Shiv puran rudra samhita sati khand chapter 43 (शिव पुराण रुद्रसंहिता सती खंड अध्याय 43 भगवान् शिवका दक्षको अपनी भक्तवत्सलता, ज्ञानी भक्तकी श्रेष्ठता तथा तीनों देवताओंकी एकता बताना, दक्षका अपने यज्ञको पूर्ण करना, सब देवता आदिका अपने-अपने स्थानको जाना, सतीखण्डका उपसंहार और माहात्म्य)

(रुद्रसंहिता, द्वितीय (सती) खण्ड)) Shiv puran rudra samhita sati khand chapter 43 (शिव पुराण रुद्रसंहिता सती खंड अध्याय 43 भगवान् शिवका दक्षको अपनी भक्तवत्सलता, ज्ञानी भक्तकी श्रेष्ठता तथा तीनों देवताओंकी एकता बताना, दक्षका अपने यज्ञको पूर्ण करना, सब देवता आदिका अपने-अपने स्थानको जाना, सतीखण्डका उपसंहार और माहात्म्य) (अध्याय 43) ब्रह्माजी कहते हैं-नारद ! इस प्रकार … Read more

Shiv puran rudra samhita sati khand chapter 41 or 42 (शिव पुराण रुद्रसंहिता सती खंड अध्याय 41 और 42 देवताओंद्वारा भगवान् शिवकी स्तुति, भगवान् शिवका देवता आदिके अंगोंके ठीक होने और दक्षके जीवित होनेका वरदान देना, श्रीहरि आदिके साथ यज्ञमण्डपमें पधारकर शिवका दक्षको जीवित करना तथा दक्ष और विष्णु आदिके द्वारा उनकी स्तुति)

(रुद्रसंहिता, द्वितीय (सती) खण्ड)) Shiv puran rudra samhita sati khand chapter 41 or 42 (शिव पुराण रुद्रसंहिता सती खंड अध्याय 41 और 42 देवताओंद्वारा भगवान् शिवकी स्तुति, भगवान् शिवका देवता आदिके अंगोंके ठीक होने और दक्षके जीवित होनेका वरदान देना, श्रीहरि आदिके साथ यज्ञमण्डपमें पधारकर शिवका दक्षको जीवित करना तथा दक्ष और विष्णु आदिके द्वारा … Read more

Shiv puran rudra samhita sati khand chapter 40(शिव पुराण रुद्रसंहिता सती खंड अध्याय 40 देवताओंसहित ब्रह्माका विष्णुलोकमें जाकर अपना दुःख निवेदन करना, श्रीविष्णुका उन्हें शिवसे क्षमा माँगनेकी अनुमति दे उनको साथ ले कैलासपर जाना तथा भगवान् शिवसे मिलना)

(रुद्रसंहिता, द्वितीय (सती) खण्ड)) Shiv puran rudra samhita sati khand chapter 40(शिव पुराण रुद्रसंहिता सती खंड अध्याय 40 देवताओंसहित ब्रह्माका विष्णुलोकमें जाकर अपना दुःख निवेदन करना, श्रीविष्णुका उन्हें शिवसे क्षमा माँगनेकी अनुमति दे उनको साथ ले कैलासपर जाना तथा भगवान् शिवसे मिलना) (अध्याय 40) :-नारदजीने कहा- विधातः ! महाप्राज्ञ ! आप शिवतत्त्वका साक्षात्कार करानेवाले हैं। … Read more

Shiv puran rudra samhita sati khand chapter 39(शिव पुराण रुद्रसंहिता सती खंड अध्याय 39 श्रीविष्णु और देवताओंसे अपराजित दधीचिका उनके लिये शाप और क्षुवपर अनुग्रह)

(रुद्रसंहिता, द्वितीय (सती) खण्ड)) Shiv puran rudra samhita sati khand chapter 39(शिव पुराण रुद्रसंहिता सती खंड अध्याय 39 श्रीविष्णु और देवताओंसे अपराजित दधीचिका उनके लिये शाप और क्षुवपर अनुग्रह) (अध्याय 39) :-ब्रह्माजी कहते हैं-नारद ! भक्तवत्सल भगवान् विष्णु राजा क्षुवका हित-साधन करनेके लिये ब्राह्मणका रूप धारणकर दधीचिके आश्रमपर गये। वहाँ उन जगद्‌गुरु श्रीहरिने शिवभक्तशिरोमणि ब्रह्मर्षि … Read more

Shiv puran rudra samhita sati khand chapter 38(शिव पुराण रुद्रसंहिता सती खंड अध्याय 38 श्रीविष्णुकी पराजयमें दधीचि मुनिके शापको कारण बताते हुए दधीचि और क्षुवके विवादका इतिहास, मृत्युंजय-मन्त्रके अनुष्ठानसे दधीचिकी अवध्यता तथा श्रीहरिका क्षुवको दधीचिकी पराजयके लिये यत्न करनेका आश्वासन)

(रुद्रसंहिता, द्वितीय (सती) खण्ड)) Shiv puran rudra samhita sati khand chapter 38(शिव पुराण रुद्रसंहिता सती खंड अध्याय 38 श्रीविष्णुकी पराजयमें दधीचि मुनिके शापको कारण बताते हुए दधीचि और क्षुवके विवादका इतिहास, मृत्युंजय-मन्त्रके अनुष्ठानसे दधीचिकी अवध्यता तथा श्रीहरिका क्षुवको दधीचिकी पराजयके लिये यत्न करनेका आश्वासन) (अध्याय 38) :-सूतजी कहते हैं-महर्षियो ! अमित बुद्धिमान् ब्रह्माजीकी कही हुई … Read more

Shiv puran rudra samhita sati khand chapter 36 or 37 (शिव पुराण रुद्रसंहिता सती खंड अध्याय 36 और 37 देवताओंका पलायन, इन्द्र आदिके पूछनेपर बृहस्पतिका रुद्रदेवकी अजेयता बताना, वीरभद्रका देवताओंको युद्धके लिये ललकारना, श्रीविष्णु और वीरभद्रकी बातचीत तथा विष्णु आदिका अपने लोकमें जाना एवं दक्ष और यज्ञका विनाश करके वीरभद्रका कैलासको लौटना)

(रुद्रसंहिता, द्वितीय (सती) खण्ड)) Shiv puran rudra samhita sati khand chapter 36 or 37 (शिव पुराण रुद्रसंहिता सती खंड अध्याय 36 और 37 देवताओंका पलायन, इन्द्र आदिके पूछनेपर बृहस्पतिका रुद्रदेवकी अजेयता बताना, वीरभद्रका देवताओंको युद्धके लिये ललकारना, श्रीविष्णु और वीरभद्रकी बातचीत तथा विष्णु आदिका अपने लोकमें जाना एवं दक्ष और यज्ञका विनाश करके वीरभद्रका कैलासको … Read more

Shiv puran rudra samhita sati khand chapter 35 (शिव पुराण रुद्रसंहिता सती खंड अध्याय 35 दक्षके यज्ञकी रक्षाके लिये भगवान् विष्णुसे प्रार्थना, भगवान्‌का शिवद्रोहजनित संकटको टालनेमें अपनी असमर्थता बताते हुए दक्षको समझाना तथा सेनासहित वीरभद्रका आगमन)

(रुद्रसंहिता, द्वितीय (सती) खण्ड)) Shiv puran rudra samhita sati khand chapter 35 (शिव पुराण रुद्रसंहिता सती खंड अध्याय 35 दक्षके यज्ञकी रक्षाके लिये भगवान् विष्णुसे प्रार्थना, भगवान्‌का शिवद्रोहजनित संकटको टालनेमें अपनी असमर्थता बताते हुए दक्षको समझाना तथा सेनासहित वीरभद्रका आगमन) (अध्याय 35) :-दक्ष बोले- देवदेव ! हरे ! विष्णो ! दीनबन्धो ! कृपानिधे! आपको मेरी … Read more

Shiv puran rudra samhita sati khand chapter 33 or 34 (शिव पुराण रुद्रसंहिता सती खंड अध्याय 33 और 34 प्रमथगणोंसहित वीरभद्र और महाकालीका दक्षयज्ञ-विध्वंसके लिये प्रस्थान, दक्ष तथा देवताओंको अपशकुन एवं उत्पातसूचक लक्षणोंका दर्शन एवं भय होना)

(रुद्रसंहिता, द्वितीय (सती) खण्ड)) Shiv puran rudra samhita sati khand chapter 33 or 34 (शिव पुराण रुद्रसंहिता सती खंड अध्याय 33 और 34 प्रमथगणोंसहित वीरभद्र और महाकालीका दक्षयज्ञ-विध्वंसके लिये प्रस्थान, दक्ष तथा देवताओंको अपशकुन एवं उत्पातसूचक लक्षणोंका दर्शन एवं भय होना) (अध्याय 33) :-ब्रह्माजी कहते हैं-नारद ! महेश्वरके इस वचनको आदरपूर्वक सुनकर वीरभद्र बहुत संतुष्ट … Read more

Shiv puran rudra samhita sati khand chapter 32(शिव पुराण रुद्रसंहिता सती खंड अध्याय 32 गणोंके मुखसे और नारदसे भी सतीके दग्ध होनेकी बात सुनकर दक्षपर कुपित हुए शिवका अपनी जटासे वीरभद्र और महाकालीको प्रकट करके उन्हें यज्ञविध्वंस करने और विरोधियोंको जला डालनेकी आज्ञा देना)

(रुद्रसंहिता, द्वितीय (सती) खण्ड)) Shiv puran rudra samhita sati khand chapter 32(शिव पुराण रुद्रसंहिता सती खंड अध्याय 32 गणोंके मुखसे और नारदसे भी सतीके दग्ध होनेकी बात सुनकर दक्षपर कुपित हुए शिवका अपनी जटासे वीरभद्र और महाकालीको प्रकट करके उन्हें यज्ञविध्वंस करने और विरोधियोंको जला डालनेकी आज्ञा देना) (अध्याय 32) :-ब्रह्माजी कहते हैं- नारद ! … Read more

Shiv puran rudra samhita sati khand chapter 31(शिव पुराण रुद्रसंहिता सती खंड अध्याय 31आकाशवाणीद्वारा दक्षकी भर्त्सना, उनके विनाशकी सूचना तथा समस्त देवताओंको यज्ञमण्डपसे निकल जानेकी प्रेरणा)

(रुद्रसंहिता, द्वितीय (सती) खण्ड)) Shiv puran rudra samhita sati khand chapter 31(शिव पुराण रुद्रसंहिता सती खंड अध्याय 31आकाशवाणीद्वारा दक्षकी भर्त्सना, उनके विनाशकी सूचना तथा समस्त देवताओंको यज्ञमण्डपसे निकल जानेकी प्रेरणा) (अध्याय 31) :-ब्रह्माजी कहते हैं-मुनीश्वर ! इसी बीचमें वहाँ दक्ष तथा देवता आदिके सुनते हुए आकाशवाणीने यह यथार्थ बात कही – “रे-रे दुराचारी दक्ष ! … Read more

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