Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 35(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्ध:पञ्चत्रिंशोऽध्यायःसुरथ और समाधिकी तपस्यासे प्रसन्न भगवतीका प्रकट होना और उन्हें इच्छित वरदान देना)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 35(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्ध:पञ्चत्रिंशोऽध्यायःसुरथ और समाधिकी तपस्यासे प्रसन्न भगवतीका प्रकट होना और उन्हें इच्छित वरदान देना) [अथ पञ्चत्रिंशोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- उनका यह वचन सुनकर दुःखित हृदयवाले वैश्य और राजाने प्रसन्नतापूर्वक विनम्रभावसे मुनिके चरणोंमें प्रणाम किया। भक्तिपरायण चित्तवाले, शान्त स्वभाववाले तथा हर्षके कारण खिले हुए नेत्रोंवाले वे दोनों वाक्य- विशारद राजा … Read more

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 34(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्ध: चतुस्त्रिंशोऽध्यायः मुनि सुमेधाद्वारा देवीकी पूजा-विधिका वर्णन)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 34(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्ध: चतुस्त्रिंशोऽध्यायः मुनि सुमेधाद्वारा देवीकी पूजा-विधिका वर्णन)   [अथ चतुस्त्रिंशोऽध्यायः ]   :-राजा बोले – हे भगवन् ! अब मुझे उन देवीकी आराधना-विधि भलीभाँति बताइये; साथ ही पूजा- विधि, हवनकी विधि और मन्त्र भी बताइये ॥ १ ॥ ऋषि बोले- हे राजन् ! सुनिये, मैं उनके पूजनकी … Read more

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 33(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्ध:त्रयस्त्रिशोऽध्यायः मुनि सुमेधाका सुरथ और समाधिको देवीकी महिमा बताना)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 33(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्ध:त्रयस्त्रिशोऽध्यायः मुनि सुमेधाका सुरथ और समाधिको देवीकी महिमा बताना) [अथ त्रयस्त्रिशोऽध्यायः ]   :-राजा बोले- हे मुने ! ये वैश्य हैं, आज ही वनमें इनसे मेरी मित्रता हुई है। पत्नी और पुत्रोंने इन्हें निकाल दिया है और अब यहाँ इन्हें मेरा साथ प्राप्त हुआ है ॥ १ … Read more

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 32(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्ध:द्वात्रिंशोऽध्यायःदेवीमाहात्म्यके प्रसंगमें राजा सुरथ और समाधि वैश्यकी कथा)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 32(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्ध:द्वात्रिंशोऽध्यायःदेवीमाहात्म्यके प्रसंगमें राजा सुरथ और समाधि वैश्यकी कथा) [अथ द्वात्रिंशोऽध्यायः]  :-जनमेजय बोले- हे मुने ! आपने भगवती चण्डिकाकी महिमाका भलीभाँति वर्णन किया। अब आप यह बतानेकी कृपा करें कि तीन चरित्रोंका प्रयोग करके पहले किसने भगवतीकी आराधना की थी ? ॥ १ ॥ वे वरदायिनी भगवती किसके … Read more

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 31(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्ध:अथैकत्रिंशोऽध्यायःशुम्भका रणभूमिमें आना और देवीसे वार्तालाप करना, भगवती कालिकाद्वारा उसका वध, देवीके इस उत्तम चरित्रके पठन और श्रवणका फल)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 31(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्ध:अथैकत्रिंशोऽध्यायःशुम्भका रणभूमिमें आना और देवीसे वार्तालाप करना, भगवती कालिकाद्वारा उसका वध, देवीके इस उत्तम चरित्रके पठन और श्रवणका फल) [अथैकत्रिंशोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- उन सैनिकोंका यह वचन सुनकर क्रोधसे आकुलित नेत्रोंवाले दानवराज शुम्भने उनसे तुरन्त कहा ॥ १ ॥ शुम्भ बोला- हे मूर्खे ! तुम सब खोटी बात … Read more

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 30(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्ध:त्रिंशोऽध्यायः देवीद्वारा निशुम्भका वध)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 30(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्ध:त्रिंशोऽध्यायः देवीद्वारा निशुम्भका वध) [अथ त्रिंशोऽध्यायः]   :-व्यासजी बोले- [हे राजन् !] वह पराक्रमी निशुम्भ अब मृत्यु अथवा विजयका निश्चय करके पूरी तैयारीके साथ सेनासहित समरभूमिमें उपस्थित हो गया ॥ १ ॥ अपनी सेना साथमें लेकर शुम्भ भी उस निशुम्भके पास आ गया और युद्धकलाका पूर्ण ज्ञान … Read more

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 29(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्ध:अथैकोनत्रिंशोऽध्यायःरक्तबीजका वध और निशुम्भका युद्धक्षेत्रके लिये प्रस्थान)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 29(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्ध:अथैकोनत्रिंशोऽध्यायःरक्तबीजका वध और निशुम्भका युद्धक्षेत्रके लिये प्रस्थान) [अथैकोनत्रिंशोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- हे राजन् ! किसी समय शंकरजीने उस दानव रक्तबीजको यह बड़ा ही अद्भुत वर दे डाला था, मैं उसे बता रहा हूँ; आप सुनिये ॥ १ ॥ उस दानवके शरीरसे जब रक्तकी बूँद पृथ्वीपर गिरती थी, तब … Read more

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 28(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्ध:अथाष्टाविंशोऽध्यायःदेवीके साथ रक्तबीजका युद्ध, विभिन्न शक्तियोंके साथ भगवान् शिवका रणस्थलमें आना तथा भगवतीका उन्हें दूत बनाकर शुम्भके पास भेजना, भगवान् शिवके सन्देशसे दानवोंका क्रुद्ध होकर युद्धके लिये आना)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 28(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्ध:अथाष्टाविंशोऽध्यायःदेवीके साथ रक्तबीजका युद्ध, विभिन्न शक्तियोंके साथ भगवान् शिवका रणस्थलमें आना तथा भगवतीका उन्हें दूत बनाकर शुम्भके पास भेजना, भगवान् शिवके सन्देशसे दानवोंका क्रुद्ध होकर युद्धके लिये आना) [अथाष्टाविंशोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- हे राजन् ! तत्पश्चात् वे देवी हँसकर मेघके समान गम्भीर वाणीमें उस रक्तबीजसे यह युक्तिसंगत वचन … Read more

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 27(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्ध:सप्तविंशोऽध्यायःशुम्भका रक्तबीजको भगवती अम्बिकाके पास भेजना और उसका देवीसे वार्तालाप)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 27(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्ध:सप्तविंशोऽध्यायःशुम्भका रक्तबीजको भगवती अम्बिकाके पास भेजना और उसका देवीसे वार्तालाप) [अथ सप्तविंशोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- [हे राजन् !] उन दोनों दैत्योंको मारा गया देखकर मरनेसे बचे सभी सैनिक भागकर राजा शुम्भके पास गये। कुछ सैनिकोंके अंग बाणोंसे छिद गये थे, कुछके हाथ कट गये थे, उनके पूरे शरीरसे … Read more

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 26(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्ध:षड्विंशोऽध्यायःभगवती अम्बिकासे चण्ड-मुण्डका संवाद और युद्ध, देवी कालिकाद्वारा चण्ड-मुण्डका वध)

Devi bhagwat puran skandh 5 chapter 26(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण पञ्चमः स्कन्ध:षड्विंशोऽध्यायःभगवती अम्बिकासे चण्ड-मुण्डका संवाद और युद्ध, देवी कालिकाद्वारा चण्ड-मुण्डका वध) (अथ षड्विंशोऽध्यायः) :-व्यासजी बोले- [हे महाराज !] तदनन्तर शुम्भसे ऐसा आदेश पाकर महाबली चण्ड-मुण्ड विशाल सेनाके साथ बड़े वेगसे रणभूमिकी ओर चल पड़े ॥ १ ॥ तब देवताओंका हित करनेवाली देवीको वहाँ युद्धभूमिमें विद्यमान देखकर वे दोनों … Read more

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