Bhagwat puran skandh 8 chapter 3 (भागवत पुराण अष्टम: स्कन्ध:अध्याय 3 गजेन्द्रके द्वारा भगवान्‌की स्तुति और उसका संकटसे मुक्त होना)

Bhagwat puran skandh 8 chapter 3 (भागवत पुराण अष्टम: स्कन्ध:अध्याय 3 गजेन्द्रके द्वारा भगवान्‌की स्तुति और उसका संकटसे मुक्त होना) (संस्कृत श्लोक:-)   श्रीशुक उवाच एवं व्यवसितो बुद्धया समाधाय मनो हृदि । जजाप परमं जाप्यं प्राग्जन्मन्यनुशिक्षितम् ।।१ श्रीशुकदेवजी कहते हैं- परीक्षित् ! अपनी बुद्धिसे ऐसा निश्चय करके गजेन्द्रने अपने मनको हृदयमें एकाग्र किया और फिर … Read more

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