Chanakya niti in hindi :-(चाणक्य नीति सम्पूर्ण हिन्दी अर्थ सहित)

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Chanakya niti in hindi :-(चाणक्य नीति सम्पूर्ण हिन्दी अर्थ सहित)


चाणक्य नीति


*Chanakya niti in hindi*

चाणक्य नीति चाणक्य द्वारा रचित सूक्तियों का एक संग्रह है। यह प्राचीन भारतीय शिक्षक और राजनेता द्वारा दिए गए विचारों और कथनों का एक संग्रह है, जिनमें से कई इस दिन और युग में भी एक अच्छा और उत्पादक जीवन जीने के तरीके के बारे में बहुमूल्य सुझाव देते हैं। चाणक्य नीति चौथी और तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के बीच लिखी गई थी।

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चाणक्य नीति के सभी अध्याय:-


*Chanakya niti in hindi*

Chanakya niti in hindi

(1.) चाणक्य नीति पहला अध्याय”

(2.) चाणक्य नीति दूसरा अध्याय”

(3.) चाणक्य नीति तीसरा अध्याय ”

(4.) चाणक्य नीति चौथा अध्याय ”

(5.) चाणक्य नीति पांचवां अध्याय ”

(6.) चाणक्य नीति छठवां अध्याय”

(7.) चाणक्य नीति सातवां अध्याय”

(8.) चाणक्य नीति आठवां अध्याय”

(9.) चाणक्य नीति नवां अध्याय”

(10.) चाणक्य नीति दसवां अध्याय”

(11.) चाणक्य नीति ग्यारहवां अध्याय”

(12.) चाणक्य नीति बारहवां अध्याय”

(13.) चाणक्य नीति तेरहवां अध्याय”

(14.) चाणक्य नीति चौदहवां अध्याय”

(15.) चाणक्य नीति पंद्रहवां अध्याय”

(16.) चाणक्य नीति सोलहवां अध्याय”

(17.) चाणक्य नीति सत्रहवां अध्याय”


चाणक्य कौन थे?

*Chanakya niti in hindi*

चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, पहले मौर्य राजा चंद्रगुप्त मौर्य (322-185) ईसा पूर्व के मुख्यमंत्री और सलाहकार थे। यह चाणक्य ही थे जिन्होंने चंद्रगुप्त को उस समय प्राचीन भारत के सबसे शक्तिशाली राज्य नंदों से मगध की गद्दी हासिल करने में मदद की थी। उन्हें मौर्य साम्राज्य की स्थापना के पीछे की ताकत और राज्य की सुदृढ़ प्रशासनिक मशीनरी के लिए भी श्रेय दिया जाता है।

चाणक्य राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अग्रणी थे। वे अर्थशास्त्र के लेखक भी हैं जो शासन कला, सैन्य रणनीति और आर्थिक नीति पर एक ग्रंथ है।

चाणक्य के विचार और सिद्धांत चतुर और व्यावहारिक माने जाते हैं और मानव मन की गहरी अंतर्दृष्टि प्रकट करते हैं। उनकी तुलना अक्सर इतालवी राजनेता निकोलो मैकियावेली और कभी-कभी अरस्तू और प्लेटो से भी की जाती है।चाणक्य के अनुसार, राजा की खुशी उसकी प्रजा की खुशी में निहित है।


चाणक्य नीति


*Chanakya niti in hindi*

प्रणम्य शिरसा विष्णु प्रैलोक्याधिपति प्रभुम् ।
नानाशास्त्रोद्धृतं वक्ष्ये राजनीतिसमुच्चयम् ।।१।।

अर्थ– तीनो लोको के स्वामी सर्वशक्तिमान भगवान विष्णु को नमन करते हुए मै एक राज्य के लिए नीति शास्त्र के सिद्धांतों को कहता हूँ। मै यहसूत्र अनेक शाखों का आधार ले कर कह रहा हूँ।

Meaning: Humbly bowing down before the almighty Lord Sri Vishnu, the Lord of the three worlds, I recite maxims of the science of political ethics (niti) selected from the various satras (scriptures).


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अधीत्येदं यथाशास्त्रं नरोजानाति सत्तमः ।
धर्मोपदेश विख्यातं कार्याऽकार्य शुभाऽशुभम् ।।२।।

अर्थ– जो व्यक्ति शास्त्रों के सूत्रों का अभ्यास करके ज्ञान ग्रहण करेगा उसे अत्यंत वैभवशाली कर्तव्य के सिद्धांत ज्ञात होगे। उसे इस बात का पता चलेगा कि किन बातों का अनुशरण करना चाहिए और किनका नहीं। उसे अच्छाई और बुराई का भी ज्ञात होगा और अंततः उसे सर्वोत्तम का भी ज्ञानहोगा।

Meaning: That man who by the study of these maxims from the satras acquires a knowledge of the most celebrated principles of duty, and understands what ought and what ought not to be followed, and what is good and what is bad, is most excellent.


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तदहं संप्रवक्ष्यामि लोकानां हितकाम्यया ।
येन विज्ञानमात्रेण सर्वज्ञत्वं प्रपद्यते ।।३।।

अर्थ– इसलिए लोगों का भला करने के लिए मै उन बातों को कहूंगा जिनसे लोग सभी चीजों को सही परिपेक्ष्य में देखेंगे।Meaning: Therefore with an eye to the public good, I shall speak that which, when understood, will lead to an understanding of things in their proper perspective.


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मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च।
दुःखिते सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यवसीदति ।।४।।

अर्थ– एक पंडित भी घोर कष्ट में आ जाता है यदि वह किसी मुर्ख को उपदेशदेता है, यदि वह एक दुष्ट पत्नी का पालन-पोषण करता है या किसी दुखीव्यक्ति के साथ अतयंत घनिष्ठ सम्बन्ध बना लेता है.Meaning: Even a pandit comes to grief by giving instruction to a foolish disciple, by maintaining a wicked wife, and by excessive familiarity with the miserable.


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दुष्टाभार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायकः ।
संसर्प च गृहे वासो मृत्युरेव नः संशयः ।।५।।

अर्थ– दुष्ट पत्नी, झूठा मित्र, बदमाश नौकर और सर्प के साथ निवास साक्षातमृत्यु के समान है।

Meaning: A wicked wife, a false friend, a saucy servant and living in a house with a serpent in it are nothing but death.


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आपदर्थे धनं रक्षेद्दारान रक्षेदनरपि ।
आत्मानं सततं रक्षेद्दारैरपि धनैरपि ।।६।।

अर्थ– व्यक्ति को आने वाली मुसीबतों से निबटने के लिए धन संचय करना चाहिए। उसे धन-सम्पदा त्यागकर भी पत्नी की सुरक्षा करनी चाहिए। लेकिन यदि आत्मा की सुरक्षा की बात आती है तो उसे धन और पत्नी दोनो को तुक्ष्य समझना चाहिए।

Meaning: One should save his money against hard times, save his wife at the sacrifice of his riches, but invariably one should save his soul even at the sacrifice of his wife and riches.


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आपदार्थे धनं रक्षेच्छ्रीमतां कुत आपदः ।
कदाचिच्चलते लक्ष्मीसंचितोऽपिविनश्यति ।।७।।

अर्थ– भविष्य में आने वाली मुसीबतो के लिए धन एकत्रित करें। ऐसा ना सोचें की धनवान व्यक्ति को मुसीबत कैसी जब धन साथ छोड़ता है तो संगठित धन भी तेजी से घटने लगता है।

Meaning: Save your wealth against future calamity. Do not say, “What fear has a rich man, of calamity?” When riches begin to forsake one even the accumulated stock dwindles away.


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यस्मिन् देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवः ।
नच विद्यागमऽप्यस्तिवासस्तत्रन कारयेत् ।।८।।

अर्थ– उस देश में निवास न करें जहाँ आपकी कोई ईज्जत नहीं हो, जहा आप रोजगार नहीं कमा सकते, जहा आपका कोई मित्र नहीं और जहा आप कोई ज्ञान आर्जित नहीं कर सकते।

Meaning: Do not inhabit a country where you are not respected, cannot earn your livelihood, have no friends, or cannot acquire knowledge.


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धनिकः श्रोत्रियो राजा नदी वैद्यस्तु पञ्चमः।
पञ्च यत्र न विद्यन्ते न तत्र दिवस वसेत् ।।९।।

अर्थ– ऐसे जगह एक दिन भी निवास न करें जहाँ निम्नलिखित पांच ना हो -एक धनवान व्यक्ति, एक ब्राह्मण जो वैदिक शास्त्रों में निपुण हो, एक राजा, एक नदी,और एक चिकित्सक।

Meaning: Do not stay for a single day where there are not these five persons: a wealthy man, a brahmin well versed in Vedic lore, a king, a river and a physician.


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लोकयात्रा भयं लज्जा दाक्षिण्यं त्यागशीलता ।
पञ्च यत्र न विद्यन्ते न कुर्यात्तत्रसगतिम् ।।१०।।

अर्थ– बुद्धिमान व्यक्ति को ऐसे देश में कभी नहीं जाना चाहिए जहाँ रोजगार कमाने का कोई माध्यम ना हो, जहाँ लोगों को किसी बात का भय न हो, जहाँ लोगो को किसी बात की लज्जा न हो, जहाँ लोग बुद्धिमान न हो,और जहाँ लोगों की वृत्ति दान धरम करने की ना हो।

Meaning: Wise men should never go into a country where there are no means of earning one’s livelihood, where the people have no dread of anybody, have no sense of shame, no intelligence, or a charitable disposition.


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जानीयात् प्रेषणे भृत्यान् बान्धवान् व्यसनागमे।
मित्रं चापत्तिकाले तु भार्या च विभवक्षये ।।११।।

अर्थ– नौकर की परीक्षा तब करें जब वह कर्तव्य का पालन न कर रहा हो, रिश्तेदार की परीक्षा तब करें जब आप मुसीबत मे घिरै हो, मित्र की परीक्षा विपरीत परिस्थितियों में करें, और जब आपका वक्त अच्छा न चल रहा हो तब पत्नी की परीक्षा करे।

Meaning: Examine the servant when he is not performing his duty, test the relative when you are in trouble, test the friend under adverse circumstances, and test the wife when you are not having a good time.


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आतुरे व्यसने प्राप्ते दुर्भिक्षे शत्रुसंकरे।
राजद्वारेश्मशाने च यस्तिष्ठति स बान्धवः ।।१२।।

अर्थ– अच्छा मित्र वही है जो हमे निम्नलिखित परिस्थितियों में नहीं त्यागे आवश्यकता पड़ने पर, किसी दुर्घटना पड़ने पर, जब अकाल पड़ा हो,जब युद्ध चल रहा हो, जब हमे राजा के दरबार में जाना पड़े, और जब हमे समशान घाट जाना पड़े।

Meaning: He is a true friend who does not forsake us in time of need, misfortune, famine, or war, in a king’s court, or at the crematorium (smasana).


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यो ध्रुवाणि परित्यज्य अध्रुवं परिषेवते ।
ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति अध्रुवं नष्टमेव हि ।।१३।।

अर्थ– जो व्यक्ति कसी नाशवंत चीज के लिए कभी नाश नहीं होने वाली चीज को छोड़ देता है, तो उसके हाथ से अविनाशी वस्तु तो चली ही जाती है औरइसमें कोई संदेह नहीं की नाशवान को भी वह खो देता है।

Meaning: He who gives up what is imperishable for that which is perishable, loses that which is imperishable; and doubtlessly loses that which is perishable also.


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वरयेत्कुलजां प्राज्ञो विरूपामपि कन्यकाम् ।
रूपीला न नीचस्य विवाहः सदो कुले ।।१४।।

अर्थ– एक बुद्धिमान व्यक्ति को किसी इज्जतदार घर की अविवाहित कन्यासे किस वयग होने के बावजूद भी विवाह करना चाहिए। उसे किसी हीन घरकी अत्यंत सुन्दर स्त्री से भी विवाह नहीं करनी चाहिए। शादी-विवाह हमेशाबराबरी के घरो मे ही उचित होता है।

Meaning: A wise man should marry a virgin of a respectable family even if she is deformed. He should not marry one of a low-class family, through beauty. Marriage in a family of equal status is preferable.


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नदीनां शस्त्रपाणीनां नखीनां श्रगिणां तथा।
विश्वासो नैव कर्तव्यःस्त्रीषुराजकुलेषु च ।।१५।।

अर्थ– इन ५ पर कभी विश्वास ना करें
१. नदियां,
२. जिन व्यक्तियों के पास अश्त्र-शस्त्र हो,
३. नाखून और सींग वाले पशु.__
४. औरतें (यहाँ संकेत भोली सूरत की तरफ है, बहने बुरा न माने)
५. राज घरानों के लोगों पर।

Meaning: Do not put your trust in rivers, men who carry weapons, beasts with claws or horns, women, and members of a royal family.


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विषादप्यमृतं ग्राह्यममेध्यादपि काञ्चनम् ।
नीचादप्युत्तमा विद्यास्त्रीरत्नं दुष्कुलादमि ।।१६।।

अर्थ– अगर हो सके तो विष में से भी अमृत निकाल लें, यदि सोना गन्दगी में भी पड़ा हो तो उसे उठाये, धोएं और अपनायें, निचले कुल में जन्म लेने वाले से भी सर्वोत्तम ज्ञान ग्रहण करें, उसी तरह यदि कोई बदनाम घर की कन्या भी महान गुणों से सम्पन्न है औरआपको कोई सीख देती है तो ग्रहण करे।

Meaning: Even from poison extract nectar, wash and take back gold if it has fallen in filth, receive the highest knowledge (Krsna consciousness) from a low born person; so also a girl possessing virtuous qualities (stri-ratna) even if she were born in a disreputable family.


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स्त्रीणां द्विगुण आहारों लज्जा चापि चतुर्गणा।
साहसं षड्गुणं चैव कामश्चाष्टगुणः स्मृत ।।१७।।

अर्थ– महिलाओं में पुरुषों कि अपेक्षाभूख दो गुना,लज्जा चार गुना,साहस छ गुना,और काम आठ गुना होती है।

Meaning: Women have hunger two-fold, shyness four-fold, daring six-fold, and lust eight-fold as compared to men.


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अनृतं साहसं माया मूर्खत्वमतिलोभिता ।
अशौचत्वं निर्दयत्वं स्त्रीणांदोषास्वभावजाः ।।१।।
अर्थ– झूठ बोलना, कठोरता, छल करना, बेवकूफी करना, लालच, अपवित्रता और निर्दयता ये औरतो के कुछ नैसर्गिक दुर्गुण है।

Meaning– Untruthfulness, rashness, guile, stupidity, avarice, uncleanliness and cruelty are a woman’s seven natural flaws.


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भोज्यं भोजनशक्तिश्च रतिशक्तिवराङ्गना ।

विभवो दानशक्तिश्च नाऽल्पस्य तपसः फलम् ।।२।।

अर्थ– भोजन के योग्य पदार्थ और भोजन करने की क्षमता, सुन्दर स्त्री और उसे भोगने के लिए काम शक्ति, पर्याप्त धनराशी तथा दान देने की भावना ऐसे संयोगों का होना सामान्य तप का फल नहीं।

Meaning– To have ability for eating when dishes are ready at hand, to be robust and virile in the company of one’s religiously wedded wife, and to have a mind for making charity when one is prosperous are the fruits of no ordinary austerities.


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यस्य पुत्रो वशीभूतो भार्या छन्दानुगामिनी ।
विभवे यश्च सन्तुष्टस्तस्य वर्ग इहैव हि ।।३।।
 

अर्थ– उस व्यक्ति ने धरती पर ही स्वर्ग को पा लिया
१. जिसका पुत्र आज्ञाकारी है,
२. जिसकी पत्नी उसकी इच्छा के अनुरूप व्यव्हार करती है,
३. जिसे अपने धन पर संतोष है।

Meaning– He whose son is obedient to him, whose wife’s conduct is in accordance with his wishes, and who is content with his riches, has his heaven here on earth.


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ते पुत्रा ये पितुर्भक्ताः स पिता यस्तु पोषकः ।
तन्मित्रंयत्रविश्वासःसा भार्या यत्र नितिः ।।४।।
अर्थ– पुत्र वही है जो पिता का कहना मानता हो, पिता वही है जो पुत्रों कापालन-पोषण करे, मित्र वही है जिस पर आप विश्वास कर सकते हो औरपत्नी वही है जिससे सुख प्राप्त हो।

Meaning– They alone are sons who are devoted to their father. He is a father who supports his sons. He is a friend in whom we can confide, and she only is a wife in whose company the husband feels contented and peaceful.


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परोक्षे कार्यहन्तारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम्।।

वर्जयेत्तादृशं मित्रं विषकुम्भम्पयोमुखम् ।।५।।

अर्थ– ऐसे लोगों से बचे जो आपके मुह पर तो मीठी बातें करते हैं, लेकिनआपके पीठ पीछे आपको बर्बाद करने की योजना बनाते हैं, ऐसा करने वालेतो उस विष के घड़े के समान है जिसकी उपरी सतह दूध से भरी है।

Meaning– Avoid him who talks sweetly before you but tries to ruin you behind your back, for he is like a pitcher of poison with milk on top.


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न विवसेत्कुमित्रे च मित्रे चापि न विश्वसेत् ।
कदाचित्कुपितं मित्रं सर्वगृह्य प्रकाशयेत् ।।६।।
 
अर्थ– एक बुरे मित्र पर तो कभी विश्वास ना करे। एक अच्छे मित्र पर भी विश्वास ना करें। क्यूंकि यदि ऐसे लोग आपसे रुष्ट होते है तो आप के सभी राज से पर्दा खोल देंगे।

Meaning– Do not put your trust in a bad companion nor even trust an ordinary friend, for if he should get angry with you, he may bring all your secrets to light.


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मनसा चिन्तितं कार्य वचसा न प्रकाशयेत् ।

मंत्रेण रक्षयेद् गूढं कायं चापि नियोजयेत् ।।७।।

अर्थ– मन में सोचे हुए कार्य को किसी के सामने प्रकट न करें बल्कि मनन पूर्वक उसकी सुरक्षा करते हुए उसे कार्य में परिणत कर दें।

Meaning– Do not reveal what you have thought upon doing, but by wise counsel keep it secret, being determined to carry it into execution.


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कटञ्च खलु मूर्खत्वं कष्ट च खलु यौवनम्।
कटात् कारतरं चैव परगेहे निवासनम् ।।८।।

अर्थ– मुर्खता दुखदायी है, जवानी भी दुखदायी है, लेकिन इन सबसे कहीं ज्यादा दुखदायी किसी दुसरे के घर जाकर उसका अहसान लेना है।

Meaning– Foolishness is indeed painful, and verily so is youth, but more painful by far than either is being obliged in another person’s house.


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शैले शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे गजे।
साधवी नहि सर्वत्र चन्दनं न वने वने ।।९।।

अर्थ– हर पर्वत पर माणिक्य नहीं होते, हर हाथी के सर पर मणी नहीं होता, सज्जन पुरुष भी हर जगह नहीं होते और हर वन में चन्दन के वृक्ष भी नहीं होते हैं।

Meaning– There does not exist a pearl in every mountain, nor a pearl in the head of every elephant; neither are the sadhus to be found everywhere, nor sandal trees in every forest.
[Note: Only elephants in royal palaces are seen decorated with pearls (precious stones) on

their heads].


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पुत्राश्च विविधः शीलनियोज्याः सततं बुधः।

नीतिज्ञाः शीलसम्पन्ना भवन्ति कुलपूजिताः ।।१०।।

अर्थ– बुद्धिमान पिता को अपने पुत्रों को शुभ गुणों की सीख देनी चाहिए। क्योंकि नीतिज्ञ और ज्ञानी व्यक्तियों की ही कुल में पूजा होती है।

Meaning– Wise men should always bring up their sons in various moral ways, for children who have knowledge of niti-sastra and are well behaved become a glory to their family.


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माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो न पाठितः।
न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये वको यथा ।।११।।
अर्थ– जो माता व पिता अपने बच्चों को शिक्षा नहीं देते है वो तो बच्चों के शत्रु के सामान हैं। क्योंकि वे विद्याहीन बालक विद्वानों की सभा में वैसे ही तिरस्कृत किये जाते हैं जैसे हंसो की सभा में बगुले।

Meaning– Those parents who do not educate their sons are their enemies; for as is a crane among swans, so are ignorant sons in a public assembly.


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लालनाद् बहवो दोषास्ताडना बहवो गुणाः।
तस्मात्पुत्र च शिष्यं च ताडयेजतुलालयेत् ।।१२।।

अर्थ– लाड-प्यार से बच्चों में गलत आदतें ढलती है, उन्हें कड़ी शिक्षा देने से वे अच्छी आदते सीखते है, इसलिए बच्चों को जरूरत पड़ने पर दण्डित करें, ज्यादा लाड ना करें।

Meaning– Many a bad habit is developed through over indulgence, and many a good one by chastisement, therefore beat your son as well as your pupil; never indulge them. (“Spare the rod and spoil the child.”)


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श्लोकेन वा तदर्धन पादेनकाक्षरेण वा।

अवन्ध्यं दिवसं कुर्याद्दानाध्ययनकर्मभिः ।।१३।।

अर्थ– ऐसा एक भी दिन नहीं जाना चाहिए जब आपने एक श्लोक, आधाश्लोक, चौधाई श्लोक, या श्लोक का केवल एक अक्षर नहीं सीखा, या आपनेदान, अभ्यास या कोई पवित्र कार्य नहीं किया।

Meaning– Let not a single day pass without your learning a verse, half a verse, or a fourth of it, or even one letter of it; nor without attending to charity, study and other pious activity.


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कान्ता वियोगः स्वजनापमानि।
ऋणस्य शेष कुनृपस्य सेवा ।।
दरिद्रभावो विषमा सभा च ।
विनाग्निना ते प्रदहन्ति कायम् ।।१४।।

अर्थ– पत्नी का वियोग होना, आपने ही लोगों से बे-इजजत होना, बचा हुआ ऋण, दुष्ट राजा की सेवा करना, गरीबी एवं दरिदों की सभा ये छह बातें शरीर को बिना अग्नि के ही जला देती हैं।

Meaning– Separation from the wife, disgrace from one’s own people, an enemy saved in battle, service to a wicked king, poverty, and a mismanaged assembly: these six kinds of evils, if afflicting a person, burn him even without fire.


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नदीतीरे च ये वृक्षाः परगेहेषु कामिनी ।

मंत्रिहीनाश्व राजानः शीघ्रं नश्यन्त्यसंशयम् ।।१५।।

अर्थ– नदी के किनारे वाले वृक्ष, दुसरे व्यक्ति के घर में जाने अथवा रहने वाली स्त्री एवं बिना मंत्रियों का राजा, ये सब निश्चय ही शीघ्र नष्ट हो जाते हैं।

Meaning– Trees on a riverbank, a woman in another man’s house, and kings without counselors go without doubt to swift destruction.


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बलं विद्या च विप्राणां राज्ञा सैन्यबलं तथा।
बलंबित्तञ्चवैश्यानां शूद्राणां परिचर्यिका ।।१६।।

अर्थ– एक ब्राह्मण का बल तेज और विद्या है, एक राजा का बल उसकी सेना मे है, एक वैशय का बल उसकी दौलत में है तथा एक शुद्र का बल उसकी सेवा परायणता में है।

Meaning– A brahmin’s strength is in his learning, a king’s strength is in his army, a vaishya’s strength is in his wealth and a shudra’s strength is in his attitude of service.


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निर्धनं पुरुषं वेश्या प्रजा भग्नं नृपं त्यजेत् ।
खगा तिफलं वृक्ष भुक्त्वाचाभ्यागतोगृहम् ।।१७।।

अर्थ– वेश्या को निर्धन व्यक्ति को त्याग देना चाहिए, प्रजा को पराजित राजा को त्याग देना चाहिए, पक्षियों को फल रहित वृक्ष त्याग देना चाहिए एवं अतिथियों को भोजन करने के पश्चात् मेजबान के घर से निकल देना चाहिए।

Meaning– The prostitute has to forsake a man who has no money, the subject a king that cannot defend him, the birds a tree that bears no fruit, and the guests a house after they have finished their meals.


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गृहीत्वा दक्षिणां विप्रास्त्यजन्ति यजमानकम् ।
प्राप्तविद्या गुरुं शिष्या दग्धारण्यं मृगास्तथा ।।१८।।

अर्थ– ब्राह्मण दक्षिणा मिलने के पश्चात् आपने यजमानों को छोड़ देते है, विद्वान विद्या प्राप्ति के बाद गुरु को छोड जाते हैं और पशु जले हुए वन को त्याग देते हैं।

Meaning– Brahmins quit their patrons after receiving alms from them, scholars leave their teachers after receiving education from them, and animals desert a forest that has been burnt down.


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दुराचारी दुरादृष्टिर्दुरावासी च दुर्जनः।
यन्मैत्रीक्रियते पुम्भिर्नर-शीघ्रं विनश्यति ।।१९।।

अर्थ– जो व्यक्ति दुराचारी, कुदृष्टि वाले, एवं बुरे स्थान पर रहने वाले मनुष्य केसाथ मित्रता करता है, वह शीघ्र नष्ट हो जाता है।

Meaning– He who befriends a man whose conduct is vicious, whose vision impure, and who is notoriously crooked, is rapidly ruined.


*Chanakya niti in hindi*


समाने शोभते प्रीतिः राज्ञि सेवा च शोभते ।
वाणिज्यव्यवहारेषु स्त्री दिव्या शोभते गृहे ।।२०।।
अर्थ– प्रेम और मित्रता बराबर वालों में अच्छी लगती है, राजा के यहाँ नौकरी करने वाले को ही सम्मान मिलता है, व्यवसार्यों में वाणिज्य सबसे अच्छा है,अब उत्तम गुणों वाली स्त्री अपने घर में सुरक्षित रहती है।

Meaning– Friendship between equals flourishes, service under a king is respectable, it is good to be business-minded in public dealings, and a Beautiful lady is safe in her own home.


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कस्य दोषः कुलेनास्ति व्याधिना के न पीडितः ।
व्यसनं के न संप्राप्तं कस्य सौख्यं निरन्तरम् ।।१।।

अर्थ– इस दुनिया में ऐसा किसका घर है, जिस पर कोई कलंक नहीं, वह कौन है। जो रोग और दुख से मुक्त है। सदा सुख किसको रहता है।

Meaning– In this world, whose family is there without blemish? Who is free from sickness and grief? Who is forever happy?


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आचारः कुलमाख्याति देशमाख्याति भाषणम् ।
सम्भ्रमः स्नेहमाख्यातिवपुराख्याति भोजनम् ।।२।।

अर्थ– मनुष्य के कुल की ख्याति उसके आचरण से होती है, मनुष्य के बोल चाल से उसके देश की ख्याति बढ़ती है, मान सम्मान उसके प्रेम को बढ़ता है, एवं उसके शरीर का गठन उसके भोजन से बढ़ता है।

Meaning– A man’s descent may be discerned by his conduct, his country by his pronunciation of language, his friendship by his warmth and glow, and his capacity to eat by his body.


*Chanakya niti in hindi*


सत्कुले योजयेत्कन्यां पुत्रं विद्यासु योजतेत् ।
व्यसने योजयेच्छत्रु मित्रं धर्मे नियोजयेत् ।।३।।

अर्थ– लड़की का ब्याह अच्छे खानदान में करना चाहिए। पुत्र को अच्छी शिक्षा देनी चाहिए, शत्रु को आपत्ति और कष्टों में डालना चाहिए, एवं मित्रों को धर्म कर्म में लगाना चाहिए।

Meaning– Give your daughter in marriage to a good family, engage your son in learning, see that your enemy comes to grief, and engage your friends in dharma. (Krsna consciousness).


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दुर्जनस्य च सर्पस्य वरं सर्पो न दुर्जनः ।
सो दशति काले तु दुर्जनस्तु पदे पदे ।।४।।

अर्थ– एक दुर्जन और एक सर्प में यह अंतर है कि साँप तभी डंक मारेगा, जब उसकी जान को खतरा हो लेकिन दुर्जन पग पग पर हानि पहुंचाने की कोशिश करेगा।

Meaning– Of a rascal and a serpent, the serpent is the better of the two, for he strikes only at the time he is destined to kill, while the former at every step.


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एदतर्थ कुलोनानां नृपाः कुर्वन्ति संग्रहम् ।
आदिमध्यावसानेषु न स्वजन्ति च ते नृपम् ।।५।

अर्थ– राजा लोग अपने आस पास अच्छे कुल के लोगो को इसलिए रखते है, क्योंकि ऐसे लोग ना आरम्भ में, ना बीच में और ना ही अंत में साथ छोड़कर जाते है।

Meaning– Therefore kings gather round themselves men of good families, for they never forsake them either at the beginning, the middle or the end.


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प्रलये भिन्नमर्यादा भवन्ति किल सागराः।
सागरा भेदमिच्छान्ति प्रलयेऽपि न साधवः ।।६।।

अर्थ– जब प्रलय का समय आता है तो समुद्र भी अपनी मर्यादा छोड़कर किनारों को छोड़ अथवा तोड़ जाते है, लेकिन सज्जन पुरुष प्रलय के सामान भयंकर आपत्ति अवं विपत्ति में भी आपनी मर्यादा नहीं बदलते।

Meaning– At the time of the pralaya (universal destruction) the oceans are to exceed their limits and seek to change, but a saintly man never changes.


*Chanakya niti in hindi*


मूर्खस्तु परिहर्त्तव्यः प्रत्यक्षो द्विपदः पशुः ।
भिद्यते वाक्यशूलेन अदृश्य कण्टकं यथा ।।७।।

अर्थ– मूर्खों के साथ मित्रता नहीं रखनी चाहिए उन्हें त्याग देना ही उचित है, क्योंकि प्रत्यक्ष रूप से वे दो पैरों वाले पशु के सामान हैं, जो अपने धारदार वचनो से वैसे ही हदय को छलनी करता है जैसे अदृश्य काँटा शारीर में घुसकर छलनी करता है।

Meaning– Do not keep company with a fool for as we can see he is a two-legged beast. Like an unseen thorn he pierces the heart with his sharp words.


*Chanakya niti in hindi*


रूपयौवनसम्पन्ना विशालकुलसम्भवाः ।
विद्याहीना न शोभन्ते निर्गन्धा इवकिशुकाः ।।८।।

अर्थ– रूप और यौवन से सम्पन्न तथा कुलीन परिवार में जन्मा लेने पर भी विद्याहीन पुरुष पलाश के फूल के समान है जो सुन्दर तो है लेकिन खुशबु रहित है।

Meaning– Though men be endowed with beauty and youth and born in noble families, yet without education they are like the palasa flower, which is void of sweet fragrance.


*Chanakya niti in hindi*


कोकिलानां स्वरो रूपं नारीरूपं पतिव्रतम् ।
विद्यारूपं कुरूपाणांक्षमा रूप रपस्विनाम् ॥९॥ 

अर्थ– कोयल की सुन्दरता उसके गायन में है। एक स्त्री की सुन्दरता उसके अपने परिवार के प्रति समर्पण मे है। एक बदसूरत आदमी की सुन्दरता उसके ज्ञान मे है, तथा एक तपस्वी की सुन्दरता उसकी क्षमाशीलता में है।

Meaning– The beauty of a cuckoo is in its notes, that of a woman in her unalloyed devotion to her husband, that of an ugly person in his scholarship, and that of an ascetic in his forgiveness.


*Chanakya niti in hindi*


त्यजेदेक कुलस्यार्थे ग्रामस्याथै कुलं त्यजेत् ।
ग्रामं जनपदस्याथै आत्मार्थ पृथिवीं त्यजेत् ।।१०।।

अर्थ– कुल की रक्षा के लिए एक सदस्य का बलिदान दें, गाव की रक्षा के लिए एक कुल का बलिदान दें, देश की रक्षा के लिए एक गाव का बलिदान दें,आत्म की रक्षा के लिए देश का बलिदान दें।

Meaning– Give up a member to save a family, a family to save a village, a village to save a country, and the country to save yourself.

उद्योगे नास्ति दारिट्य जपतो नास्ति पातकम्।
मौनेनकलहोनास्ति नास्ति जागरितो भयम् ।।११।।

अर्थ– जो उद्यमशील हैं, वे गरीब नहीं हो सकते, जो हरदम भगवान को याद करते है उन्हे पाप नहीं छू सकता। जो मौन रहते है वो झगड़ों में नहीं पड़ते। जो जागृत रहते है वो निर्भय होते है।

Meaning– There is no poverty for the industrious. Sin does not attach itself to the person practicing japa (chanting of the holy names of the Lord). Those who are absorbed in maunam (silent contemplation of the Lord) have no quarrel with others. They are fearless who remain always alert.

अतिरूपेण वै सीता अतिगर्वण रावणः ।
अतिदानाब्दलिबध्दो ह्यति सर्वत्र वर्जयेत् ।।१२।।

अर्थ– आत्याधिक सुन्दरता के कारण सीताहरण हुआ, अत्यंत घमंड के कारण रावण का अंत हुआ, अत्यधिक दान देने के कारन राजा बाली को बंधन में बंधना पड़ा, अतः सर्वत्र अति को त्यागना चाहिए।

Meaning– Sitaharan was caused by excessive beauty, Ravana came to an end due to excessive arrogance, King Bali had to be tied due to excessive donations, so one should abandon Ati everywhere.

कोऽतिभार- समर्थानां किं दूरं व्यवसायिनाम्।
को विदेशः सुविद्यानां कः परः प्रियवादिनाम् ।।१३।।

अर्थ– शक्तिशाली लोगों के लिए कौन सा कार्य कठिन है व्यापारिओं के लिए कौन सा जगह दूर है, विद्वानों के लिए कोई देश विदेश नहीं है, मधु भाषियों का कोई शत्रु नहीं।

Meaning– What is too heavy for the strong and what place is too distant for those who put forth effort? What country is foreign to a man of true learning? Who can be inimical to one who speaks pleasingly?

एकेनापि सुवृक्षण दह्यमानेन गन्धिना।
वासितं तद्वर्न सवै कुपुत्रेण कुलं यथा ।।१४।।

अर्थ– जिस तरह सारा वन केवल एक ही पुष्प अवं सुगंध भरे वृक्ष से महक जाता है, उसी तरह एक ही गुणवान पुत्र पुरे कुल का नाम बढाता है।

Meaning– As a whole forest becomes fragrant by the existence of a single tree with sweet-smelling blossoms in it, so a family becomes famous by the birth of a virtuous son.

एकेन शुष्कवृक्षेण दह्यमानेन वन्हिना।
दह्यते तद्वनं सर्व कुपुत्रेण कुलं यथा ।।१५।।

अर्थ– जिस प्रकार केवल एक सुखा हुआ जलता वृक्ष सम्पूर्ण वन को जला देता है, उसी प्रकार एक ही कुपुत्र सारे कुल के मान, मर्यादा और प्रतिष्ठा को नष्ट कर देता है।

Meaning– As a single withered tree, if set aflame, causes a whole forest to burn, so does a rascal son destroy a whole family.

एकेनापि सुपुत्रेण विद्यायुक्तेन साधुना।
आल्हादितं कुलं सर्व यथा चन्द्रेण शर्वरी ।।१६।।

अर्थ– विद्वान एवं सदाचारी एक ही पुत्र के कारण सम्पूर्ण परिवार वैसे ही खुशहाल रहता है, जैसे चन्द्रमा के निकालने पर रात्रि जगमगा उठती है।

Meaning– As night looks delightful when the moon shines, so is a family gladdened by even one learned and virtuous son.

किं जातैर्बहुभिः पुत्रैः शोकसन्तापकारकैः ।
वरमेक कुलालम्बी यत्र विश्राम्यते कुलम् ।।१७।।

अर्थ– ऐसे अनेक पुत्र किस काम के जो दुःख और निराशा पैदा करे।  इससे तो वह एक ही पुत्र अच्छा है जो सम्पूर्ण घर को सहारा और शान्ति प्रदान करें।

Meaning– What is the use of having many sons if they cause grief and vexation? It is better to have only one son from whom the whole family can derive support and peacefulness.

लालयेत्पञ्चवर्षाणि दश वर्षाणि ताडयेत् ।
प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत् ।।१८।।

अर्थ– पांच साल तक पुत्र को लाड एवं प्यार से पालन करना चाहिए, दस साल तक उसे छड़ी की मार से डराए। लेकिन जब वह १६ साल का हो जाए तो उससे मित्र के समान वयवहार करें।

Meaning– Fondle a son until he is five years of age, and use the stick for another ten years, but when he has attained his sixteenth year treat him as a friend.

उपसर्गेऽन्यचक्ने च दुर्भिक्षे च भयावहे।
असाधुजनसम्पर्क यः पलायति जीवति ।।१९।।

अर्थ– वह व्यक्ति सुरक्षित रह सकता है जो नीचे दी हुई परिस्थितियां उत्पन्न होने पर भाग जाए।
१. भयावह आपदा,
२. विदेशी आक्रमण,
३. भयंकर अकाल,
४. दुष्ट व्यक्ति का संग,

Meaning– He who runs away from a fearful calamity, a foreign invasion, a terrible famine, and the companionship of wicked men is safe.

धर्मार्थकाममोक्षेषु यस्यैकोऽपि न विद्यते ।
जन्मजन्मनि मत्येष मरणं तस्य केवलम् ।।२०।।

अर्थ– जो व्यक्ति निम्नलिखित बातें अर्जित नहीं करता वह बार बार जन्म लेकर मरता है।
१.धर्म
२. अर्थ
३.काम
४. मोक्ष

Meaning– He who has not acquired one of the following: religious merit (dharma), wealth (artha), satisfaction of desires (kama), or liberation (moksa) is repeatedly born to die.

मूर्खा यत्र न पुज्यन्ते धान्यं यत्र सुसञ्चितम्।
दाम्पत्ये कलहो नास्ति तत्र श्रीः स्वयमागता ॥२१॥

अर्थ– धन की देवी लक्ष्मी स्वयं वहां चली आती है जहाँ …
१. मूर्खों का सम्मान नहीं होता,
२. अनाज का अच्छे से भंडारण किया जाता है.
३. पति, पत्नी में आपस में लड़ाई बखेड़ा नहीं होता है।

Meaning– Lakshmi, the Goddess of wealth, comes of Her own accord where fools are not respected, grain is well stored up, and the husband and wife do not quarrel.

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