Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 20 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:विंशोऽध्यायःराजा हरिवर्माको भगवान् विष्णुद्वारा अपना है हयसंज्ञक पुत्र देना, राजाद्वारा उसका ‘एकवीर’ नाम रखना)

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 20 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:विंशोऽध्यायःराजा हरिवर्माको भगवान् विष्णुद्वारा अपना  हयसंज्ञक पुत्र देना, राजाद्वारा उसका ‘एकवीर’ नाम रखना) (अथ विंशोऽध्यायः) :-जनमेजय बोले – [हे मुनिवर !] मुझे इस विषयमें यह महान् संशय हो रहा है कि भगवान्ने उत्पन्न होते ही उस बालकका त्याग कर दिया। निर्जन वनमें उस असहाय बालककी देखभाल … Read more

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 19 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:अथैकोनविंशोऽध्यायःभगवती लक्ष्मीको अश्वरूपधारी भगवान् विष्णुके दर्शन और उनका वैकुण्ठगमन)

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 19 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:अथैकोनविंशोऽध्यायःभगवती लक्ष्मीको अश्वरूपधारी भगवान् विष्णुके दर्शन और उनका वैकुण्ठगमन)   (अथैकोनविंशोऽध्यायः)   :-व्यासजी बोले- उन लक्ष्मीजीको वरदान देकर भगवान् शंकर देवगणोंसे सेवित तथा अप्सराओंसे सुशोभित रमणीक कैलासपर शीघ्र चले गये ॥ १ ॥ वहाँ पहुँचते ही शंकरजीने लक्ष्मीका कार्य सिद्ध करनेके उद्देश्यसे अपने कार्यकुशल गण चित्ररूपको … Read more

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 18 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:अथाष्टादशोऽध्यायः भगवती लक्ष्मीद्वारा घोड़ीका रूप धारणकर तपस्या करना)

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 18 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:अथाष्टादशोऽध्यायः भगवती लक्ष्मीद्वारा घोड़ीका रूप धारणकर तपस्या करना)   (अथाष्टादशोऽध्यायः )   :-जनमेजय बोले- [हे मुने!] इस प्रकार कोप करके भगवान्‌के द्वारा शापित लक्ष्मीजीने घोड़ीके रूपमें किस प्रकार जन्म लिया और इसके बाद रेवन्तने क्या किया ? ॥ १ ॥ अपने पतिके प्रवासमें रहनेके कारण उसके … Read more

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 17 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:सप्तदशोऽध्यायःभगवतीकी कृपासे भार्गव ब्राह्मणीकी जंघासे तेजस्वी बालककी उत्पत्ति, हैहयवंशी क्षत्रियोंकी उत्पत्तिकी कथा)

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 17 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:सप्तदशोऽध्यायःभगवतीकी कृपासे भार्गव ब्राह्मणीकी जंघासे तेजस्वी बालककी उत्पत्ति, हैहयवंशी क्षत्रियोंकी उत्पत्तिकी कथा) (अथ सप्तदशोऽध्यायः) :-जनमेजय बोले- भृगुवंशकी स्त्रियोंका पुनः दुःखरूप समुद्रसे कैसे उद्धार हुआ और उन ब्राह्मणोंकी वंशपरम्परा किस प्रकार स्थिर रही ? ॥१॥ लोभके वशीभूत तथा पापाचारी हैहय क्षत्रियोंने उन ब्राह्मणोंको मारनेके पश्चात् कौन-सा कार्य … Read more

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 16 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध: षोडशोऽध्यायःहैहयवंशी क्षत्रियोंद्वारा भृगुवंशी ब्राह्मणोंका संहार)

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 16 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध: षोडशोऽध्यायःहैहयवंशी क्षत्रियोंद्वारा भृगुवंशी ब्राह्मणोंका संहार) [ अथ षोडशोऽध्यायः]   :-जनमेजय बोले- जिन हैहय क्षत्रियोंने ब्रह्म- हत्याकी लेशमात्र भी चिन्ता न करके भृगुवंशी ब्राह्मणोंका वध कर दिया, वे किसके कुलमें उत्पन्न हुए थे ? ॥ १ ॥ हे पितामह ! उनके वैरका क्या कारण था, आप … Read more

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 15 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठःपञ्चदशोऽध्यायःभगवतीकी कृपासे निमिको मनुष्योंके नेत्र-पलकोंमें वासस्थान मिलना तथा संसारी प्राणियोंकी त्रिगुणात्मकताका वर्णन)

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 15 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध: पञ्चदशोऽध्यायःभगवतीकी कृपासे निमिको मनुष्योंके नेत्र-पलकोंमें वासस्थान मिलना तथा संसारी प्राणियोंकी त्रिगुणात्मकताका वर्णन)   (अथ पञ्चदशोऽध्यायः)   :-जनमेजय बोले- आपने वसिष्ठकी शरीर- प्राप्तिका वर्णन किया; निमिने पुनः किस प्रकार देह प्राप्त की; यह मुझसे कहिये ॥ १ ॥ व्यासजी बोले- हे राजन् ! वसिष्ठने जिस प्रकार … Read more

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 14 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:चतुर्दशोऽध्यायःराजा निमि और वसिष्ठका एक-दूसरेको शाप देना, वसिष्ठका मित्रावरुणके पुत्रके रूपमें जन्म लेना)

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 14 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:चतुर्दशोऽध्यायःराजा निमि और वसिष्ठका एक-दूसरेको शाप देना, वसिष्ठका मित्रावरुणके पुत्रके रूपमें जन्म लेना)   [अथ चतुर्दशोऽध्यायः]   :-जनमेजय बोले- हे महाभाग ! ब्रह्माके पुत्र मुनि वसिष्ठका ‘मैत्रावरुणि’ – यह नाम कैसे पड़ा ? हे वक्ताओंमें श्रेष्ठ ! किस कर्म अथवा गुणके कारण उन्होंने यह नाम प्राप्त … Read more

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 13 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:त्रयोदशोऽध्यायःराजा हरिश्चन्द्रका शुनःशेपको यज्ञीय पशु बनाकर यज्ञ करना, विश्वामित्रसे प्राप्त वरुणमन्त्रके जपसे शुनःशेपका मुक्त होना, परस्पर शापसे विश्वामित्र और वसिष्ठका बक तथा आडी होना)

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 13 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:त्रयोदशोऽध्यायःराजा हरिश्चन्द्रका शुनःशेपको यज्ञीय पशु बनाकर यज्ञ करना, विश्वामित्रसे प्राप्त वरुणमन्त्रके जपसे शुनःशेपका मुक्त होना, परस्पर शापसे विश्वामित्र और वसिष्ठका बक तथा आडी होना) (अथ त्रयोदशोऽध्यायः) :-इन्द्र बोले- पूर्वकालमें राजाने वरुणदेवसे यह प्रतिज्ञा की थी कि मैं अपने प्रिय पुत्रको यज्ञीय पशु बनाकर यज्ञ करूँगा- यह … Read more

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 12 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:द्वादशोऽध्यायःपवित्र तीर्थोंका वर्णन, चित्तशुद्धिकी प्रधानता तथा इस सम्बन्धमें विश्वामित्र और वसिष्ठके परस्पर वैरकी कथा, राजा हरिश्चन्द्रका वरुणदेवके शापसे जलोदरग्रस्त होना)

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 12 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:द्वादशोऽध्यायःपवित्र तीर्थोंका वर्णन, चित्तशुद्धिकी प्रधानता तथा इस सम्बन्धमें विश्वामित्र और वसिष्ठके परस्पर वैरकी कथा, राजा हरिश्चन्द्रका वरुणदेवके शापसे जलोदरग्रस्त होना)   (अथ द्वादशोऽध्यायः) :-राजा बोले- हे मुनिश्रेष्ठ ! अब आप मुझे मनुष्यों और देवताओंके द्वारा सेवनीय इस पृथ्वीपर स्थित पुण्य तीर्थों, क्षेत्रों तथा नदियोंके विषयमें बताइये। … Read more

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 11 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:अथैकादशोऽध्यायः युगधर्म एवं तत्सम्बन्धी व्यवस्थाका वर्णन)

Devi bhagwat puran skandh 6 chapter 11 (श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण षष्ठः स्कन्ध:अथैकादशोऽध्यायः युगधर्म एवं तत्सम्बन्धी व्यवस्थाका वर्णन) (अथैकादशोऽध्यायः )   :-जनमेजय बोले- हे द्विजश्रेष्ठ ! पृथ्वीका भार उतारनेके लिये बलराम और श्रीकृष्णके अवतारकी बात आपने कही, किंतु मेरे मनमें एक संशय है ॥ १ ॥ द्वापरयुगके अन्तमें अत्यन्त दीन तथा आतुर होकर भारी बोझसे दबी हुई पृथ्वी … Read more

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