Shiv puran rudra samhita Parwati khand chapter 27 (शिव पुराण रुद्रसंहिता पार्वती खंड अध्याय 27 पार्वतीकी बात सुनकर जटाधारी ब्राह्मणका शिवकी निन्दा करते हुए पार्वतीको उनकी ओरसे मनको हटा लेनेका आदेश देना)

(रुद्रसंहिता, तृतीय (पार्वती) खण्ड) Shiv puran rudra samhita Parwati khand chapter 27 (शिव पुराण रुद्रसंहिता पार्वती खंड अध्याय 27 पार्वतीकी बात सुनकर जटाधारी ब्राह्मणका शिवकी निन्दा करते हुए पार्वतीको उनकी ओरसे मनको हटा लेनेका आदेश देना) (अध्याय 27) :-पार्वती बोलीं- जटाधारी विप्रवर ! मेरा सारा वृत्तान्त सुनिये। मेरी सखीने जो कुछ कहा है, वह ज्यों-का-त्यों … Read more

Shiv puran rudra samhita Parwati khand chapter 26 (शिव पुराण रुद्रसंहिता पार्वती खंड अध्याय 26 भगवान् शंकरका जटिल तपस्वी ब्राह्मणके रूपमें पार्वतीके आश्रमपर जाना, उनसे सत्कृत हो उनकी तपस्याका कारण पूछना तथा पार्वतीजीका अपनी सखी विजयासे सब कुछ कहलाना)

(रुद्रसंहिता, तृतीय (पार्वती) खण्ड) Shiv puran rudra samhita Parwati khand chapter 26 (शिव पुराण रुद्रसंहिता पार्वती खंड अध्याय 26 भगवान् शंकरका जटिल तपस्वी ब्राह्मणके रूपमें पार्वतीके आश्रमपर जाना, उनसे सत्कृत हो उनकी तपस्याका कारण पूछना तथा पार्वतीजीका अपनी सखी विजयासे सब कुछ कहलाना) (अध्याय 26 ) :-ब्रह्माजी कहते हैं- नारद ! उन सप्तर्षियोंके अपने लोकमें … Read more

Shiv puran rudra samhita Parwati khand chapter 25 (शिव पुराण रुद्रसंहिता पार्वती खंड अध्याय 25 भगवान् शिवकी आज्ञासे सप्तर्षियोंका पार्वतीके आश्रमपर जा उनके शिवविषयक अनुरागकी परीक्षा करना और भगवान्‌को सब वृत्तान्त बताकर स्वर्गको जाना)

(रुद्रसंहिता, तृतीय (पार्वती) खण्ड) Shiv puran rudra samhita Parwati khand chapter 25 (शिव पुराण रुद्रसंहिता पार्वती खंड अध्याय 25 भगवान् शिवकी आज्ञासे सप्तर्षियोंका पार्वतीके आश्रमपर जा उनके शिवविषयक अनुरागकी परीक्षा करना और भगवान्‌को सब वृत्तान्त बताकर स्वर्गको जाना) (अध्याय 25) :-ब्रह्माजी कहते हैं-देवताओंके अपने आश्रममें चले जानेपर पार्वतीके तपकी परीक्षाके लिये भगवान् शंकर समाधिस्थ हो … Read more

Shiv puran rudra samhita Parwati khand chapter 24 (शिव पुराण रुद्रसंहिता पार्वती खंड अध्याय 24 देवताओंका भगवान् शिवसे पार्वतीके साथ विवाह करनेका अनुरोध, भगवान्‌का विवाहके दोष बताकर अस्वीकार करना तथा उनके पुनः प्रार्थना करनेपर स्वीकार कर लेना)

(रुद्रसंहिता, तृतीय (पार्वती) खण्ड) Shiv puran rudra samhita Parwati khand chapter 24 (शिव पुराण रुद्रसंहिता पार्वती खंड अध्याय 24 देवताओंका भगवान् शिवसे पार्वतीके साथ विवाह करनेका अनुरोध, भगवान्‌का विवाहके दोष बताकर अस्वीकार करना तथा उनके पुनः प्रार्थना करनेपर स्वीकार कर लेना) (अध्याय 24) :-ब्रह्माजी कहते हैं-नारद ! देवताओंने वहाँ पहुँचकर भगवान् रुद्रको प्रणाम करके उनकी … Read more

Shiv puran rudra samhita Parwati khand chapter 23 (शिव पुराण रुद्रसंहिता पार्वती खंड अध्याय 23पार्वतीकी तपस्याविषयक दृढ़ता, उनका पहलेसे भी उग्र तप, उससे त्रिलोकीका संतप्त होना तथा समस्त देवताओंके साथ ब्रह्मा और विष्णुका भगवान् शिवके स्थानपर जाना)

(रुद्रसंहिता, तृतीय (पार्वती) खण्ड) Shiv puran rudra samhita Parwati khand chapter 23 (शिव पुराण रुद्रसंहिता पार्वती खंड अध्याय 23पार्वतीकी तपस्याविषयक दृढ़ता, उनका पहलेसे भी उग्र तप, उससे त्रिलोकीका संतप्त होना तथा समस्त देवताओंके साथ ब्रह्मा और विष्णुका भगवान् शिवके स्थानपर जाना) (अध्याय 23) :-ब्रह्माजी कहते हैं-मुनीश्वर ! शिवकी प्राप्तिके लिये इस प्रकार तपस्या करती हुई … Read more

Shiv puran rudra samhita Parwati khand chapter 22 (शिव पुराण रुद्रसंहिता पार्वती खंड अध्याय 22 श्रीशिवकी आराधनाके लिये पार्वतीजीकी दुष्कर तपस्या)

(रुद्रसंहिता, तृतीय (पार्वती) खण्ड) Shiv puran rudra samhita Parwati khand chapter 22 (शिव पुराण रुद्रसंहिता पार्वती खंड अध्याय 22 श्रीशिवकी आराधनाके लिये पार्वतीजीकी दुष्कर तपस्या) (अध्याय 22) :-ब्रह्माजी कहते हैं-देवर्षे ! तुम्हारे चले जानेपर प्रफुल्लचित्त हुई पार्वतीने महादेवजी- को तपस्यासे ही साध्य माना और तपस्याके लिये ही मनमें निश्चय किया। तब उन्होंने अपनी सखी जया … Read more

Shiv puran rudra samhita Parwati khand chapter 20 or 21 (शिव पुराण रुद्रसंहिता पार्वती खंड अध्याय 20 और 21 ब्रह्माजीका शिवकी क्रोधाग्निको वडवानलकी संज्ञा दे समुद्रमें स्थापित करके संसारके भयको दूर करना, शिवके विरहसे पार्वतीका शोक तथा नारदजीके द्वारा उन्हें तपस्याके लिये उपदेशपूर्वक पंचाक्षर-मन्त्रकी प्राप्ति)

(रुद्रसंहिता, तृतीय (पार्वती) खण्ड) Shiv puran rudra samhita Parwati khand chapter 20 or 21 (शिव पुराण रुद्रसंहिता पार्वती खंड अध्याय 20 और 21 ब्रह्माजीका शिवकी क्रोधाग्निको वडवानलकी संज्ञा दे समुद्रमें स्थापित करके संसारके भयको दूर करना, शिवके विरहसे पार्वतीका शोक तथा नारदजीके द्वारा उन्हें तपस्याके लिये उपदेशपूर्वक पंचाक्षर-मन्त्रकी प्राप्ति) (अध्याय 20 और 21 ) :-ब्रह्माजी … Read more

Shiv puran rudra samhita Parwati khand chapter 18 or 19 (शिव पुराण रुद्रसंहिता पार्वती खंड अध्याय 18 और 19 रुद्रकी नेत्राग्निसे कामका भस्म होना, रतिका विलाप, देवताओंकी प्रार्थनासे शिवका कामको द्वापरमें प्रद्युम्नरूपसे नूतन शरीरकी प्राप्तिके लिये वर देना और रतिका शम्बर-नगरमें जाना)

(रुद्रसंहिता, तृतीय (पार्वती) खण्ड) Shiv puran rudra samhita Parwati khand chapter 18 or 19 (शिव पुराण रुद्रसंहिता पार्वती खंड अध्याय 18 और 19 रुद्रकी नेत्राग्निसे कामका भस्म होना, रतिका विलाप, देवताओंकी प्रार्थनासे शिवका कामको द्वापरमें प्रद्युम्नरूपसे नूतन शरीरकी प्राप्तिके लिये वर देना और रतिका शम्बर-नगरमें जाना) (अध्याय 18 और 19) ब्रह्माजी कहते हैं-मुने! काम अपने साथी … Read more

Shiv puran rudra samhita Parwati khand chapter 17 (शिव पुराण रुद्रसंहिता पार्वती खंड अध्याय 17 इन्द्रद्वारा कामका स्मरण, उसके साथ उनकी बातचीत तथा उनके कहनेसे कामका शिवको मोहनेके लिये प्रस्थान)

(रुद्रसंहिता, तृतीय (पार्वती) खण्ड) Shiv puran rudra samhita Parwati khand chapter 17 (शिव पुराण रुद्रसंहिता पार्वती खंड अध्याय 17 इन्द्रद्वारा कामका स्मरण, उसके साथ उनकी बातचीत तथा उनके कहनेसे कामका शिवको मोहनेके लिये प्रस्थान) (अध्याय 17 ) :-ब्रह्माजी कहते हैं-नारद ! देवताओंके चले जानेपर दुरात्मा तारक दैत्यसे पीड़ित हुए इन्द्रने कामदेवका स्मरण किया। कामदेव तत्काल … Read more

Shiv puran rudra samhita Parwati khand chapter 14 to 16 (शिव पुराण रुद्रसंहिता पार्वती खंड अध्याय 14 से 16 तारकासुरके सताये हुए देवताओंका ब्रह्माजीको अपनी कष्टकथा सुनाना, ब्रह्माजीका उन्हें पार्वतीके साथ शिवके विवाहके लिये उद्योग करनेका आदेश देना, ब्रह्माजीके समझानेसे तारकासुरका स्वर्गको छोड़ना और देवताओंका वहाँ रहकर लक्ष्यसिद्धिके लिये यत्नशील होना)

(रुद्रसंहिता, तृतीय (पार्वती) खण्ड) Shiv puran rudra samhita Parwati khand chapter 14 to 16 (शिव पुराण रुद्रसंहिता पार्वती खंड अध्याय 14 से 16 तारकासुरके सताये हुए देवताओंका ब्रह्माजीको अपनी कष्टकथा सुनाना, ब्रह्माजीका उन्हें पार्वतीके साथ शिवके विवाहके लिये उद्योग करनेका आदेश देना, ब्रह्माजीके समझानेसे तारकासुरका स्वर्गको छोड़ना और देवताओंका वहाँ रहकर लक्ष्यसिद्धिके लिये यत्नशील होना) … Read more

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