Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 5(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःपञ्चमोऽध्यायःइन्द्रका ब्रह्मा, शिव और विष्णुके पास जाना, तीनों देवताओंसहित इन्द्रका युद्धस्थलमें आना तथा चिक्षुर, बिडाल और ताम्रको पराजित करना)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 5(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःपञ्चमोऽध्यायःइन्द्रका ब्रह्मा, शिव और विष्णुके पास जाना, तीनों देवताओंसहित इन्द्रका युद्धस्थलमें आना तथा चिक्षुर, बिडाल और ताम्रको पराजित करना) [अथ पञ्चमोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- हे महाराज ! यह सुनकर सहस्त्रनेत्र इन्द्रने बृहस्पतिसे कहा कि मैं महिषासुरके विनाशके लिये अब युद्धकी तैयारी अवश्य करूँगा; क्योंकि उद्योगके बिना न राज्य, … Read more

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 4(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःचतुर्थोऽध्यायःइन्द्रका देवताओं तथा गुरु बृहस्पतिसे परामर्श करना तथा बृहस्पतिद्वारा जय-पराजयमें दैवकी प्रधानता बतलाना)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 4(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःचतुर्थोऽध्यायःइन्द्रका देवताओं तथा गुरु बृहस्पतिसे परामर्श करना तथा बृहस्पतिद्वारा जय-पराजयमें दैवकी प्रधानता बतलाना) [अथ चतुर्थोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- हे राजन् ! दूतके चले जानेपर इन्द्रने भी यम, वायु, कुबेर तथा वरुण- इन देवताओंको बुलाकर यह बात कही ॥ १ ॥ रम्भका पुत्र महाबली दैत्यराज महिषासुर इस समय वरदानके … Read more

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 3(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःतृतीयोऽध्यायःमहिषासुरका दूत भेजकर इन्द्रको स्वर्ग खाली करनेका आदेश देना, दूतद्वारा इन्द्रका युद्धहेतु आमन्त्रण प्राप्तकर महिषासुरका दानववीरोंको युद्धके लिये सुसज्जित होनेका आदेश देना)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 3(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःतृतीयोऽध्यायःमहिषासुरका दूत भेजकर इन्द्रको स्वर्ग खाली करनेका आदेश देना, दूतद्वारा इन्द्रका युद्धहेतु आमन्त्रण प्राप्तकर महिषासुरका दानववीरोंको युद्धके लिये सुसज्जित होनेका आदेश देना) [अथ तृतीयोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- इस प्रकार वरदान पानेके कारण अभिमानयुक्त उस महाबली दानव महिषासुरने राज्य प्राप्त करके सम्पूर्ण जगत्को अपने अधीन कर लिया ॥ १ … Read more

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 2(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धः द्वितीयोऽध्यायःमहिषासुरके जन्म, तप और वरदान प्राप्तिकी कथा)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 2(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धः द्वितीयोऽध्यायःमहिषासुरके जन्म, तप और वरदान प्राप्तिकी कथा) [अथ द्वितीयोऽध्यायः]   :-राजा बोले- हे स्वामिन् ! आपने भगवती योगेश्वरीका यह प्रभाव विस्तारपूर्वक कहा। अब आप उन महामायाका चरित्र कहिये, उसे सुननेकी मेरी बड़ी उत्सुकता है। जो मनुष्य इस बातको भलीभाँति जानता है कि यह स्थावर जंगमात्मक संसार … Read more

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 1(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धः प्रथमोऽध्यायः व्यासजीद्वारा त्रिदेवोंकी तुलनामें भगवतीकी उत्तमताका वर्णन)

॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 1(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धः प्रथमोऽध्यायः व्यासजीद्वारा त्रिदेवोंकी तुलनामें भगवतीकी उत्तमताका वर्णन) [अथ प्रथमोऽध्यायः]   :-ऋषिगण बोले- हे सूतजी ! आपने यह बहुत ही उत्तम कथा कही, जिसमें भगवान् श्रीकृष्णके सर्वपापविनाशक तथा अलौकिक चरित्रका वर्णन है ॥ १ ॥ … Read more

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 25(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्ध:पञ्चविंशोऽध्यायःव्यासजीद्वारा शाम्भवी मायाकी बलवत्ताका वर्णन, श्रीकृष्णद्वारा शिवजीकी प्रसन्नताके लिये तप करना और शिवजीद्वारा उन्हें वरदान देना) [अथ पञ्चविंशोऽध्यायः]

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 25(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्ध:पञ्चविंशोऽध्यायःव्यासजीद्वारा शाम्भवी मायाकी बलवत्ताका वर्णन, श्रीकृष्णद्वारा शिवजीकी प्रसन्नताके लिये तप करना और शिवजीद्वारा उन्हें वरदान देना) [अथ पञ्चविंशोऽध्यायः] :-राजा बोले- हे मुनिवर ! आपकी इस बातसे तथा साक्षात् विष्णुके अंशावतार भगवान् कृष्णके ऊपर कष्टका पड़ना देखकर मुझे सन्देह हो रहा है ॥ १ ॥ भगवान् विष्णुके अंशसे … Read more

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 24(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्ध:चतुर्विंशोऽध्यायःश्रीकृष्णावतारकी संक्षिप्त कथा, कृष्णपुत्रका प्रसूतिगृहसे हरण, कृष्णद्वारा भगवतीकी स्तुति, भगवती चण्डिकाद्वारा सोलह वर्षके बाद पुनः पुत्रप्राप्तिका वर देना)

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 24(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्ध:चतुर्विंशोऽध्यायःश्रीकृष्णावतारकी संक्षिप्त कथा, कृष्णपुत्रका प्रसूतिगृहसे हरण, कृष्णद्वारा भगवतीकी स्तुति, भगवती चण्डिकाद्वारा सोलह वर्षके बाद पुनः पुत्रप्राप्तिका वर देना) [अथ चतुर्विंशोऽध्यायः] व्यासजी बोले – [हे राजन् !] प्रातः काल नन्दजीके घरमें पुत्रजन्मका बड़ा भारी समारोह सम्पन्न हुआ, यह बात चारों ओर फैल गयी और कंसने भी किसी दूतके … Read more

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 23(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्ध:त्रयोविंशोऽध्यायःकंसके कारागारमें भगवान् श्रीकृष्णका अवतार, वसुदेवजीका उन्हें गोकुल पहुँचाना और वहाँसे योगमायास्वरूपा कन्याको लेकर आना, कंसद्वारा कन्याके वधका प्रयास, योगमायाद्वारा आकाशवाणी करनेपर कंसका अपने सेवकोंद्वारा नवजात शिशुओंका वध कराना)

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 23(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्ध:त्रयोविंशोऽध्यायःकंसके कारागारमें भगवान् श्रीकृष्णका अवतार, वसुदेवजीका उन्हें गोकुल पहुँचाना और वहाँसे योगमायास्वरूपा कन्याको लेकर आना, कंसद्वारा कन्याके वधका प्रयास, योगमायाद्वारा आकाशवाणी करनेपर कंसका अपने सेवकोंद्वारा नवजात शिशुओंका वध कराना) [अथ त्रयोविंशोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- [ हे राजन्!] उग्रसेनपुत्र कंसके द्वारा देवकीके छः पुत्रोंका वध कर दिये जानेपर तथा … Read more

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 22(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्ध:द्वाविंशोऽध्यायःदेवकीके छः पुत्रोंके पूर्वजन्मकी कथा, सातवें पुत्रके रूपमें भगवान् संकर्षणका अवतार, देवताओं तथा दानवोंके अंशावतारोंका वर्णन)

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 22(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्ध:द्वाविंशोऽध्यायःदेवकीके छः पुत्रोंके पूर्वजन्मकी कथा, सातवें पुत्रके रूपमें भगवान् संकर्षणका अवतार, देवताओं तथा दानवोंके अंशावतारोंका वर्णन)   [अथ द्वाविंशोऽध्यायः] :-जनमेजय बोले- हे पितामह ! उस बालकने ऐसा कौन-सा पापकर्म किया था, जिससे जन्म लेते ही उसको दुष्टात्मा कंसने मार डाला ? ॥ १॥ महान् ज्ञानी, धर्मपरायण तथा … Read more

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 21(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्ध:अथैकविंशोऽध्यायःदेवकीके प्रथम पुत्रका जन्म, वसुदेवद्वारा प्रतिज्ञानुसार उसे कंसको अर्पित करना और कंसद्वारा उस नवजात शिशुका वध)

Devi bhagwat puran skandh 4 chapter 21(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण चतुर्थः स्कन्ध:अथैकविंशोऽध्यायःदेवकीके प्रथम पुत्रका जन्म, वसुदेवद्वारा प्रतिज्ञानुसार उसे कंसको अर्पित करना और कंसद्वारा उस नवजात शिशुका वध) [अथैकविंशोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- हे राजन् ! इसके बाद समय आनेपर देवस्वरूपिणी देवकीने वसुदेवके संयोगसे विधिवत् गर्भ धारण किया ॥ १ ॥ दसवाँ माह पूर्ण होनेपर जब देवकीने अत्यन्त रूपसम्पन्न तथा सुडौल … Read more

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