श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 18 मोक्षसंन्यासयोग श्रद्धात्रयविभागयोग: (Srimad Bhagwat geeta chapter 18)

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 18 मोक्षसंन्यासयोग  (Srimad Bhagwat geeta chapter 18) (श्रीमद्भगवद्गीता) ।। अथाष्टादशोऽध्यायः ।। अर्जुन उवाच संन्यासस्य महाबाहो तत्त्वमिच्छामि वेदितुम्। त्यागस्य च हृषीकेश पृथक्केशिनिषूदन।।1।। अर्जुन बोलेः हे महाबाहो ! हे अन्तर्यामिन् ! हे वासुदेव ! मैं संन्यास और त्याग के तत्त्व को पृथक-पृथक जानना चाहता हूँ। श्रीभगवानुवाच काम्यानां कर्मणां न्यासं कवयो विदुः। सर्वकर्मफलत्यागं प्राहुस्त्यागं विचक्षणाः।।2।। श्री … Read more

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 17 श्रद्धात्रयविभागयोग: (Srimad Bhagwat geeta chapter 17)

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 17 श्रद्धात्रयविभागयोग: (Srimad Bhagwat geeta chapter 17) (श्रीमद्भगवद्गीता) ।। अथ सप्तदशोऽध्यायः ।। अर्जुन उवाच ये शास्त्रविधिमुत्सृज्य यजन्ते श्रद्धयान्विताः। तेषां निष्ठा तु का कृष्ण सत्त्वमाहो रजस्तमः।।1।। अर्जुन बोलेः हे कृष्ण ! जो शास्त्रविधि छोड़कर (केवल) श्रद्धायुक्त होकर पूजा करते हैं, उनकी स्थिति कैसी होती है? सात्त्विक, राजसी या तामसी?(1) श्रीभगवानुवाच त्रिविधा भवति श्रद्धा देहिनां … Read more

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 16: दैवासुरसंपद्विभागयोग(Srimad Bhagwat geeta chapter 16)

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 16: दैवासुरसंपद्विभागयोग(Srimad Bhagwat geeta chapter 16) (श्रीमद्भगवद्गीता) ।। अथ षोडशोऽध्यायः ।। श्रीभगवानुवाच अभयं सत्त्वसंशुद्धिर्ज्ञानयोगव्यवस्थितिः। दानं दमश्च यज्ञश्च स्वाध्यायस्तप आर्जवम्।।1।। अहिंसा सत्यम्क्रोधस्त्यागः शान्तिरपैशुनम्। दया भूतेष्वलोलुप्तवं मार्दवं ह्णीरचापलम्।।2।। तेजः क्षमा धृतिः शौचमद्रोहो नातिमानिता। भवन्ति सम्पदं दैवीमभिजातस्य भारत।।3।। श्री भगवान बोलेः भय का सर्वथा अभाव, अन्तःकरण की पूर्ण निर्मलता, तत्त्वज्ञान के लिए ध्यानयोग में निरन्तर दृढ़ … Read more

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 15: पुरुषोत्तमयोग  (Srimad Bhagwat geeta chapter 15)

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 15: पुरुषोत्तमयोग  (Srimad Bhagwat geeta chapter 15)   (श्रीमद्भगवद्गीता) ।। अथ पंचदशोऽध्यायः ।। श्रीभगवानुवाच ऊर्ध्वमूलमधःशाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम्। छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदवित्।।1।। श्री भगवान बोलेः आदिपुरुष परमेश्वररूप मूलवाले और ब्रह्मारूप मुख्य शाखावाले जिस संसाररूप पीपल के वृक्ष को अविनाशी कहते हैं, तथा वेद जिसके पत्ते कहे गये हैं – उस संसाररूप वृक्ष … Read more

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 14: गुण त्रय विभाग योग (Srimad Bhagwat geeta chapter 14)

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 14: गुण त्रय विभाग योग (Srimad Bhagwat geeta chapter 14) (श्रीमद्भगवद्गीता) ।। अथ चतुर्दशोऽध्यायः ।। श्रीभगवानुवाच परं भूयः प्रवक्ष्यामि ज्ञानानां ज्ञानमुत्तमम्। यज्ज्ञात्वा मुनयः सर्वे परां सिद्धिमितो गताः।।1।। श्री भगवान बोलेः ज्ञानों में भी अति उत्तम उस परम ज्ञान को मैं फिर कहूँगा, जिसको जानकर सब मुनिजन इस संसार से मुक्त होकर परम सिद्धि … Read more

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 13 क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभागयोग (Srimad Bhagwat geeta chapter 13 )

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 13 क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभागयोग (Srimad Bhagwat geeta chapter 13 ) (श्रीमद्भगवद्गीता) (तेरहवाँ अध्यायः क्षेत्रक्षत्रज्ञविभागयोग) ।। अथ त्रयोदशोऽध्यायः ।। श्रीभगवानुवाच इदं शरीरं कौन्तेय क्षेत्रमित्यभिधीयते। एतद्यो वेत्ति तं प्राहुः क्षेत्रज्ञ इति तद्विदः।।1।। श्री भगवान बोलेः हे अर्जुन ! यह शरीर ‘क्षेत्र’ इस नाम से कहा जाता है और इसको जो जानता है, उसको ‘क्षेत्रज्ञ’ इस … Read more

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 12 भक्ति योग (Srimad Bhagwat geeta chapter 12 bhakti yog)

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 12 भक्ति योग (Srimad Bhagwat geeta chapter 12 bhakti yog)   (श्रीमद्भगवद्गीता) ।। अथ द्वादशोऽध्यायः ।। अर्जुन उवाच एवं सततयुक्ता ये भक्तास्त्वां पर्युपासते। ये चाप्यक्षरमव्यक्तं तेषां के योगवित्तमाः।।1।। अर्जुन बोलेः जो अनन्य प्रेमी भक्तजन पूर्वोक्त प्रकार निरन्तर आपके भजन ध्यान में लगे रहकर आप सगुणरूप परमेश्वर को और दूसरे जो केवल अविनाशी सच्चिदानन्दघन … Read more

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 11 विश्वरूप दर्शन योग (Srimad Bhagwat geeta chapter 11)

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 11 विश्वरूप दर्शन योग (Srimad Bhagwat geeta chapter 11) (श्रीमद्भगवद्गीता) ।। अथैकादशोऽध्यायः ।। अर्जुन उवाच मदनुग्रहाय परमं गुह्यमध्यात्मसंज्ञितम्। यत्त्वयोक्तं वचस्तेन मोहोऽयं विगतो मम।।1।। अर्जुन बोलेः मुझ पर अनुग्रह करने के लिए आपने जो परम गोपनीय अध्यात्मविषयक वचन अर्थात् उपदेश कहा, उससे मेरा यह अज्ञान नष्ट हो गया है।(1) भवाप्ययौ हि भूतानां श्रुतौ विस्तरशो … Read more

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 10 विभूति योग (Srimad Bhagwat geeta chapter 10)

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 10 विभूति योग (Srimad Bhagwat geeta chapter 10) (श्रीमद्भगवद्गीता) ।। अथ दशमोऽध्यायः ।। श्रीभगवानुवाच भूय एव महाबाहो श्रृणु मे परमं वचः। यत्तेऽहं प्रीयमाणाय वक्ष्यामि हितकाम्यया।।1।। श्री भगवान बोलेः हे महाबाहो ! फिर भी मेरे परम रहस्य और प्रभावयुक्त वचन को सुन, जिसे मैं तुझ अतिशय प्रेम रखनेवाले के लिए हित की इच्छा से … Read more

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 9 राज विद्या योग (Srimad Bhagwat geeta chapter 9)

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 9 राज विद्या योग (Srimad Bhagwat geeta chapter 9) (श्रीमद्भगवद्गीता) ।। अथ नवमोऽध्यायः ।। श्रीभगवानुवाच इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे। ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्।।1।। श्रीभगवान बोलेः तुझ दोष दृष्टिरहित भक्त के लिए इस परम गोपनीय विज्ञानसहित ज्ञान को पुनः भली भाँति कहूँगा, जिसको जानकर तू दुःखरूप संसार से मुक्त हो जाएगा।(1) राजविद्या राजगुह्यं … Read more

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