Shiv puran rudra samhita yudh khand chapter 59(शिव पुराण रुद्रसंहिता युद्ध  खंड अध्याय 59 विदल और उत्पल नामक दैत्योंका पार्वतीपर मोहित होना और पार्वतीका कन्दुकप्रहारद्वारा उनका काम तमाम करना, कन्दुकेश्वरकी स्थापना और उनकी महिमा)

(रुद्रसंहिता, पंचम (युद्ध) खण्ड) Shiv puran rudra samhita yudh khand chapter 59(शिव पुराण रुद्रसंहिता युद्ध  खंड अध्याय 59 विदल और उत्पल नामक दैत्योंका पार्वतीपर मोहित होना और पार्वतीका कन्दुकप्रहारद्वारा उनका काम तमाम करना, कन्दुकेश्वरकी स्थापना और उनकी महिमा) :-सनत्कुमारजी कहते हैं- व्यासजी ! जिस प्रकार परमेश्वर शिवने संकेतसे दैत्यको लक्ष्य कराकर अपनी प्रियाद्वारा उसका वध … Read more

Shiv puran rudra samhita yudh khand chapter 58(शिव पुराण रुद्रसंहिता युद्ध  खंड अध्याय 58 दुन्दुभिनिर्हाद नामक दैत्यका व्याघ्ररूपसे शिवभक्तपर आक्रमण करनेका विचार और शिवद्वारा उसका वध)

(रुद्रसंहिता, पंचम (युद्ध) खण्ड) Shiv puran rudra samhita yudh khand chapter 58(शिव पुराण रुद्रसंहिता युद्ध  खंड अध्याय 58 दुन्दुभिनिर्हाद नामक दैत्यका व्याघ्ररूपसे शिवभक्तपर आक्रमण करनेका विचार और शिवद्वारा उसका वध) :-सनत्कुमारजी कहते हैं- व्यासजी ! अब मैं चन्द्रमौलिके उस चरित्रका वर्णन करूँगा, जिसमें शंकरजीने दुन्दुभिनिर्हाद नामक दैत्यको मारा था। तुम सावधान होकर श्रवण करो। दितिपुत्र … Read more

Shiv puran rudra samhita yudh khand chapter 57(शिव पुराण रुद्रसंहिता युद्ध  खंड अध्याय 57 गजासुरकी तपस्या, वर-प्राप्ति और उसका अत्याचार, शिवद्वारा उसका वध, उसकी प्रार्थनासे शिवका उसका चर्म धारण करना और ‘कृत्तिवासा’ नामसे विख्यात होना तथा कृत्तिवासेश्वरलिंगकी स्थापना करना)

(रुद्रसंहिता, पंचम (युद्ध) खण्ड) Shiv puran rudra samhita yudh khand chapter 57(शिव पुराण रुद्रसंहिता युद्ध  खंड अध्याय 57 गजासुरकी तपस्या, वर-प्राप्ति और उसका अत्याचार, शिवद्वारा उसका वध, उसकी प्रार्थनासे शिवका उसका चर्म धारण करना और ‘कृत्तिवासा’ नामसे विख्यात होना तथा कृत्तिवासेश्वरलिंगकी स्थापना करना) :-सनत्कुमारजी कहते हैं-व्यासजी ! अब परम प्रेमपूर्वक शशिमौलि शिवके उस चरित्रको श्रवण … Read more

Shiv puran rudra samhita yudh khand chapter 55 or 56  (शिव पुराण रुद्रसंहिता युद्ध  खंड अध्याय 55 और 56 श्रीकृष्णद्वारा बाणकी भुजाओंका काटा जाना, सिर काटनेके लिये उद्यत हुए श्रीकृष्णको शिवका रोकना और उन्हें समझाना, श्रीकृष्णका परिवारसमेत द्वारकाको लौट जाना, बाणका ताण्डव नृत्यद्वारा शिवको प्रसन्न करना, शिवद्वारा उसे अन्यान्य वरदानोंके साथ महाकालत्वकी प्राप्ति)

(रुद्रसंहिता, पंचम (युद्ध) खण्ड) Shiv puran rudra samhita yudh khand chapter 55 or 56  (शिव पुराण रुद्रसंहिता युद्ध  खंड अध्याय 55 और 56 श्रीकृष्णद्वारा बाणकी भुजाओंका काटा जाना, सिर काटनेके लिये उद्यत हुए श्रीकृष्णको शिवका रोकना और उन्हें समझाना, श्रीकृष्णका परिवारसमेत द्वारकाको लौट जाना, बाणका ताण्डव नृत्यद्वारा शिवको प्रसन्न करना, शिवद्वारा उसे अन्यान्य वरदानोंके साथ … Read more

Shiv puran rudra samhita yudh khand chapter 51 to 54  (शिव पुराण रुद्रसंहिता युद्ध  खंड अध्याय 51 से 54 बाणासुरकी तपस्या और उसे शिवद्वारा वर-प्राप्ति, शिवका गणों और पुत्रोंसहित उसके नगरमें निवास करना, बाणपुत्री ऊषाका रातके समय स्वप्नमें अनिरुद्धके साथ मिलन, चित्रलेखाद्वारा अनिरुद्धका द्वारकासे अपहरण, बाणका अनिरुद्धको नागपाशमें बाँधना, दुर्गाके स्तवनसे अनिरुद्धका बन्धनमुक्त होना, नारदद्वारा समाचार पाकर श्रीकृष्णकी शोणितपुरपर चढ़ाई, शिवके साथ उनका घोर युद्ध, शिवकी आज्ञासे श्रीकृष्णका उन्हें जृम्भणास्त्रसे मोहित करके बाणकी सेनाका संहार करना)

(रुद्रसंहिता, पंचम (युद्ध) खण्ड) Shiv puran rudra samhita yudh khand chapter 51 to 54  (शिव पुराण रुद्रसंहिता युद्ध  खंड अध्याय 51 से 54 बाणासुरकी तपस्या और उसे शिवद्वारा वर-प्राप्ति, शिवका गणों और पुत्रोंसहित उसके नगरमें निवास करना, बाणपुत्री ऊषाका रातके समय स्वप्नमें अनिरुद्धके साथ मिलन, चित्रलेखाद्वारा अनिरुद्धका द्वारकासे अपहरण, बाणका अनिरुद्धको नागपाशमें बाँधना, दुर्गाके स्तवनसे … Read more

Shiv puran rudra samhita yudh khand chapter 50 (शिव पुराण रुद्रसंहिता युद्ध  खंड अध्याय 50 शुक्राचार्यकी घोर तपस्या और इनका शिवजीको चित्तरत्न अर्पण करना तथा अष्टमूर्त्यष्टक-स्तोत्रद्वारा उनका स्तवन करना, शिवजीका प्रसन्न होकर उन्हें मृतसंजीवनी विद्या तथा अन्यान्य वर प्रदान करना)

(रुद्रसंहिता, पंचम (युद्ध) खण्ड) Shiv puran rudra samhita yudh khand chapter 50 (शिव पुराण रुद्रसंहिता युद्ध  खंड अध्याय 50 शुक्राचार्यकी घोर तपस्या और इनका शिवजीको चित्तरत्न अर्पण करना तथा अष्टमूर्त्यष्टक-स्तोत्रद्वारा उनका स्तवन करना, शिवजीका प्रसन्न होकर उन्हें मृतसंजीवनी विद्या तथा अन्यान्य वर प्रदान करना) :-सनत्कुमारजी कहते हैं-व्यासजी ! मुनिवर शुक्राचार्यको शिवसे मृत्युंजय नामक मृत्युका प्रशमन … Read more

Shiv puran rudra samhita yudh khand chapter 47 to 49 (शिव पुराण रुद्रसंहिता युद्ध  खंड अध्याय 47 से 49 नन्दीश्वरद्वारा शुक्राचार्यका अपहरण और शिवद्वारा उनका निगला जाना, सौ वर्षके बाद शुक्रका शिवलिंगके रास्ते बाहर निकलना, शिवद्वारा उनका ‘शुक्र’ नाम रखा जाना, शुक्रद्वारा जपे गये मृत्युंजय- मन्त्र और शिवाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रका वर्णन, शिवद्वारा अन्धकको वर-प्रदान)

(रुद्रसंहिता, पंचम (युद्ध) खण्ड) Shiv puran rudra samhita yudh khand chapter 47 to 49 (शिव पुराण रुद्रसंहिता युद्ध  खंड अध्याय 47 से 49 नन्दीश्वरद्वारा शुक्राचार्यका अपहरण और शिवद्वारा उनका निगला जाना, सौ वर्षके बाद शुक्रका शिवलिंगके रास्ते बाहर निकलना, शिवद्वारा उनका ‘शुक्र’ नाम रखा जाना, शुक्रद्वारा जपे गये मृत्युंजय- मन्त्र और शिवाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रका वर्णन, शिवद्वारा अन्धकको … Read more

Shiv puran rudra samhita yudh khand chapter 44 to 46 (शिव पुराण रुद्रसंहिता युद्ध  खंड अध्याय 44 से 46 भाइयोंके उपालम्भसे अन्धकका तप करना और वर पाकर त्रिलोकीको जीतकर स्वेच्छाचारमें प्रवृत्त होना, उसके मन्त्रियोंद्वारा शिव-परिवारका वर्णन, पार्वतीके सौन्दर्यपर मोहित होकर अन्धकका वहाँ जाना और नन्दीश्वरके साथ युद्ध, अन्धकके प्रहारसे नन्दीश्वरकी मूर्च्छा, पार्वतीके आवाहनसे देवियोंका प्रकट होकर युद्ध करना, शिवका आगमन और युद्ध, शिवद्वारा शुक्राचार्यका निगला जाना, शिवकी प्रेरणासे विष्णुका कालीरूप धारण करके दानवोंके रक्तका पान करना, शिवका अन्धकको अपने त्रिशूलमें पिरोना और युद्धकी समाप्ति)

रुद्रसंहिता, पंचम (युद्ध) खण्ड) Shiv puran rudra samhita yudh khand chapter 44 to 46 (शिव पुराण रुद्रसंहिता युद्ध  खंड अध्याय 44 से 46 भाइयोंके उपालम्भसे अन्धकका तप करना और वर पाकर त्रिलोकीको जीतकर स्वेच्छाचारमें प्रवृत्त होना, उसके मन्त्रियोंद्वारा शिव-परिवारका वर्णन, पार्वतीके सौन्दर्यपर मोहित होकर अन्धकका वहाँ जाना और नन्दीश्वरके साथ युद्ध, अन्धकके प्रहारसे नन्दीश्वरकी मूर्च्छा, … Read more

Shiv puran rudra samhita yudh khand chapter 43 (शिव पुराण रुद्रसंहिता युद्ध  खंड अध्याय 43 हिरण्यकशिपुकी तपस्या और ब्रह्मासे वरदान पाकर उसका अत्याचार, नृसिंहद्वारा उसका वध और प्रह्लादको राज्यप्राप्ति)

(रुद्रसंहिता, पंचम (युद्ध) खण्ड) Shiv puran rudra samhita yudh khand chapter 43 (शिव पुराण रुद्रसंहिता युद्ध  खंड अध्याय 43 हिरण्यकशिपुकी तपस्या और ब्रह्मासे वरदान पाकर उसका अत्याचार, नृसिंहद्वारा उसका वध और प्रह्लादको राज्यप्राप्ति) सनत्कुमारजी कहते हैं- व्यासजी ! इधर वराहरूपधारी श्रीहरिके द्वारा इस प्रकार भाईके मारे जानेपर हिरण्यकशिपु शोक और क्रोधसे संतप्त हो उठा। श्रीहरिके … Read more

Shiv puran rudra samhita yudh khand chapter 42 (शिव पुराण रुद्रसंहिता युद्ध  खंड अध्याय 42 उमाद्वारा शम्भुके नेत्र मूँद लिये जानेपर अन्धकारमें शम्भुके पसीनेसे अन्धकासुरकी उत्पत्ति, हिरण्याक्षकी पुत्रार्थ तपस्या और शिवका उसे पुत्ररूपमें अन्धकको देना, हिरण्याक्षका त्रिलोकीको जीतकर पृथ्वीको रसातलमें ले जाना और वराहरूपधारी विष्णुद्वारा उसका वध)

(रुद्रसंहिता, पंचम (युद्ध) खण्ड) Shiv puran rudra samhita yudh khand chapter 42 (शिव पुराण रुद्रसंहिता युद्ध  खंड अध्याय 42 उमाद्वारा शम्भुके नेत्र मूँद लिये जानेपर अन्धकारमें शम्भुके पसीनेसे अन्धकासुरकी उत्पत्ति, हिरण्याक्षकी पुत्रार्थ तपस्या और शिवका उसे पुत्ररूपमें अन्धकको देना, हिरण्याक्षका त्रिलोकीको जीतकर पृथ्वीको रसातलमें ले जाना और वराहरूपधारी विष्णुद्वारा उसका वध) :-सनत्कुमारजी कहते हैं- व्यासजी … Read more

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