Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 10 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध: दशमोऽध्यायःकर्मकी गहन गतिका वर्णन तथा इस सम्बन्धमें भगवान् श्रीकृष्ण और अर्जुनका उदाहरण)

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 10 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध: दशमोऽध्यायःकर्मकी गहन गतिका वर्णन तथा इस सम्बन्धमें भगवान् श्रीकृष्ण और अर्जुनका उदाहरण)   [अथ दशमोऽध्यायः]   :-जनमेजय बोले – हे ब्रह्मन् ! आपने अद्भुत कर्म करनेवाले इन्द्रका आख्यान कहा, जिसमें उनके पदच्युत होने और दुःख प्राप्त करनेका विशेषरूपसे वर्णन किया गया है तथा जिसमें देवताओंकी … Read more

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 9 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:नवमोऽध्यायःशचीका इन्द्रसे अपना दुःख कहना, इन्द्रका शचीको सलाह देना कि वह नहुषसे ऋषियोंद्वारा वहन की जा रही पालकीमें आनेको कहे, नहुषका ऋषियोंद्वारा वहन की जा रही पालकीमें सवार होना और शापित होकर सर्प होना तथा इन्द्रका पुनः स्वर्गाधिपति बनना)

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 9 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:नवमोऽध्यायःशचीका इन्द्रसे अपना दुःख कहना, इन्द्रका शचीको सलाह देना कि वह नहुषसे ऋषियोंद्वारा वहन की जा रही पालकीमें आनेको कहे, नहुषका ऋषियोंद्वारा वहन की जा रही पालकीमें सवार होना और शापित होकर सर्प होना तथा इन्द्रका पुनः स्वर्गाधिपति बनना) [अथ नवमोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- विशाल नेत्रोंवाली अपनी … Read more

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 8 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:अथाष्टमोऽध्यायःइन्द्राणीको बृहस्पतिकी शरणमें जानकर नहुषका क्रुद्ध होना, देवताओंका नहुषको समझाना, बृहस्पतिके परामर्शसे इन्द्राणीका नहुषसे समय माँगना, देवताओंका भगवान् विष्णुके पास जाना और विष्णुका उन्हें देवीको प्रसन्न करनेके लिये अश्वमेधयज्ञ करनेको कहना, बृहस्पतिका शचीको भगवतीकी आराधना करनेको कहना, शचीकी आराधनासे प्रसन्न होकर देवीका प्रकट होना और शचीको इन्द्रका दर्शन होना)

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 8 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:अथाष्टमोऽध्यायःइन्द्राणीको बृहस्पतिकी शरणमें जानकर नहुषका क्रुद्ध होना, देवताओंका नहुषको समझाना, बृहस्पतिके परामर्शसे इन्द्राणीका नहुषसे समय माँगना, देवताओंका भगवान् विष्णुके पास जाना और विष्णुका उन्हें देवीको प्रसन्न करनेके लिये अश्वमेधयज्ञ करनेको कहना, बृहस्पतिका शचीको भगवतीकी आराधना करनेको कहना, शचीकी आराधनासे प्रसन्न होकर देवीका प्रकट होना और शचीको … Read more

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 7 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:सप्तमोऽध्यायःत्वष्टाका वृत्रासुरकी पारलौकिक क्रिया करके इन्द्रको शाप देना, इन्द्रको ब्रह्महत्या लगना, नहुषका स्वर्गाधिपति बनना और इन्द्राणीपर आसक्त होना)

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 7 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:सप्तमोऽध्यायःत्वष्टाका वृत्रासुरकी पारलौकिक क्रिया करके इन्द्रको शाप देना, इन्द्रको ब्रह्महत्या लगना, नहुषका स्वर्गाधिपति बनना और इन्द्राणीपर आसक्त होना) [अथ सप्तमोऽध्यायः]   :-व्यासजी बोले- इस प्रकार उसे गिरा हुआ देखकर मन-ही-मन हत्याके भयसे सशंकित भगवान् विष्णु वैकुण्ठलोकको चले गये ॥ १ ॥ तत्पश्चात् इन्द्र भी भयभीत होकर … Read more

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 6 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:षष्ठोऽध्यायःभगवान् विष्णुका इन्द्रको वृत्रासुरसे सन्धिका परामर्श देना, ऋषियोंकी मध्यस्थतासे इन्द्र और वृत्रासुरमें सन्धि, इन्द्रद्वारा छलपूर्वक वृत्रासुरका वध)

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 6 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:षष्ठोऽध्यायःभगवान् विष्णुका इन्द्रको वृत्रासुरसे सन्धिका परामर्श देना, ऋषियोंकी मध्यस्थतासे इन्द्र और वृत्रासुरमें सन्धि, इन्द्रद्वारा छलपूर्वक वृत्रासुरका वध) [अथ षष्ठोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- इस प्रकार वरप्राप्त उन देवता और तपस्वी ऋषिगणोंने (परस्पर मन्त्रणा करके वृत्रासुरके उत्तम आश्रमके लिये प्रस्थान किया) वहाँ तेजसे प्रकाशमान वृत्रासुरको देखा, जो तीनों लोकोंको … Read more

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 5 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:पञ्चमोऽध्यायःभगवान् विष्णुकी प्रेरणासे देवताओंका भगवतीकी स्तुति करना और प्रसन्न होकर भगवतीका वरदान देना)

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 5 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:पञ्चमोऽध्यायःभगवान् विष्णुकी प्रेरणासे देवताओंका भगवतीकी स्तुति करना और प्रसन्न होकर भगवतीका वरदान देना) [अथ पञ्चमोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- हे राजन् ! तब सभी तत्त्वोंके ज्ञाता माधव भगवान् विष्णु समस्त देवताओंको चिन्तासे व्याकुल तथा अत्यन्त प्रेमविह्वल देखकर कहने लगे ॥ १ ॥ विष्णु बोले- हे देवगण ! आप … Read more

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 4 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध: चतुर्थोऽध्यायःतपस्यासे प्रसन्न होकर ब्रह्माजीका वृत्रासुरको वरदान देना, त्वष्टाकी प्रेरणासे वृत्रासुरका स्वर्गपर आक्रमण करके अपने अधिकारमें कर लेना, इन्द्रका पितामह ब्रह्मा और भगवान् शंकरके साथ वैकुण्ठधाम जाना)

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 4 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध: चतुर्थोऽध्यायःतपस्यासे प्रसन्न होकर ब्रह्माजीका वृत्रासुरको वरदान देना, त्वष्टाकी प्रेरणासे वृत्रासुरका स्वर्गपर आक्रमण करके अपने अधिकारमें कर लेना, इन्द्रका पितामह ब्रह्मा और भगवान् शंकरके साथ वैकुण्ठधाम जाना) [अथ चतुर्थोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- उस वृत्रासुरको दृढ़प्रतिज्ञ देखकर तपमें विघ्न डालनेके लिये गये हुए देवगण अपने कार्यकी सिद्धिसे निराश … Read more

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 3 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:तृतीयोऽध्यायःवृत्रासुरका देवलोकपर आक्रमण, बृहस्पतिद्वारा इन्द्रकी भर्त्सना करना और वृत्रासुरको अजेय बतलाना, इन्द्रकी पराजय, त्वष्टाके निर्देशसे वृत्रासुरका ब्रह्माजीको प्रसन्न करनेके लिये तपस्यारत होना)

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 3 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:तृतीयोऽध्यायःवृत्रासुरका देवलोकपर आक्रमण, बृहस्पतिद्वारा इन्द्रकी भर्त्सना करना और वृत्रासुरको अजेय बतलाना, इन्द्रकी पराजय, त्वष्टाके निर्देशसे वृत्रासुरका ब्रह्माजीको प्रसन्न करनेके लिये तपस्यारत होना) [अथ तृतीयोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- [हे राजन् !] वेदोंमें पारंगत ब्राह्मणोंसे स्वस्तिवाचन कराकर महाबली वृत्रासुर रथपर सवार हो इन्द्रको मारनेके लिये चला ॥ १ ॥ … Read more

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 2 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्धःद्वितीयोऽध्यायःइन्द्रद्वारा त्रिशिराका वध, कुद्ध त्वष्टाद्वारा अथर्ववेदोक्त मन्त्रोंसे हवन करके वृत्रासुरको उत्पन्न करना और उसे इन्द्रके वधके लिये प्रेरित करना)

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 2 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्धःद्वितीयोऽध्यायःइन्द्रद्वारा त्रिशिराका वध, कुद्ध त्वष्टाद्वारा अथर्ववेदोक्त मन्त्रोंसे हवन करके वृत्रासुरको उत्पन्न करना और उसे इन्द्रके वधके लिये प्रेरित करना) [अथ द्वितीयोऽध्यायः]   :-व्यासजी बोले- इस प्रकार लोभके वशीभूत होकर पापबुद्धि देवराज इन्द्रने ऐरावत हाथीपर सवार हो त्रिशिराके पास जाकर उस अमेय पराक्रमवाले मुनिको देखा ॥ १ … Read more

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 1 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्धःप्रथमोऽध्यायः त्रिशिराकी तपस्यासे चिन्तित इन्द्रद्वारा तपभंगहेतु अप्सराओंको भेजना)

॥ श्रीजगद‌म्बिकायै नमः ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥  Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 1 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्धःप्रथमोऽध्यायः त्रिशिराकी तपस्यासे चिन्तित इन्द्रद्वारा तपभंगहेतु अप्सराओंको भेजना) [अथ प्रथमोऽध्यायः]   :-ऋषिगण बोले- हे महाभाग सूतजी ! आपकी वाणीरूपी अत्यन्त मधुर सुधाका पान करके अभी हम सन्तृप्त नहीं हुए हैं। कृष्णद्वैपायन वेदव्यासजीने जिस उत्तम श्रीमद्देवीभागवत … Read more

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