Shiv puran rudra samhita yudh khand chapter 31 to 35 (शिव पुराण रुद्रसंहिता युद्ध  खंड अध्याय 31 से 35  देवताओंका रुद्रके पास जाकर अपना दुःख निवेदन करना, रुद्रद्वारा उन्हें आश्वासन और चित्ररथको शंखचूडके पास भेजना, चित्ररथके लौटनेपर रुद्रका गणों, पुत्रों और भद्रकालीसहित युद्धके लिये प्रस्थान, उधर शंखचूडका सेनासहित पुष्पभद्राके तटपर पड़ाव डालना तथा दानवराजके दूत और शिवकी बातचीत)

(रुद्रसंहिता, पंचम (युद्ध) खण्ड) Shiv puran rudra samhita yudh khand chapter 31 to 35 (शिव पुराण रुद्रसंहिता युद्ध  खंड अध्याय 31 से 35  देवताओंका रुद्रके पास जाकर अपना दुःख निवेदन करना, रुद्रद्वारा उन्हें आश्वासन और चित्ररथको शंखचूडके पास भेजना, चित्ररथके लौटनेपर रुद्रका गणों, पुत्रों और भद्रकालीसहित युद्धके लिये प्रस्थान, उधर शंखचूडका सेनासहित पुष्पभद्राके तटपर पड़ाव … Read more

Shiv puran rudra samhita Parwati khand chapter 47(शिव पुराण रुद्रसंहिता पार्वती खंड अध्याय 47 वरपक्षके आभूषणोंसे विभूषित शिवाकी नीराजना, कन्यादानके समय वरके साथ सब देवताओंका हिमाचलके घरके आँगनमें विराजना तथा वर-वधूके द्वारा एक-दूसरेका पूजन)

(रुद्रसंहिता, तृतीय (पार्वती) खण्ड) Shiv puran rudra samhita Parwati khand chapter 47(शिव पुराण रुद्रसंहिता पार्वती खंड अध्याय 47 वरपक्षके आभूषणोंसे विभूषित शिवाकी नीराजना, कन्यादानके समय वरके साथ सब देवताओंका हिमाचलके घरके आँगनमें विराजना तथा वर-वधूके द्वारा एक-दूसरेका पूजन) (अध्याय 47) :-ब्रह्माजी कहते हैं-नारद ! तदनन्तर साथ वेदमन्त्रोंद्वारा दुर्गा और शिवका उपस्नान गिरिश्रेष्ठ हिमवान्‌ने प्रसन्नता और … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 10(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 10 पाँच कृत्योंका प्रतिपादन, प्रणव एवं पंचाक्षर-मन्त्रकी महत्ता, ब्रह्मा- विष्णुद्वारा भगवान् शिवकी स्तुति तथा उनका अन्तर्धान)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 10(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 10 पाँच कृत्योंका प्रतिपादन, प्रणव एवं पंचाक्षर-मन्त्रकी महत्ता, ब्रह्मा- विष्णुद्वारा भगवान् शिवकी स्तुति तथा उनका अन्तर्धान) (अध्याय 10)    -ब्रह्मा और विष्णुने पूछा-प्रभो ! सृष्टि आदि पाँच कृत्योंके लक्षण क्या हैं, यह हम दोनोंको बताइये। भगवान् शिव बोले- मेरे कर्तव्योंको समझना अत्यन्त गहन है, तथापि मैं कृपापूर्वक … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 5 to 8(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 5 से 8 भगवान् शिवके लिंग एवं साकार विग्रहकी पूजाके रहस्य तथा महत्त्वका वर्णन)

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 5 to 8(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  अध्याय 5 से 8 भगवान् शिवके लिंग एवं साकार विग्रहकी पूजाके रहस्य तथा महत्त्वका वर्णन) (अध्याय 5 से 8)   :-सूतजी कहते हैं- शौनक ! जो श्रवण, शंकरके लिंग एवं मूर्तिकी स्थापना करके कीर्तन और मनन- इन तीनों साधनोंके नित्य उसकी पूजा करे तो संसार-सागरसे अनुष्ठानमें … Read more

Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 1(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  प्रथम अध्याय प्रयागमें सूतजीसे मुनियोंका तुरंत पापनाश करनेवाले साधनके विषयमें प्रश्न)

(श्रीपुराणपुरुषोत्तमाय नमः) (श्रीगणेशाय नमः) Shiv puran vidyeshwar samhita chapter 1(श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वरसंहिता  प्रथम अध्याय प्रयागमें सूतजीसे मुनियोंका तुरंत पापनाश करनेवाले साधनके विषयमें प्रश्न) आद्यन्तमङ्गलमजातसमानभाव-मार्यं तमीशमजरामरमात्मदेवम् । पञ्चाननं प्रबलपञ्चविनोदशीलं सम्भावये मनसि शङ्करमम्बिकेशम् ॥   जो आदि और अन्तमें (तथा मध्यमें भी) नित्य मंगलमय हैं, जिनकी समानता अथवा तुलना कहीं भी नहीं है, जो आत्माके स्वरूपको प्रकाशित करनेवाले … Read more

Shiv puran mahima chapter 6 or 7 (श्री शिवपुराण-माहात्म्य अध्याय 6 और सात शिवपुराणके श्रवणकी विधि तथा श्रोताओंके पालन करनेयोग्य नियमोंका वर्णन)

Shiv puran mahima chapter 6 or 7 (श्री शिवपुराण-माहात्म्य अध्याय 6 और सात शिवपुराणके श्रवणकी विधि तथा श्रोताओंके पालन करनेयोग्य नियमोंका वर्णन) (अध्याय 6 और सात) :-शौनकजी कहते हैं- महाप्राज्ञ व्यासशिष्य सूतजी ! आपको नमस्कार है। आप धन्य हैं, शिवभक्तोंमें श्रेष्ठ हैं। आपके महान् गुण वर्णन करनेयोग्य हैं। अब आप कल्याणमय शिवपुराणके श्रवणकी विधि बतलाइये, … Read more

Shiv puran mahima chapter 5 (श्री शिवपुराण-माहात्म्य अध्याय 5 चंचुलाके प्रयत्नसे पार्वतीजीकी आज्ञा पाकर तुम्बुरुका विन्ध्यपर्वतपर शिवपुराणकी कथा सुनाकर बिन्दुगका पिशाचयोनिसे उद्धार करना तथा उन दोनों दम्पतिका शिवधाममें सुखी होना)

Shiv puran mahima chapter 5 (श्री शिवपुराण-माहात्म्य अध्याय 5 चंचुलाके प्रयत्नसे पार्वतीजीकी आज्ञा पाकर तुम्बुरुका विन्ध्यपर्वतपर शिवपुराणकी कथा सुनाकर बिन्दुगका पिशाचयोनिसे उद्धार करना तथा उन दोनों दम्पतिका शिवधाममें सुखी होना) (अध्याय 5)   :-सूतजी बोले-शौनक ! एक दिन परमानन्दमें निमग्न हुई चंचुलाने उमादेवीके पास जाकर प्रणाम किया और दोनों हाथ जोड़कर वह उनकी स्तुति करने … Read more

Shiv puran mahima chapter 2 or 3(श्री शिवपुराण-माहात्म्य अध्याय 2-3 शिवपुराणके श्रवणसे देवराजको शिवलोककी प्राप्ति तथा चंचुलाका पापसे भय एवं संसार से वैराग्य)

Shiv puran mahima chapter 2 or 3(श्री शिवपुराण-माहात्म्य अध्याय 2 or 3 शिवपुराणके श्रवणसे देवराजको शिवलोककी प्राप्ति तथा चंचुलाका पापसे भय एवं संसार से वैराग्य)  (अध्याय 2)   :-श्रीशौनकजीने कहा-महाभाग सूतजी ! आप धन्य हैं, परमार्थ-तत्त्वके ज्ञाता हैं, आपने कृपा करके हमलोगोंको यह बड़ी अद्भुत एवं दिव्य कथा सुनायी है। भूतलपर इस कथाके समान कल्याणका … Read more

Shiv puran mahima chapter 1(श्री शिवपुराण-माहात्म्य प्रथम अध्याय:शौनकजी के साधन विषयक प्रश्न करने पर सूतजी का उन्हें शिवपुराण की उत्कृष्ट महिमा सुनाना)

(श्रीगणेशाय नमः) (श्रीशिवपुराण-माहात्म्य) “भवाब्धिमग्नं दीनं मां समुद्धर भवार्णवात्। कर्मग्राहगृहीताङ्गं दासोऽहं तव शङ्कर ।।”   Shiv puran mahima chapter 1(श्री शिवपुराण-माहात्म्य प्रथम अध्याय:शौनकजी के साधन विषयक प्रश्न करने पर सूतजी का उन्हें शिवपुराण की उत्कृष्ट महिमा सुनाना) (प्रथम अध्याय)   :-श्रीशौनकजी ने पूछा- महाज्ञानी सूतजी ! आप सम्पूर्ण सिद्धान्तों के ज्ञाता हैं। प्रभो! मुझसे पुराणों की … Read more

error: Content is protected !!