Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 20(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्ध:विंशोऽध्यायःव्यासजीद्वारा जनमेजयको भगवतीकी महिमा सुनाना तथा कृष्णावतारकी कथाका उपक्रम)

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 20(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्ध:विंशोऽध्यायःव्यासजीद्वारा जनमेजयको भगवतीकी महिमा सुनाना तथा कृष्णावतारकी कथाका उपक्रम) [अथ विंशोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- हे भारत ! सुनिये, अब मैं आपको पृथ्वीका भार उतारने और कुरुक्षेत्र तथा प्रभासक्षेत्रमें योगमायाके द्वारा सेनाके संहारका वृत्तान्त बताऊँगा ॥ १ ॥ भृगुके शापके प्रताप तथा महामायाकी शक्तिसे ही अमित तेजस्वी भगवान् विष्णुका … Read more

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 19(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्ध:अथैकोनविंशोऽध्यायःदेवताओंद्वारा भगवतीका स्तवन, भगवतीद्वारा श्रीकृष्ण और अर्जुनको निमित्त बनाकर अपनी शक्तिसे पृथ्वीका भार दूर करनेका आश्वासन देना)

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 19(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्ध:अथैकोनविंशोऽध्यायःदेवताओंद्वारा भगवतीका स्तवन, भगवतीद्वारा श्रीकृष्ण और अर्जुनको निमित्त बनाकर अपनी शक्तिसे पृथ्वीका भार दूर करनेका आश्वासन देना) [अथैकोनविंशोऽध्यायः]   :-व्यासजी बोले- [हे राजन् !] ऐसा कहनेके उपरान्त भगवान् विष्णुने ब्रह्माजीसे फिर कहा- जिन भगवतीकी मायासे मोहित रहनेके कारण सभी लोग परमतत्त्वको नहीं जान पाते, उन्हींकी मायासे आच्छादित … Read more

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 18(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्ध: अथाष्टादशोऽध्यायःपापभारसे व्यथित पृथ्वीका देवलोक जाना, इन्द्रका देवताओं और पृथ्वीके साथ ब्रह्मलोक जाना, ब्रह्माजीका पृथ्वी तथा इन्द्रादि देवताओंसहित विष्णुलोक जाकर विष्णुकी स्तुति करना, विष्णुद्वारा अपनेको भगवतीके अधीन बताना)

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 18(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्ध: अथाष्टादशोऽध्यायःपापभारसे व्यथित पृथ्वीका देवलोक जाना, इन्द्रका देवताओं और पृथ्वीके साथ ब्रह्मलोक जाना, ब्रह्माजीका पृथ्वी तथा इन्द्रादि देवताओंसहित विष्णुलोक जाकर विष्णुकी स्तुति करना, विष्णुद्वारा अपनेको भगवतीके अधीन बताना) [अथाष्टादशोऽध्यायः]   :-व्यासजी बोले- हे राजन् ! सुनिये, अब मैं श्रीकृष्णके महान् चरित्र, उनके अवतारके कारण और भगवतीके अद्भुत … Read more

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 17(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्धःसप्तदशोऽध्यायःश्रीनारायणद्वारा अप्सराओंको वरदान देना, राजा जनमेजयद्वारा व्यासजीसे श्रीकृष्णावतारका चरित सुनानेका निवेदन करना)

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 17(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्धःसप्तदशोऽध्यायःश्रीनारायणद्वारा अप्सराओंको वरदान देना, राजा जनमेजयद्वारा व्यासजीसे श्रीकृष्णावतारका चरित सुनानेका निवेदन करना) [अथ सप्तदशोऽध्यायः] :-जनमेजय बोले – हे मुने ! आप नर-नारायणके आश्रममें आयी हुई अप्सराओंकी चर्चा पहले ही कर चुके हैं, जो काम-पीड़ित होकर शान्तचित्त मुनि नारायणपर आसक्त हो गयी थीं। उसके बाद मुनि नारायण उन्हें … Read more

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 16(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्धःषोडशोऽध्यायःभगवान् श्रीहरिके विविध अवतारोंका संक्षिप्त वर्णन)

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 16(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्धःषोडशोऽध्यायःभगवान् श्रीहरिके विविध अवतारोंका संक्षिप्त वर्णन) [अथ षोडशोऽध्यायः] जनमेजय बोले- हे मुनिश्रेष्ठ ! हे विभो !अद्भुत चरित्रवाले भगवान् विष्णुने भृगुके शापसे किस मन्वन्तरमें किस प्रकार अवतार ग्रहण किये। हे धर्मज्ञ ! हे ब्रह्मन् ! श्रवण करनेपर समस्त सुख सुलभ करानेवाली तथा पापोंका नाश कर देनेवाली भगवान् विष्णुकी … Read more

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 15(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्धःपञ्चदशोऽध्यायःदेवता और दैत्योंके युद्धमें दैत्योंकी विजय, इन्द्रद्वारा भगवतीकी स्तुति, भगवतीका प्रकट होकर दैत्योंके पास जाना, प्रह्लादद्वारा भगवतीकी स्तुति, देवीके आदेशसे दैत्योंका पातालगमन)

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 15(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्धःपञ्चदशोऽध्यायःदेवता और दैत्योंके युद्धमें दैत्योंकी विजय, इन्द्रद्वारा भगवतीकी स्तुति, भगवतीका प्रकट होकर दैत्योंके पास जाना, प्रह्लादद्वारा भगवतीकी स्तुति, देवीके आदेशसे दैत्योंका पातालगमन)   [अथ पञ्चदशोऽध्यायः]   :-व्यासजी बोले- उन महात्मा शुक्राचार्यका यह वचन सुनकर राजकुमार प्रह्लाद अत्यन्त हर्षित हुए। प्रारब्धको बलवान् मानकर प्रह्लादने उन दैत्योंसे कहा-युद्ध करनेपर … Read more

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 14(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्धःचतुर्दशोऽध्यायःशुक्राचार्यद्वारा दैत्योंको बृहस्पतिका पाखण्डपूर्ण कृत्य बताना, बृहस्पतिकी मायासे मोहित दैत्योंका उन्हें फटकारना, क्रुद्ध शुक्राचार्यका दैत्योंको शाप देना, बृहस्पतिका अन्तर्धान हो जाना, प्रह्लादका शुक्राचार्यजीसे क्षमा माँगना और शुक्राचार्यका उन्हें प्रारब्धकी बलवत्ता समझाना)

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 14(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्धःचतुर्दशोऽध्यायःशुक्राचार्यद्वारा दैत्योंको बृहस्पतिका पाखण्डपूर्ण कृत्य बताना, बृहस्पतिकी मायासे मोहित दैत्योंका उन्हें फटकारना, क्रुद्ध शुक्राचार्यका दैत्योंको शाप देना, बृहस्पतिका अन्तर्धान हो जाना, प्रह्लादका शुक्राचार्यजीसे क्षमा माँगना और शुक्राचार्यका उन्हें प्रारब्धकी बलवत्ता समझाना) [अथ चतुर्दशोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले – मनमें ऐसा सोचकर उन दैत्योंसे शुक्राचार्यने हँसते हुए कहा- हे दैत्यगण … Read more

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 13(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्धःत्रयोदशोऽध्यायःशुक्राचार्यरूपधारी बृहस्पतिका दैत्योंको उपदेश देना)

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 13(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्धःत्रयोदशोऽध्यायःशुक्राचार्यरूपधारी बृहस्पतिका दैत्योंको उपदेश देना) [अथ त्रयोदशोऽध्यायः]   :-राजा बोले- [हे व्यासजी !] तत्पश्चात् शुक्राचार्यका रूप धारण करनेवाले बुद्धिमान् गुरु बृहस्पतिने छलपूर्वक दैत्योंका पुरोहित बनकर क्या किया ? ॥ १ ॥ वे तो देवताओंके गुरु हैं, सदासे सभी विद्याओंके निधान हैं और महर्षि अंगिराके पुत्र हैं; तब … Read more

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 12(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्धःद्वादशोऽध्यायःमहात्मा भृगुद्वारा विष्णुको मानवयोनिमें जन्म लेनेका शाप देना, इन्द्रद्वारा अपनी पुत्री जयन्तीको शुक्राचार्यके लिये अर्पित करना, देवगुरु बृहस्पतिद्वारा शुक्राचार्यका रूप धारणकर दैत्योंका पुरोहित बनना)

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 12(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्धःद्वादशोऽध्यायःमहात्मा भृगुद्वारा विष्णुको मानवयोनिमें जन्म लेनेका शाप देना, इन्द्रद्वारा अपनी पुत्री जयन्तीको शुक्राचार्यके लिये अर्पित करना, देवगुरु बृहस्पतिद्वारा शुक्राचार्यका रूप धारणकर दैत्योंका पुरोहित बनना) [अथ द्वादशोऽध्यायः] व्यासजी बोले- [हे राजन् !] उस भयानक वधको देखकर भगवान् भृगु अत्यन्त कुपित हुए और दुःखसे व्याकुल होकर काँपते हुए वे … Read more

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 11(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्धःअथैकादशोऽध्यायःमन्त्रविद्याकी प्राप्तिके लिये शुक्राचार्यका तपस्यारत होना, देवताओंद्वारा दैत्योंपर आक्रमण, शुक्राचार्यकी माताद्वारा दैत्योंकी रक्षा और इन्द्र तथा विष्णुको संज्ञाशून्य कर देना, विष्णुद्वारा शुक्रमाताका वध)

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 11(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्धःअथैकादशोऽध्यायःमन्त्रविद्याकी प्राप्तिके लिये शुक्राचार्यका तपस्यारत होना, देवताओंद्वारा दैत्योंपर आक्रमण, शुक्राचार्यकी माताद्वारा दैत्योंकी रक्षा और इन्द्र तथा विष्णुको संज्ञाशून्य कर देना, विष्णुद्वारा शुक्रमाताका वध) [अथैकादशोऽध्यायः]   :-व्यासजी बोले- तत्पश्चात् देवताओंके चले जानेपर शुक्राचार्यने उन दैत्योंसे कहा- हे श्रेष्ठ दानवो ! पूर्वकालमें ब्रह्माजीने मुझसे जो कहा था, उसे तुमलोग … Read more

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