Shiv puran uma samhita chapter 51 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 51 देवीके क्रियायोगका वर्णन – देवीकी मूर्ति एवं मन्दिरके निर्माण, स्थापन और पूजनका महत्त्व, परा अम्बाकी श्रेष्ठता, विभिन्न मासों और तिथियोंमें देवीके व्रत, उत्सव और पूजन आदिके फल तथा इस संहिताके श्रवण एवं पाठकी महिमा)

(उमासंहिता) Shiv puran uma samhita chapter 51 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 51 देवीके क्रियायोगका वर्णन – देवीकी मूर्ति एवं मन्दिरके निर्माण, स्थापन और पूजनका महत्त्व, परा अम्बाकी श्रेष्ठता, विभिन्न मासों और तिथियोंमें देवीके व्रत, उत्सव और पूजन आदिके फल तथा इस संहिताके श्रवण एवं पाठकी महिमा) :-व्यासजी बोले-महामते, ब्रह्मपुत्र, सर्वज्ञ सनत्कुमार ! मैं उमाके … Read more

Shiv puran uma samhita chapter 50 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 50 देवीके द्वारा दुर्गमासुरका वध तथा उनके दुर्गा, शताक्षी, शाकम्भरी और भ्रामरी आदि नाम पड़नेका कारण)

(उमासंहिता) Shiv puran uma samhita chapter 50 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 50 देवीके द्वारा दुर्गमासुरका वध तथा उनके दुर्गा, शताक्षी, शाकम्भरी और भ्रामरी आदि नाम पड़नेका कारण) :-मुनियोंने कहा-महाप्राज्ञ सूतजी ! हम सब लोग प्रतिदिन दुर्गाजीका चरित्र सुनना चाहते हैं। अतः आप और किसी अद्भुत लीलातत्त्वका हमारे समक्ष वर्णन कीजिये। सर्वज्ञशिरोमणे सूत ! आपके … Read more

Shiv puran uma samhita chapter 49 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 49  देवताओंका गर्व दूर करनेके लिये तेजःपुंजरूपिणी उमाका प्रादुर्भाव)

(उमासंहिता) Shiv puran uma samhita chapter 49 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 49  देवताओंका गर्व दूर करनेके लिये तेजःपुंजरूपिणी उमाका प्रादुर्भाव) :-मुनियोंने कहा-सम्पूर्ण पदार्थोंके पूर्ण ज्ञाता सूतजी ! भुवनेश्वरी उमाके, जिनसे सरस्वती प्रकट हुई थीं, अवतारका पुनः वर्णन कीजिये। वे देवी परब्रह्म, मूलप्रकृति, ईश्वरी, निराकार होती हुई भी साकार तथा नित्यानन्दमयी सती कही जाती हैं। … Read more

Shiv puran uma samhita chapter 48 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 48 देवीके द्वारा सेना और सेनापतियोंसहित निशुम्भ एवं शुम्भका संहार)

(उमासंहिता) Shiv puran uma samhita chapter 48 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 48 देवीके द्वारा सेना और सेनापतियोंसहित निशुम्भ एवं शुम्भका संहार) :-ऋषि कहते हैं- राजन् ! प्रशंसनीय पराक्रमशाली महान् असुर शुम्भने इन श्रेष्ठ दैत्योंका मारा जाना सुनकर अपने उन दुर्जय गणोंको युद्धके लिये जानेकी आज्ञा दी, जो संग्रामका नाम सुनते ही हर्षसे खिल उठते … Read more

Shiv puran uma samhita chapter 47 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 47 देवी उमाके शरीरसे सरस्वतीका आविर्भाव, उनके रूपकी प्रशंसा सुनकर शुम्भका उनके पास दूत भेजना, दूतके निराश लौटनेपर शुम्भका क्रमशः धूम्रलोचन, चण्ड, मुण्ड तथा रक्तबीजको भेजना और देवीके द्वारा उन सबका मारा जाना)

(उमासंहिता) Shiv puran uma samhita chapter 47 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 47 देवी उमाके शरीरसे सरस्वतीका आविर्भाव, उनके रूपकी प्रशंसा सुनकर शुम्भका उनके पास दूत भेजना, दूतके निराश लौटनेपर शुम्भका क्रमशः धूम्रलोचन, चण्ड, मुण्ड तथा रक्तबीजको भेजना और देवीके द्वारा उन सबका मारा जाना) :-ऋषि कहते हैं-पूर्वकालमें शुम्भ और निशुम्भ नामके दो प्रतापी दैत्य … Read more

Shiv puran uma samhita chapter 46 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 46 सम्पूर्ण देवताओंके तेजसे देवीका महालक्ष्मीरूपमें अवतार और उनके द्वारा महिषासुरका वध)

(उमासंहिता) Shiv puran uma samhita chapter 46 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 46 सम्पूर्ण देवताओंके तेजसे देवीका महालक्ष्मीरूपमें अवतार और उनके द्वारा महिषासुरका वध)   :-ऋषि कहते हैं-राजन् ! रम्भ नामसे प्रसिद्ध एक असुर था, जो दैत्यवंशका शिरोमणि माना जाता था। उससे महा- तेजस्वी महिष नामक दानवका जन्म हुआ था। दानवराज महिष समस्त देवताओंको युद्धमें … Read more

Shiv puran uma samhita chapter 28 to 45 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 28 से 45 भगवती उमाके कालिका-अवतारकी कथा – समाधि और सुरथके समक्ष मेधाका देवीकी कृपासे मधुकैटभके वधका प्रसंग सुनाना)

(उमासंहिता) Shiv puran uma samhita chapter 28 to 45 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 28 से 45 भगवती उमाके कालिका-अवतारकी कथा – समाधि और सुरथके समक्ष मेधाका देवीकी कृपासे मधुकैटभके वधका प्रसंग सुनाना) :-इसके अनन्तर छाया पुरुष, सर्ग, कश्यपवंश, मन्वन्तर, मनुवंश, सत्यव्रतादि- वंश, पितृकल्प तथा व्यासोत्पत्ति आदिका वर्णन सुननेके पश्चात् मुनियोंने सूतजीसे कहा-ब्रह्मवेत्ताओंमें श्रेष्ठ सूतजी … Read more

Shiv puran uma samhita chapter 27 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 27 काल या मृत्युको जीतकर अमरत्व प्राप्त करनेकी चार यौगिक साधनाएँ – प्राणायाम, भ्रूमध्यमें अग्निका ध्यान, मुखसे वायुपान तथा मुड़ी हुई जिह्वाद्वारा गलेकी घाँटीका स्पर्श)

(उमासंहिता) Shiv puran uma samhita chapter 27 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 27 काल या मृत्युको जीतकर अमरत्व प्राप्त करनेकी चार यौगिक साधनाएँ – प्राणायाम, भ्रूमध्यमें अग्निका ध्यान, मुखसे वायुपान तथा मुड़ी हुई जिह्वाद्वारा गलेकी घाँटीका स्पर्श) :-पार्वती बोलीं- प्रभो ! यदि आप प्रसन्न हैं तो योगी योगाकाशजनित वायुपदको जिस प्रकार प्राप्त होता है, वह … Read more

Shiv puran uma samhita chapter 26 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 26 कालको जीतनेका उपाय, नवधा शब्दब्रह्म एवं तुंकारके अनुसंधान और उससे प्राप्त होनेवाली सिद्धियोंका वर्णन)

(उमासंहिता) Shiv puran uma samhita chapter 26 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 26 कालको जीतनेका उपाय, नवधा शब्दब्रह्म एवं तुंकारके अनुसंधान और उससे प्राप्त होनेवाली सिद्धियोंका वर्णन) :’देवी पार्वतीने कहा- प्रभो! कालसे आकाशका भी नाश होता है। वह भयंकर काल बड़ा विकराल है। वह स्वर्गका भी एकमात्र स्वामी है। आपने उसे दग्ध कर दिया था, … Read more

Shiv puran uma samhita chapter 17 to 25 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 17 से 25 मृत्युकाल निकट आनेके कौन-कौनसे लक्षण हैं, इसका वर्णन)

(उमासंहिता) Shiv puran uma samhita chapter 17 to 25 (शिव पुराण  उमा संहिता अध्याय 17 से 25 मृत्युकाल निकट आनेके कौन-कौनसे लक्षण हैं, इसका वर्णन) :-इसके पश्चात् द्वीपों, लोकों और मनुओंका परिचय देकर संग्रामके फल, शरीर एवं स्त्री- स्वभाव आदिका वर्णन किया गया। तदनन्तर कालके विषयमें व्यासजीके पूछनेपर सनत्कुमारजीने कहा-मुनिश्रेष्ठ ! पूर्वकालमें पार्वतीजीने नाना प्रकारकी … Read more

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