंकी यमलोकयात्रा)

(उमासंहिता) Shiv puran uma samhita chapter 7 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 7  पापियों और पुण्यात्माओंकी यमलोकयात्रा) :-सनत्कुमारजी कहते हैं-व्यासजी ! मनुष्य चार प्रकारके पापोंसे यमलोकमें जाते हैं। यमलोक अत्यन्त भयदायक और भयंकर है। वहाँ समस्त देहधारियोंको विवश होकर जाना पड़ता है। कोई ऐसे प्राणी नहीं हैं, जो यमलोकमें न जाते हों। किये हुए कर्मका … Read more

Shiv puran uma samhita chapter 4 to 6 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 4 से 6 नरकमें गिरानेवाले पापोंका संक्षिप्त परिचय)

(उमासंहिता) Shiv puran uma samhita chapter 4 to 6 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 4 से 6 नरकमें गिरानेवाले पापोंका संक्षिप्त परिचय) :-सनत्कुमारजी कहते हैं- व्यासजी ! जो पापपरायण जीव महानरकके अधिकारी हैं, उनका संक्षेपसे परिचय दिया जाता है; सावधान होकर सुनो। परस्त्रीको प्राप्त करनेका संकल्प, पराये धनको अपहरण करनेकी इच्छा, चित्तके द्वारा अनिष्ट- चिन्तन … Read more

Shiv puran uma samhita chapter 1 to 3 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 1 से 3 भगवान् श्रीकृष्णके तपसे संतुष् और पार्वतीका उन्हें अभीष्ट वर देना तथा शिवकी महिमा)

(उमासंहिता) Shiv puran uma samhita chapter 1 to 3 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 1 से 3 भगवान् श्रीकृष्णके तपसे संतुष् और पार्वतीका उन्हें अभीष्ट वर देना तथा शिवकी महिमा) “यो धत्ते भुवनानि सप्त गुणवान् स्रष्टा रजःसंश्रयः संहर्त्ता तमसान्वितो गुणवर्ती मायामतीत्य स्थितः । सत्यानन्दमनन्तबोधममलं ब्रह्मादिसंज्ञास्पदं”नित्यं सत्त्वसमन्वयादधिगतं पूर्ण शिवं धीमहि ॥ “‘जो रजोगुणका आश्रय ले संसारकी … Read more

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