Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 25(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःपञ्चविंशोऽध्यायःभगवती काली और धूम्रलोचनका संवाद, कालीके हुंकारसे धूम्रलोचनका भस्म होना तथा शुम्भका चण्ड-मुण्डको युद्धहेतु प्रस्थानका आदेश देना)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 25(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःपञ्चविंशोऽध्यायःभगवती काली और धूम्रलोचनका संवाद, कालीके हुंकारसे धूम्रलोचनका भस्म होना तथा शुम्भका चण्ड-मुण्डको युद्धहेतु प्रस्थानका आदेश देना) [अथ पञ्चविंशोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- [हे महाराज!] यह बात कहकर धूम्रलोचन चुप हो गया। तब भगवती काली हँसकर सुन्दर वचन बोलीं- धूर्त ! तुम तो पूरे विदूषक हो और नटों-जैसी बात … Read more

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 24(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःचतुर्विंशोऽध्यायःशुम्भका धूम्रलोचनको देवीके पास भेजना और धूम्रलोचनका देवीको समझानेका प्रयास करना)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 24(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःचतुर्विंशोऽध्यायःशुम्भका धूम्रलोचनको देवीके पास भेजना और धूम्रलोचनका देवीको समझानेका प्रयास करना) [अथ चतुर्विंशोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले – भगवतीका वह वचन सुनकर वह दूत विस्मित हो गया और उसने देवीसे कहा- हे सुन्दर कटाक्षवाली ! तुम स्त्रीस्वभावके कारण साहसपूर्वक यह क्या बोल रही हो ? ॥ १॥   हे … Read more

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 23(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःत्रयोविंशोऽध्यायःभगवतीके श्रीविग्रहसे कौशिकीका प्राकट्य, देवीकी कालिकारूपमें परिणति, चण्ड-मुण्डसे देवीके अद्भुत सौन्दर्यको सुनकर शुम्भका सुग्रीवको दूत बनाकर भेजना, जगदम्बाका विवाहके विषयमें अपनी शर्त बताना)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 23(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःत्रयोविंशोऽध्यायःभगवतीके श्रीविग्रहसे कौशिकीका प्राकट्य, देवीकी कालिकारूपमें परिणति, चण्ड-मुण्डसे देवीके अद्भुत सौन्दर्यको सुनकर शुम्भका सुग्रीवको दूत बनाकर भेजना, जगदम्बाका विवाहके विषयमें अपनी शर्त बताना) [अथ त्रयोविंशोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- [हे राजन् !] तब शत्रुओंसे सन्त्रस्त देवताओंके इस प्रकार स्तुति करनेपर भगवतीने अपने शरीरसे एक दूसरा रूप प्रकट कर दिया … Read more

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 22(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःद्वाविंशोऽध्यायःदेवताओंद्वारा भगवतीकी स्तुति और उनका प्राकट्य)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 22(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःद्वाविंशोऽध्यायःदेवताओंद्वारा भगवतीकी स्तुति और उनका प्राकट्य) [अथ द्वाविंशोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- हे नृपश्रेष्ठ ! सभी देवता पराजित हो गये। इसके बाद शुम्भ राज्यपर शासन करने लगा। इस प्रकार एक हजार वर्ष व्यतीत हो गये ॥ १ ॥ तत्पश्चात् राज्यच्युत होनेके कारण देवता महान् दुस्सह चिन्तामें पड़ गये। दुःखसे … Read more

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 21(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःअथैकविंशोऽध्यायःशुम्भ और निशुम्भको ब्रह्माजीके द्वारा वरदान, देवताओंके साथ उनका युद्ध और देवताओंकी पराजय)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 21(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःअथैकविंशोऽध्यायःशुम्भ और निशुम्भको ब्रह्माजीके द्वारा वरदान, देवताओंके साथ उनका युद्ध और देवताओंकी पराजय) [अथैकविंशोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- हे राजन् ! सुनिये, मैं देवीका उत्तम चरित्र कहता हूँ; यह सम्पूर्ण प्राणियोंको सुख देनेवाला तथा समस्त पापोंका नाश करनेवाला है ॥ १ ॥   [पूर्वकालमें] शुम्भ और निशुम्भ नामक दो … Read more

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 20(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःविंशोऽध्यायःदेवीका मणिद्वीप पधारना तथा राजा शत्रुघ्नका भूमण्डलाधिपति बनना)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 20(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःविंशोऽध्यायःदेवीका मणिद्वीप पधारना तथा राजा शत्रुघ्नका भूमण्डलाधिपति बनना) [अथ विंशोऽध्यायः] :-जनमेजय बोले- हे मुने ! अब मैंने भगवतीके अत्यन्त अद्भुत तथा जगत्को शान्ति प्रदान करनेवाले प्रभावको तो देख लिया, फिर भी हे द्विजवर ! आपके मुखारविन्दसे निकली हुई सुधामयी कथाको बार-बार सुनते हुए भी मुझे तृप्ति नहीं … Read more

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 19(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःअथैकोनविंशोऽध्यायः देवताओंद्वारा भगवतीकी स्तुति)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 19(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःअथैकोनविंशोऽध्यायः देवताओंद्वारा भगवतीकी स्तुति) [अथैकोनविंशोऽध्यायः]   :-व्यासजी बोले – महिषासुरका संहार देखकर इन्द्र आदि प्रधान देवता परम प्रसन्न हुए और वे जगदम्बाकी स्तुति करने लगे ॥ १ ॥ देवता बोले- हे देवि ! आपकी ही शक्तिसे ब्रह्मा इस जगत्का सृजन करते हैं, भगवान् विष्णु पालन करते हैं … Read more

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 18(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःअथाष्टादशोऽध्यायःदुर्धर, त्रिनेत्र, अन्धक और महिषासुरका वध)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 18(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःअथाष्टादशोऽध्यायःदुर्धर, त्रिनेत्र, अन्धक और महिषासुरका वध) [अथाष्टादशोऽध्यायः] : -महिष बोला- उस मन्दोदरीकी इन्दुमती नामकी एक छोटी बहन थी, जो समस्त शुभ लक्षणोंसे सम्पन्न तथा अत्यन्त रूपवती थी। जब वह विवाहके योग्य हुई, तब उसके विवाहकी तैयारी होने लगी। उसका स्वयंवर रचाया गया, स्वयंवरके मण्डपमें अनेक देशोंके राजा … Read more

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 17(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःसप्तदशोऽध्यायःमहिषासुरका देवीको मन्दोदरी नामक राजकुमारीका आख्यान सुनाना)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 17(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःसप्तदशोऽध्यायःमहिषासुरका देवीको मन्दोदरी नामक राजकुमारीका आख्यान सुनाना) [अथ सप्तदशोऽध्यायः] : -व्यासजी बोले- [हे महाराज!] उसका यह वचन सुनकर भगवतीने उस दानवसे पूछा- वह स्त्री मन्दोदरी कौन थी और वह राजा कौन था, जिसे उसने त्याग दिया था ? ॥ १॥ बादमें उसने जिसे पति बनाया, वह धूर्त … Read more

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 16(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःषोडशोऽध्यायःमहिषासुरका रणभूमिमें आना तथा देवीसे प्रणय-याचना करना)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 16(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्धःषोडशोऽध्यायःमहिषासुरका रणभूमिमें आना तथा देवीसे प्रणय-याचना करना) [अथ षोडशोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- उन सैनिकोंकी बात सुनकर राजा महिष क्रोधित हो उठा और उसने सारथिसे कहा-हजार गधोंसे जुते हुए, ध्वजा तथा पताकाओंसे सुशोभित, अनेक प्रकारके आयुधोंसे परिपूर्ण, सुन्दर चक्कों तथा जुएसे विभूषित तथा प्रकाशमान मेरा अद्भुत रथ तुरंत ले … Read more

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