श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 8 अक्षरब्रह्म योग’  (Srimad Bhagwat geeta chapter 8)

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 8 अक्षरब्रह्म योग’  (Srimad Bhagwat geeta chapter 8) (श्रीमद्भगवद्गीता) ।। अथाष्टमोऽध्यायः ।। अर्जुन उवाच किं तद् ब्रह्म किमध्यात्मं किं कर्म पुरुषोत्तम। अधिभूतं च किं प्रोक्तमधिदैवं किमुच्यते।।1।। अर्जुन ने कहाः हे पुरुषोत्तम ! वह ब्रह्म क्या है? अध्यात्म क्या है? कर्म क्या है? अधिभूत नाम से क्या कहा गया है और अधिदैव किसको कहते … Read more

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 7 ज्ञान विज्ञान योग(Srimad Bhagwat geeta chapter 7 gyan vigyan yog)

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 7 ज्ञान विज्ञान योग(Srimad Bhagwat geeta chapter 7 gyan vigyan yog)   (श्रीमद्भगवद्गीता) (सप्तम ध्याय:  ज्ञान विज्ञान योग) ।। अथ सप्तमोऽध्यायः।।   श्री भगवानुवाच मय्यासक्तमनाः पार्थ योगं युंजन्मदाश्रयः । असंशयं समग्रं मां यथा ज्ञास्यसि तच्छृणु ।।1।। श्री भगवान बोलेः हे पार्थ ! मुझमें अनन्य प्रेम से आसक्त हुए मनवाला और अनन्य भाव से … Read more

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 6 आत्मसंयमयोग (Srimad Bhagwat geeta chapter 6 aatmasanyamayog)

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 6 आत्मसंयमयोग (Srimad Bhagwat geeta chapter 6 aatmasanyamayog)   श्रीमद्भगवद्गीता ।। अथ षष्टोऽध्यायः ।। श्रीभगवानुवाच अनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करोति यः। स संन्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रियः।।1।। श्री भगवान बोलेः जो पुरुष कर्मफल का आश्रय न लेकर करने योग्य कर्म करता है, वह संन्यासी तथा योगी है और केवल अग्नि का … Read more

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 5 कर्म सन्यास योग(Srimad Bhagwat geeta chapter 5 karma sanyas yog)

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 5 कर्म सन्यास योग(Srimad Bhagwat geeta chapter 5 karma sanyas yog) (श्रीमद्भगवद्गीता) (पंचम अध्याय:  कर्मसन्यासयोग) ।। अथ पंचमोऽध्यायः ।। अर्जुन उवाच संन्यासं कर्मणां कृष्ण पुनर्योगं च शंससि। यच्छ्रेय एतयोरेकं तन्मे ब्रूहि सुनिश्चतम्।।1।। अर्जुन बोलेः हे कृष्ण ! आप कर्मों के संन्यास की और फिर कर्मयोग की प्रशंसा करते हैं | इसलिए इन दोनों … Read more

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 4 ज्ञानकर्मसन्यासयोग (Srimad Bhagwat geeta chapter 4 gyankarmasanyasyog)

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 4 ज्ञानकर्मसन्यासयोग (Srimad Bhagwat geeta chapter 4 gyankarmasanyasyog) श्रीमद्भगवद्गीता (चौथा अध्याय: ज्ञानकर्मसन्यासयोग) ।। अथ चतुर्थोऽध्यायः ।। श्री भगवानुवाच इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम्। विवस्वान्मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत्।।1।। श्री भगवान बोलेः मैंने इन अविनाशी योग को सूर्य से कहा था | सूर्य ने अपने पुत्र वैवस्वत मनु से कहा और मनु ने अपने पुत्र राजा इक्ष्वाकु … Read more

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 3 कर्मयोग(Srimad Bhagwat geeta chapter 3 karma yog)

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 3 कर्मयोग(Srimad Bhagwat geeta chapter 3 karma yog) श्रीमद्भगवद्गीता तीसरा अध्यायः कर्मयोग ।। अथ तृतीयोऽध्यायः ।।   अर्जुन उवाच ज्यायसी चेत्कर्मणस्ते मता बुद्धिर्जनार्दन। तत्किं कर्मणि घोरे मां नियोजयसि केशव।।1।। अर्जुन बोलेः हे जनार्दन ! यदि आपको कर्म की अपेक्षा ज्ञान श्रेष्ठ मान्य है तो फिर हे केशव ! मुझे भयंकर कर्म में क्यों लगाते हैं? व्यामिश्रेणेव वाक्येन … Read more

Srimad Bhagwat geeta chapter 2 saankhyayog (श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 2 सांख्ययोग)

Srimad Bhagwat geeta chapter 2 saankhyayog (श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 2 सांख्ययोग)   ।। अथ द्वितीयोऽध्यायः ।। संजय उवाच तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम्। विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच मधुसूदनः।।1।। संजय बोलेः उस प्रकार करुणा से व्याप्त और आँसूओं से पूर्ण तथा व्याकुल नेत्रों वाले शोकयुक्त उस अर्जुन के प्रति भगवान मधुसूदन ने ये वचन कहा |(1) श्रीभगवानुवाच कुतस्त्वा कश्मलमिदं विषमे समुपस्थितम्। अनार्यजुष्टमस्वर्ग्यमकीर्तिकरमर्जुन।।2।। क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते। क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्तवोत्तिष्ठ परंतप।।3।। श्री … Read more

Srimad Bhagwat geeta chapter 1 arjunavishaadayog(श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 1अर्जुनविषादयोग)

Srimad Bhagwat geeta chapter 1 arjunavishaadayog(श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 1अर्जुनविषादयोग) श्रीमद्भगवद्गीता (पहला अध्यायःअर्जुनविषादयोग) ।। अथ प्रथमोऽध्यायः ।। धृतराष्ट्र उवाच धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः। मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय।।1।। धृतराष्ट्र बोलेः हे संजय ! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में एकत्रित, युद्ध की इच्छावाले मेरे पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया? (1)संजय उवाच दृष्टवा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा। आचार्यमुपसंङगम्य राजा वचनमब्रवीत्।।2।। संजय बोलेः उस समय … Read more

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