Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 35(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्ध:पञ्चत्रिंशोऽध्यायःसुरथ और समाधिकी तपस्यासे प्रसन्न भगवतीका प्रकट होना और उन्हें इच्छित वरदान देना)
Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 35(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्ध:पञ्चत्रिंशोऽध्यायःसुरथ और समाधिकी तपस्यासे प्रसन्न भगवतीका प्रकट होना और उन्हें इच्छित वरदान देना) [अथ पञ्चत्रिंशोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- उनका यह वचन सुनकर दुःखित हृदयवाले वैश्य और राजाने प्रसन्नतापूर्वक विनम्रभावसे मुनिके चरणोंमें प्रणाम किया। भक्तिपरायण चित्तवाले, शान्त स्वभाववाले तथा हर्षके कारण खिले हुए नेत्रोंवाले वे दोनों वाक्य- विशारद राजा … Read more