विदुर नीति आठवाँ अध्याय :-Vidur niti chapter 8.
विदुर नीति आठवाँ अध्याय :-Vidur niti chapter 8. (आठवां अध्याय ) योऽभ्यर्थितः सद्भिरसज्जमानः करोत्यर्थं शक्तिमहापयित्वा। क्षिप्रं यशस्तं समुपैति सन्तमलं प्रसन्ना हि सुखाय सन्तः ॥ १ ॥ विदुरजी कहते हैं-जो सज्जन पुरुषों से आदर पाकर आसक्तिरहित हो अपनी शक्ति के अनुसार अर्थ-साधन करता रहता है, उस श्रेष्ठ पुरुष को शीघ्र ही सुयश की प्राप्ति होती है, … Read more