Devi bhagwat puran skandh 2 chapter 1(देवी भागवत पुराण द्वितीयः स्कन्धःप्रथमोऽध्यायःब्राह्मणके शापसे अद्रिका अप्सराका मछली होना और उससे राजा मत्स्य तथा मत्स्यगन्धाकी उत्पत्ति):

॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ Devi bhagwat puran skandh 2 chapter 1(देवी भागवत पुराण द्वितीयः स्कन्धःप्रथमोऽध्यायःब्राह्मणके शापसे अद्रिका अप्सराका मछली होना और उससे राजा मत्स्य तथा मत्स्यगन्धाकी उत्पत्ति) [अथ प्रथमोऽध्यायः] ऋषिगण बोले- [हे सूतजी!] आपकी यह बात आश्चर्यजनक एवं रहस्यपूर्ण है। इस सम्बन्धमें हम सब तपस्वियोंको महान् सन्देह … Read more

Devi bhagwat puran skandh 1 chapter 20(देवी भागवत पुराण प्रथम स्कंध:विंशोऽध्यायःसत्यवतीका राजा शन्तनुसे विवाह तथा दो पुत्रोंका जन्म, राजा शन्तनुकी मृत्यु, चित्रांगदका राजा बनना तथा उसकी मृत्यु, विचित्रवीर्यका काशिराजकी कन्याओंसे विवाह और क्षयरोगसे मृत्यु, व्यासजीद्वारा धृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुरकी उत्पत्ति)

Devi bhagwat puran skandh 1 chapter 20(देवी भागवत पुराण प्रथम स्कंध:विंशोऽध्यायःसत्यवतीका राजा शन्तनुसे विवाह तथा दो पुत्रोंका जन्म, राजा शन्तनुकी मृत्यु, चित्रांगदका राजा बनना तथा उसकी मृत्यु, विचित्रवीर्यका काशिराजकी कन्याओंसे विवाह और क्षयरोगसे मृत्यु, व्यासजीद्वारा धृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुरकी उत्पत्ति) [अथ विंशोऽध्यायः] -ऋषियोंने कहा – [हे सूतजी !] शुकदेवजीको – जब परम सिद्धि प्राप्त हो … Read more

Devi bhagwat puran skandh 1 chapter 19(देवी भागवत पुराण प्रथम स्कंध:अथैकोनविंशोऽध्यायःशुकदेवजीका व्यासजीके आश्रममें वापस आना, विवाह करके सन्तानोत्पत्ति करना तथा परम सिद्धिकी प्राप्ति करना)

Devi bhagwat puran skandh 1 chapter 19(देवी भागवत पुराण प्रथम स्कंध:अथैकोनविंशोऽध्यायःशुकदेवजीका व्यासजीके आश्रममें वापस आना, विवाह करके सन्तानोत्पत्ति करना तथा परम सिद्धिकी प्राप्ति करना [अथैकोनविंशोऽध्यायः]   -शुकदेवजी बोले- हे महाराज ! मेरे हृदयमें यह शंका हो रही है कि मायामें लिप्त रहते हुए कोई मनुष्य निःस्पृह कैसे हो सकता है? शास्त्रका ज्ञान प्राप्त करके नित्यानित्यका … Read more

Devi bhagwat puran skandh 1 chapter 18(देवी भागवत पुराण प्रथम स्कंध:अथाष्टादशोऽध्यायः शुकदेवजीके प्रति राजा जनकका उपदेश)देवी भागवत पुराण प्रथम स्कंध:)

Devi bhagwat puran skandh 1 chapter 18(देवी भागवत पुराण प्रथम स्कंध:अथाष्टादशोऽध्यायः शुकदेवजीके प्रति राजा जनकका उपदेश) [अथाष्टादशोऽध्यायः]   -सूतजी बोले – शुकदेवजीको आया हुआ सुनकर पवित्रात्मा राजा जनक अपने पुरोहितको आगे करके मन्त्रियोंसहित उन गुरुपुत्रके पास गये ॥ १ ॥ महाराज जनकने उन्हें बड़े आदरसे उत्तम आसन देकर विधिवत् सत्कार करनेके पश्चात् एक दूध देनेवाली … Read more

Devi bhagwat puran skandh 1 chapter 17(देवी भागवत पुराण प्रथम स्कंध: सप्तदशोऽध्यायःशुकदेवजीका राजा जनकसे मिलनेके लिये मिथिलापुरीको प्रस्थान तथा राजभवनमें प्रवेश)

Devi bhagwat puran skandh 1 chapter 17(देवी भागवत पुराण प्रथम स्कंध:सप्तदशोऽध्यायःशुकदेवजीका राजा जनकसे मिलनेके लिये मिथिलापुरीको प्रस्थान तथा राजभवनमें प्रवेश) [अथ सप्तदशोऽध्यायः]   -सूतजी बोले- [हे मुनियो!] पितासे यह कहकर महात्मा पुत्र शुकदेवजी उनके चरणोंपर गिर पड़े तथा हाथ जोड़कर चलनेकी इच्छासे बोले- हे महाभाग ! अब आपसे आज्ञा चाहता हूँ। मुझे आपका वचन स्वीकार्य … Read more

Devi bhagwat puran skandh 1 chapter 16(देवी भागवत पुराण प्रथम स्कंध:षोडशोऽध्यायःबालरूपधारी भगवान् विष्णुसे महालक्ष्मीका संवाद, व्यासजीका शुकदेवजीसे देवीभागवतप्राप्तिकी परम्परा बताना तथा शुकदेवजीका मिथिला जानेका निश्चय करना)

Devi bhagwat puran skandh 1 chapter 16(देवी भागवत पुराण प्रथम स्कंध:षोडशोऽध्यायःबालरूपधारी भगवान् विष्णुसे महालक्ष्मीका संवाद, व्यासजीका शुकदेवजीसे देवीभागवतप्राप्तिकी परम्परा बताना तथा शुकदेवजीका मिथिला जानेका निश्चय करना) [अथ षोडशोऽध्यायः]   -व्यासजी बोले- इस प्रकार वटपत्रपर सोये हुए उन भगवान् विष्णुको आश्चर्यचकित देखकर मन्द मुसकान करती हुई देवीने यह वचन कहा- ‘विष्णो ! आप विस्मयमें क्यों पड़े … Read more

Devi bhagwat puran skandh 1 chapter 15 (देवी भागवत पुराण प्रथम स्कंध: पञ्चदशोऽध्यायः शुकदेवजीका विवाहके लिये अस्वीकार करना तथा व्यासजीका उनसे श्रीमद्देवीभागवत पढ़नेके लिये कहना)

Devi bhagwat puran skandh 1 chapter 15 (देवी भागवत पुराण प्रथम स्कंध:पञ्चदशोऽध्यायःशुकदेवजीका विवाहके लिये अस्वीकार करना तथा व्यासजीका उनसे श्रीमद्देवीभागवत पढ़नेके लिये कहना) (अथ पञ्चदशोऽध्यायः) -श्रीशुकदेवजी बोले- हे पिताजी ! सर्वदा दुःख देनेवाले गृहस्थाश्रमको मैं कभी स्वीकार नहीं करूँगा; क्योंकि [पशु-पक्षियोंको फँसानेवाले] जालके समान यह आश्रम सभी मानवोंके लिये सदा बन्धनस्वरूप है ॥ १ ॥ … Read more

Devi bhagwat puran skandh 1 chapter 14 (देवी भागवत पुराण प्रथम स्कन्ध:चतुर्दशोऽध्यायःव्यासपुत्र शुकदेवके अरणिसे उत्पन्न होनेकी कथा तथा व्यासजीद्वारा उनसे गृहस्थधर्मका वर्णन)

Devi bhagwat puran skandh 1 chapter 14 (देवी भागवत पुराण प्रथम स्कन्ध:चतुर्दशोऽध्यायःव्यासपुत्र शुकदेवके अरणिसे उत्पन्न होनेकी कथा तथा व्यासजीद्वारा उनसे गृहस्थधर्मका वर्णन) [अथ चतुर्दशोऽध्यायः] :-सूतजी बोले- उस सुन्दरी असितापांगी घृताचीको देखकर व्यासजी बड़े असमंजसमें पड़े और सोचने लगे कि यह देवकन्या अप्सरा मेरे योग्य नहीं है, अतः अब मैं क्या करूँ ? वह अप्सरा भी … Read more

Devi bhagwat puran skandh 1 chapter 13(देवी भागवत पुराण प्रथम स्कन्ध:त्रयोदशोऽध्यायः राजा पुरूरवा और उर्वशीकी कथा)

Devi bhagwat puran skandh 1 chapter 13(देवी भागवत पुराण प्रथम स्कन्ध:त्रयोदशोऽध्यायः राजा पुरूरवा और उर्वशीकी कथा) [अथ त्रयोदशोऽध्यायः]   :-सूतजी बोले – सुद्युम्नके दिवंगत हो जानेपर प्रजानुरंजनमें तत्पर, गुणी एवं सुन्दर महाराज पुरूरवा राज्य करने लगे। उस रमणीय प्रतिष्ठानपुरमें सर्वधर्मज्ञ तथा प्रजाकी रक्षामें तत्पर राजा पुरूरवाने सभीके द्वारा आदरणीय राज्य किया ॥ १-२ ॥ उनकी … Read more

Devi bhagwat puran skandh 1 chapter 12(देवी भागवत पुराण प्रथम स्कन्ध:द्वादशोऽध्यायः राजा सुद्युम्नकी इला नामक स्त्रीके रूपमें परिणति, इलाका बुधसे विवाह और पुरूरवाकी उत्पत्ति, भगवतीकी स्तुति करनेसे इलारूपधारी राजा सुद्युम्नकी सायुज्यमुक्ति)

Devi bhagwat puran skandh 1 chapter 12(देवी भागवत पुराण प्रथम स्कन्ध:द्वादशोऽध्यायःराजा सुद्युम्नकी इला नामक स्त्रीके रूपमें परिणति, इलाका बुधसे विवाह और पुरूरवाकी उत्पत्ति, भगवतीकी स्तुति करनेसे इलारूपधारी राजा सुद्युम्नकी सायुज्यमुक्ति)   [अथ द्वादशोऽध्यायः] :-सूतजी बोले – तदनन्तर इलाके गर्भसे पुरूरवाने जन्म लिया, यह प्रसंग मैं आपलोगोंसे कहता हूँ। वे बुधपुत्र पुरूरवा बड़े धर्मात्मा, यज्ञ करनेवाले … Read more

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