Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 20(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:विंशोऽध्यायःराजाओंका सुदर्शनसे स्वयंवरमें आनेका कारण पूछना और सुदर्शनका उन्हें स्वप्नमें भगवतीद्वारा दिया गया आदेश बताना, राजा सुबाहुका शशिकलाको समझाना, परंतु उसका अपने निश्चयपर दृढ़ रहना)

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 20(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:विंशोऽध्यायःराजाओंका सुदर्शनसे स्वयंवरमें आनेका कारण पूछना और सुदर्शनका उन्हें स्वप्नमें भगवतीद्वारा दिया गया आदेश बताना, राजा सुबाहुका शशिकलाको समझाना, परंतु उसका अपने निश्चयपर दृढ़ रहना) [अथ विंशोऽध्यायः] :’व्यासजी बोले- हे महाभाग ! तब महाराज केरल- नरेशके ऐसा कहनेपर राजा युधाजित्ने कहा- ॥ १ ॥ हे पृथ्वीपते ! आपने … Read more

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 19(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:अथैकोनविंशोऽध्यायःमाताका शशिकलाको समझाना, शशिकलाका अपने निश्चयपर दृढ़ रहना, सुदर्शन तथा अन्य राजाओंका स्वयंवरमें आगमन, युधाजित्द्वारा सुदर्शनको मार डालनेकी बात कहनेपर केरलनरेशका उन्हें समझाना)

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 19(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:अथैकोनविंशोऽध्यायःमाताका शशिकलाको समझाना, शशिकलाका अपने निश्चयपर दृढ़ रहना, सुदर्शन तथा अन्य राजाओंका स्वयंवरमें आगमन, युधाजित्द्वारा सुदर्शनको मार डालनेकी बात कहनेपर केरलनरेशका उन्हें समझाना) [अथैकोनविंशोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- पतिके ऐसा कहनेपर रानीने सुन्दर मुसकानवाली उस कन्याको अपनी गोदमें बैठाकर उसे आश्वासन दे करके यह मधुर वचन कहा-हे सुदति ! तुम … Read more

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 18(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्धः अथाष्टादशोऽध्यायःराजकुमारी शशिकलाद्वारा मन-ही-मन सुदर्शनका वरण करना, काशिराजद्वारा स्वयंवरकी घोषणा, शशिकलाका सखीके माध्यमसे अपना निश्चय माताको बताना)

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 18(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्धःअथाष्टादशोऽध्यायःराजकुमारी शशिकलाद्वारा मन-ही-मन सुदर्शनका वरण करना, काशिराजद्वारा स्वयंवरकी घोषणा, शशिकलाका सखीके माध्यमसे अपना निश्चय माताको बताना) [अथाष्टादशोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- उस ब्राह्मणका वचन सुनकर सुन्दरी शशिकला प्रेमविभोर हो गयी और वह ब्राह्मण इतना कहकर शान्तभावसे उस स्थानसे चला गया ॥ १॥ उस श्रेष्ठ ब्राह्मणके चले जानेपर वह सुन्दरी पूर्व … Read more

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 17(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्धः सप्तदशोऽध्यायःयुधाजित्का अपने प्रधान अमात्यसे परामर्श करना, प्रधान अमात्यका इस सन्दर्भमें वसिष्ठ-विश्वामित्र-प्रसंग सुनाना और परामर्श मानकर युधाजित्का वापस लौट जाना, बालक सुदर्शनको दैवयोगसे कामराज नामक बीजमन्त्रकी प्राप्ति, भगवतीकी आराधनासे सुदर्शनको उनका प्रत्यक्ष दर्शन होना तथा काशिराजकी कन्या शशिकलाको स्वप्नमें भगवतीद्वारा सुदर्शनका वरण करनेका आदेश देना)

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 17(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्धःसप्तदशोऽध्यायःयुधाजित्का अपने प्रधान अमात्यसे परामर्श करना, प्रधान अमात्यका इस सन्दर्भमें वसिष्ठ-विश्वामित्र-प्रसंग सुनाना और परामर्श मानकर युधाजित्का वापस लौट जाना, बालक सुदर्शनको दैवयोगसे कामराज नामक बीजमन्त्रकी प्राप्ति, भगवतीकी आराधनासे सुदर्शनको उनका प्रत्यक्ष दर्शन होना तथा काशिराजकी कन्या शशिकलाको स्वप्नमें भगवतीद्वारा सुदर्शनका वरण करनेका आदेश देना) [अथ सप्तदशोऽध्यायः] :व्यासजी बोले- … Read more

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 16(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्धः षोडशोऽध्यायःयुधाजित्का भारद्वाजमुनिके आश्रमपर आना और उनसे मनोरमाको भेजनेका आग्रह करना, प्रत्युत्तरमें मुनिका ‘शक्ति हो तो ले जाओ’ – ऐसा कहना)

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 16(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्धःषोडशोऽध्यायःयुधाजित्का भारद्वाजमुनिके आश्रमपर आना और उनसे मनोरमाको भेजनेका आग्रह करना, प्रत्युत्तरमें मुनिका ‘शक्ति हो तो ले जाओ’ – ऐसा कहना) [अथ षोडशोऽध्यायः]   :-व्यासजी बोले – [हे राजन् !] तदनन्तर महाबली युधाजित्ने रणभूमिसे अयोध्या पहुँचकर सुदर्शनको भी मार डालनेकी इच्छासे मनोरमाके विषयमें लोगोंसे पूछा ॥ १ ॥ ‘मनोरमा … Read more

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 15(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्धःपञ्चदशोऽध्यायःराजा युधाजित् और वीरसेनका युद्ध, वीरसेनकी मृत्यु, राजा ध्रुवसन्धिकी रानी मनोरमाका अपने पुत्र सुदर्शनको लेकर भारद्वाजमुनिके आश्रममें जाना तथा वहीं निवास करना)

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 15(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्धःपञ्चदशोऽध्यायःराजा युधाजित् और वीरसेनका युद्ध, वीरसेनकी मृत्यु, राजा ध्रुवसन्धिकी रानी मनोरमाका अपने पुत्र सुदर्शनको लेकर भारद्वाजमुनिके आश्रममें जाना तथा वहीं निवास करना) [अथ पञ्चदशोऽध्यायः]   :-व्यासजी बोले- [हे राजन् !] युद्ध आरम्भ हो जानेपर क्रोध एवं लोभके वशीभूत उन दोनों राजाओंने लड़नेके लिये शस्त्र उठा लिये और तब … Read more

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 14(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्धःचतुर्दशोऽध्यायःदेवीमाहात्म्यसे सम्बन्धित राजा ध्रुवसन्धिकी कथा, ध्रुवसन्धिकी मृत्युके बाद राजा युधाजित् और वीरसेनका अपने-अपने दौहित्रोंके पक्षमें विवाद)

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 14(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्धःचतुर्दशोऽध्यायःदेवीमाहात्म्यसे सम्बन्धित राजा ध्रुवसन्धिकी कथा, ध्रुवसन्धिकी मृत्युके बाद राजा युधाजित् और वीरसेनका अपने-अपने दौहित्रोंके पक्षमें विवाद) [अथ चतुर्दशोऽध्यायः] :-जनमेजय बोले – हे द्विज ! मैंने विष्णुद्वारा किये गये देवीयज्ञके विषयमें विस्तारपूर्वक सुन लिया। अब आप मुझे विस्तृतरूपसे भगवतीकी महिमा बताइये ॥ १ ॥ हे विप्रेन्द्र ! देवीका चरित्र … Read more

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 13(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्धःत्रयोदशोऽध्यायःदेवीकी आधारशक्तिसे पृथ्वीका अचल होना तथा उसपर सुमेरु आदि पर्वतोंकी रचना, ब्रह्माजीद्वारा मरीचि आदिकी मानसी सृष्टि करना, काश्यपी सृष्टिका वर्णन, ब्रह्मलोक, वैकुण्ठ, कैलास और स्वर्ग आदिका निर्माण; भगवान् विष्णुद्वारा अम्बायज्ञ करना और प्रसन्न होकर भगवती आद्या- शक्तिद्वारा आकाशवाणीके माध्यमसे उन्हें वरदान देना)

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 13(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्धः त्रयोदशोऽध्यायःदेवीकी आधारशक्तिसे पृथ्वीका अचल होना तथा उसपर सुमेरु आदि पर्वतोंकी रचना, ब्रह्माजीद्वारा मरीचि आदिकी मानसी सृष्टि करना, काश्यपी सृष्टिका वर्णन, ब्रह्मलोक, वैकुण्ठ, कैलास और स्वर्ग आदिका निर्माण; भगवान् विष्णुद्वारा अम्बायज्ञ करना और प्रसन्न होकर भगवती आद्या- शक्तिद्वारा आकाशवाणीके माध्यमसे उन्हें वरदान देना) [अथ त्रयोदशोऽध्यायः] :-राजा बोले – … Read more

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 12(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्धःद्वादशोऽध्यायःसात्त्विक, राजस और तामस यज्ञोंका वर्णन; मानसयज्ञकी महिमा और व्यासजीद्वारा राजा जनमेजयको देवी-यज्ञके लिये प्रेरित करना)

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 12(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्धःद्वादशोऽध्यायःसात्त्विक, राजस और तामस यज्ञोंका वर्णन; मानसयज्ञकी महिमा और व्यासजीद्वारा राजा जनमेजयको देवी-यज्ञके लिये प्रेरित करना) [अथ द्वादशोऽध्यायः] :-राजा बोले – हे स्वामिन् ! अब आप उन देवीके यज्ञकी विधिका पूर्णरूपसे सम्यक् वर्णन कीजिये। उसे सुनकर मैं यथाशक्ति प्रमादरहित होकर वह यज्ञ करूँगा ॥ १ ॥ उस यज्ञकी … Read more

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 11(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्धःअथैकादशोऽध्यायःसत्यव्रतद्वारा बिन्दुरहित सारस्वत बीजमन्त्र ‘ऐ-ऐ’ का उच्चारण तथा उससे प्रसन्न होकर भगवतीका सत्यव्रतको समस्त विद्याएँ प्रदान करना)

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 11(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्धःअथैकादशोऽध्यायःसत्यव्रतद्वारा बिन्दुरहित सारस्वत बीजमन्त्र ‘ऐ-ऐ’ का उच्चारण तथा उससे प्रसन्न होकर भगवतीका सत्यव्रतको समस्त विद्याएँ प्रदान करना) [अथैकादशोऽध्यायः] :-लोमश ऋषि बोले- [हे जमदग्ने !] वह उतथ्य वेदाध्ययन, जप, ध्यान तथा देवताओंकी आराधना आदि कुछ भी नहीं जानता था। वह ब्राह्मण आसन, प्राणायाम तथा प्रत्याहार भी नहीं जानता था। … Read more

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