Bhagwat puran skandh 4 chapter 21(भागवत पुराण चतुर्थः स्कन्धःअथैकविंशोऽध्यायः महाराज पृथुका अपनी प्रजाको उपदेश)
Bhagwat puran skandh 4 chapter 21(भागवत पुराण चतुर्थःस्कन्धःअथैकविंशोऽध्यायः महाराज पृथुका अपनी प्रजाको उपदेश) अथैकविंशोऽध्यायः महाराज पृथुका अपनी प्रजाको उपदेश संस्कृत श्लोक :- मैत्रेय उवाच मौक्तिकैः कुसुमस्रग्भिर्दुकूलैः स्वर्णतोरणैः । महासुरभिभिधूपैर्मण्डितं तत्र तत्र वै ।।१ चन्दनागुरुतोयार्द्ररथ्याचत्वरमार्गवत् । पुष्पाक्षतफलैस्तोक्मैर्लाजैरर्चिर्भिरर्चितम् ।।२ हिंदी अनुवाद :- श्रीमैत्रेयजी कहते हैं- विदुरजी ! उस समय महाराज पृथुका नगर सर्वत्र मोतियोंकी लड़ियों, फूलोंकी मालाओं, … Read more