Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 30(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:त्रिंशोऽध्यायःश्रीराम और लक्ष्मणके पास नारदजीका आना और उन्हें नवरात्रव्रत करनेका परामर्श देना, श्रीरामके पूछनेपर नारदजीका उनसे देवीकी महिमा और नवरात्रव्रतकी विधि बतलाना, श्रीरामद्वारा देवीका पूजन और देवीद्वारा उन्हें विजयका वरदान देना)

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 30(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:त्रिंशोऽध्यायःश्रीराम और लक्ष्मणके पास नारदजीका आना और उन्हें नवरात्रव्रत करनेका परामर्श देना, श्रीरामके पूछनेपर नारदजीका उनसे देवीकी महिमा और नवरात्रव्रतकी विधि बतलाना, श्रीरामद्वारा देवीका पूजन और देवीद्वारा उन्हें विजयका वरदान देना)   [अथ त्रिंशोऽध्यायः]   :-व्यासजी बोले- इस प्रकार राम और लक्ष्मण परस्परमें परामर्श करके ज्यों ही चुप … Read more

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 29(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:अथैकोनत्रिंशोऽध्यायः सीताहरण, रामका शोक और लक्ष्मणद्वारा उन्हें सान्त्वना देना)

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 29(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:अथैकोनत्रिंशोऽध्यायः सीताहरण, रामका शोक और लक्ष्मणद्वारा उन्हें सान्त्वना देना)   [अथैकोनत्रिंशोऽध्यायः]   :-व्यासजी बोले – रावणका कुविचारपूर्ण वचन सुनकर सीता भयसे व्याकुल होकर काँप उठीं। पुनः मनको स्थिर करके उन्होंने कहा- हे पुलस्त्यके वंशज ! कामके वशीभूत होकर तुम ऐसा अनर्गल वचन क्यों कह रहे हो? मैं स्वैरिणी … Read more

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 28(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:अथाष्टाविंशोऽध्यायःश्रीरामचरित्रवर्णन)

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 28(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:अथाष्टाविंशोऽध्यायःश्रीरामचरित्रवर्णन)   [अथाष्टाविंशोऽध्यायः]   :-जनमेजय बोले – श्रीरामने भगवती जगदम्बाके इस सुखप्रदायक व्रतका अनुष्ठान किस प्रकार किया, वे राज्यच्युत कैसे हुए और फिर सीता हरण किस प्रकार हुआ ? ॥ १ ॥ व्यासजी बोले – पूर्वकालमें श्रीमान् महाराज दशरथ अयोध्यापुरीमें राज्य करते थे। वे सूर्यवंशमें श्रेष्ठ राजाके रूपमें … Read more

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 27(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:सप्तविंशोऽध्यायःकुमारीपूजामें निषिद्ध कन्याओंका वर्णन, नवरात्रव्रतके माहात्म्यके प्रसंगमें सुशील नामक वणिक्की कथा)

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 27(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:सप्तविंशोऽध्यायःकुमारीपूजामें निषिद्ध कन्याओंका वर्णन, नवरात्रव्रतके माहात्म्यके प्रसंगमें सुशील नामक वणिक्की कथा)   [अथ सप्तविंशोऽध्यायः]   :-व्यासजी बोले- [हे राजन् !] जो कन्या किसी अंगसे हीन हो, कोढ़ तथा घावयुक्त हो, जिसके शरीरके किसी अंगसे दुर्गन्ध आती हो और जो विशाल कुलमें उत्पन्न हुई हो-ऐसी कन्याका पूजामें परित्याग कर … Read more

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 26(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:षड्विंशोऽध्यायःनवरात्रव्रत-विधान, कुमारीपूजामें प्रशस्त कन्याओंका वर्णन)

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 26(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:षड्विंशोऽध्यायःनवरात्रव्रत-विधान, कुमारीपूजामें प्रशस्त कन्याओंका वर्णन) [अथ षड्विंशोऽध्यायः] :-जनमेजय बोले- हे द्विजश्रेष्ठ ! नवरात्रके आनेपर और विशेष करके शारदीय नवरात्रमें क्या करना चाहिये ? उसका विधान आप मुझे भलीभाँति बताइये ॥ १ ॥ हे महामते ! उस पूजनका क्या फल है और उसमें किस विधिका पालन करना चाहिये। हे … Read more

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 25(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:पञ्चविंशोऽध्यायःसुदर्शनका शत्रुजित्की माताको सान्त्वना देना, सुदर्शनद्वारा अयोध्यामें तथा राजा सुबाहुद्वारा काशीमें देवी दुर्गाकी स्थापना)

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 25(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:पञ्चविंशोऽध्यायःसुदर्शनका शत्रुजित्की माताको सान्त्वना देना, सुदर्शनद्वारा अयोध्यामें तथा राजा सुबाहुद्वारा काशीमें देवी दुर्गाकी स्थापना)   [अथ पञ्चविंशोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले – अयोध्या पहुँचकर नृपश्रेष्ठ सुदर्शन अपने मित्रोंके साथ राजभवनमें गये। वहाँपर शत्रुजित्की परम शोकाकुल माताको प्रणामकर उन्होंने कहा- हे माता ! मैं आपके चरणोंकी शपथ खाकर कहता हूँ कि … Read more

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 24(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:चतुर्विंशोऽध्यायःसुबाहुद्वारा भगवती दुर्गासे सदा काशीमें रहनेका वरदान माँगना तथा देवीका वरदान देना, सुदर्शनद्वारा देवीकी स्तुति तथा देवीका उसे अयोध्या जाकर राज्य करनेका आदेश देना, राजाओंका सुदर्शनसे अनुमति लेकर अपने-अपने राज्योंको प्रस्थान)

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 24(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:चतुर्विंशोऽध्यायःसुबाहुद्वारा भगवती दुर्गासे सदा काशीमें रहनेका वरदान माँगना तथा देवीका वरदान देना, सुदर्शनद्वारा देवीकी स्तुति तथा देवीका उसे अयोध्या जाकर राज्य करनेका आदेश देना, राजाओंका सुदर्शनसे अनुमति लेकर अपने-अपने राज्योंको प्रस्थान) [अथ चतुर्विंशोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- [हे राजन् !] उन भवानीका वचन सुनकर नृपश्रेष्ठ सुबाहुने भक्तिसे युक्त होकर यह … Read more

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 23(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:त्रयोविंशोऽध्यायःसुदर्शनका शशिकलाके साथ भारद्वाज-आश्रमके लिये प्रस्थान, युधाजित् तथा अन्य राजाओंसे सुदर्शनका घोर संग्राम, भगवती सिंहवाहिनी दुर्गाका प्राकट्य, भगवतीद्वारा युधाजित् और शत्रुजित्का वध, सुबाहुद्वारा भगवतीकी स्तुति)

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 23(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:त्रयोविंशोऽध्यायःसुदर्शनका शशिकलाके साथ भारद्वाज-आश्रमके लिये प्रस्थान, युधाजित् तथा अन्य राजाओंसे सुदर्शनका घोर संग्राम, भगवती सिंहवाहिनी दुर्गाका प्राकट्य, भगवतीद्वारा युधाजित् और शत्रुजित्का वध, सुबाहुद्वारा भगवतीकी स्तुति) [अथ त्रयोविंशोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- [हे राजन् !] उस समय राजा सुबाहुने छः दिनोंतक विविध प्रकारके भोजन बनवाकर सुदर्शनको प्रेमपूर्वक खिलाया ॥ १ ॥ … Read more

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 22(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:द्वाविंशोऽध्यायःशशिकलाका गुप्त स्थानमें सुदर्शनके साथ विवाह, विवाहकी बात जानकर राजाओंका सुबाहुके प्रति क्रोध प्रकट करना तथा सुदर्शनका मार्ग रोकनेका निश्चय करना)

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 22(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:द्वाविंशोऽध्यायःशशिकलाका गुप्त स्थानमें सुदर्शनके साथ विवाह, विवाहकी बात जानकर राजाओंका सुबाहुके प्रति क्रोध प्रकट करना तथा सुदर्शनका मार्ग रोकनेका निश्चय करना) [अथ द्वाविंशोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- पवित्र अन्तःकरणवाले राजा सुबाहु कन्याकी बात सुनकर राजाओंके पास जाकर बोले- हे महाराजाओ ! आपलोग इस समय अपने- अपने शिविरमें जायें, मैं कन्याका … Read more

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 21(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:अथैकविंशोऽध्यायःराजा सुबाहुका राजाओंसे अपनी कन्याकी इच्छा बताना, युधाजित्‌का क्रोधित होकर सुबाहुको फटकारना तथा अपने दौहित्रसे शशिकलाका विवाह करनेको कहना, माताद्वारा शशिकलाको पुनः समझाना, किंतु शशिकलाका अपने निश्चयपर दृढ़ रहना)

Devi bhagwat puran skandh 3 chapter 21(श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण तृतीयःस्कन्ध:अथैकविंशोऽध्यायःराजा सुबाहुका राजाओंसे अपनी कन्याकी इच्छा बताना, युधाजित्‌का क्रोधित होकर सुबाहुको फटकारना तथा अपने दौहित्रसे शशिकलाका विवाह करनेको कहना, माताद्वारा शशिकलाको पुनः समझाना, किंतु शशिकलाका अपने निश्चयपर दृढ़ रहना)   [अथैकविंशोऽध्यायः] :-व्यासजी बोले- [हे राजन् !] महाराज सुबाहु पुत्रीके द्वारा कही गयी युक्तिसंगत बातें सुनकर इस चिन्तामें पड़ … Read more

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