Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 7 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 7 परमेश्वरकी शक्तिका ऋषियोंद्वारा साक्षात्कार, शिवके प्रसादसे प्राणियोंकी मुक्ति, शिवकी सेवा-भक्ति तथा पाँच प्रकारके शिवधर्मका वर्णन)

वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड) Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 7 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 7 परमेश्वरकी शक्तिका ऋषियोंद्वारा साक्षात्कार, शिवके प्रसादसे प्राणियोंकी मुक्ति, शिवकी सेवा-भक्ति तथा पाँच प्रकारके शिवधर्मका वर्णन)   :-उपमन्यु कहते हैं-परमेश्वर शिवकी स्वाभाविक शक्ति विद्या है, जो सबसे विलक्षण है। वह एक होकर भी अनेक रूपसे भासित होती है। जैसे सूर्यकी … Read more

Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 6 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 6 शिवके शुद्ध, बुद्ध, मुक्त, सर्वमय, सर्वव्यापक एवं सर्वातीत स्वरूपका तथा उनकी प्रणवरूपताका प्रतिपादन)

वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड) Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 6 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 6 शिवके शुद्ध, बुद्ध, मुक्त, सर्वमय, सर्वव्यापक एवं सर्वातीत स्वरूपका तथा उनकी प्रणवरूपताका प्रतिपादन) :-उपमन्यु कहते हैं-यदुनन्दन ! शिवको न तो आणव मलका ही बन्धन प्राप्त है, न कर्मका और न मायाका ही। प्राकृत, बौद्ध, अहंकार, मन, चित्त, इन्द्रिय, तन्मात्रा … Read more

Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 5(शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 5 परमेश्वर शिवके यथार्थ स्वरूपका विवेचन तथा उनकी शरणमें जानेसे जीवके कल्याणका कथन)

वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड) Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 5(शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 5 परमेश्वर शिवके यथार्थ स्वरूपका विवेचन तथा उनकी शरणमें जानेसे जीवके कल्याणका कथन) :-उपमन्यु कहते हैं- यदुनन्दन ! यह चराचर जगत् देवाधिदेव महादेवजीका स्वरूप है। परंतु पशु (जीव) भारी पाशसे बँधे होनेके कारण जगत्को इस रूपमें नहीं जानते। महर्षिगण उन परमेश्वर … Read more

Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 4(शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 4 शिव और शिवाकी विभूतियोंका वर्णन)

वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड) Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 4(शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 4 शिव और शिवाकी विभूतियोंका वर्णन) :-श्रीकृष्णने पूछा- भगवन् ! अमिततेजस्वी भगवान् शिवकी मूर्तियोंने इस सम्पूर्ण जगत्‌को जिस प्रकार व्याप्त कर रखा है, वह सब मैंने सुना। अब मुझे यह जाननेकी इच्छा है कि परमेश्वरी शिवा और परमेश्वर शिवका यथार्थ स्वरूप … Read more

Shiv puran vayu samhita uttarkhand chapter 3(शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 3 भगवान् शिवकी ब्रह्मा आदि पंचमूर्तियों, ईशानादि ब्रह्ममूर्तियों तथा पृथ्वी एवं शर्व आदि अष्टमूर्तियोंका परिचय और उनकी सर्वव्यापकताका वर्णन)

वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड) Shiv puran vayu samhita uttarkhand chapter 3(शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 3 भगवान् शिवकी ब्रह्मा आदि पंचमूर्तियों, ईशानादि ब्रह्ममूर्तियों तथा पृथ्वी एवं शर्व आदि अष्टमूर्तियोंका परिचय और उनकी सर्वव्यापकताका वर्णन) :-उपमन्यु कहते हैं- श्रीकृष्ण ! महेश्वर परमात्मा शिवकी मूर्तियोंसे यह सम्पूर्ण चराचर जगत् किस प्रकार व्याप्त है, यह सुनो। ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र, महेशान … Read more

Shiv puran vayu samhita uttarkhand chapter 2(शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 2 उपमन्युद्वारा श्रीकृष्णको पाशुपत ज्ञानका उपदेश

वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड) Shiv puran vayu samhita uttarkhand chapter 2(शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 2 उपमन्युद्वारा श्रीकृष्णको पाशुपत ज्ञानका उपदेश) :-ऋषियोंने पूछा-पाशुपत ज्ञान क्या है? भगवान् शिव पशुपति कैसे हैं? और अनायास ही महान् कर्म करनेवाले भगवान्श्री कृष्णने उपमन्युसे किस प्रकार प्रश्न किया था ? वायुदेव ! आप साक्षात् शंकरके स्वरूप हैं, इसलिये ये सब बातें … Read more

Shiv puran vayu samhita uttarkhand chapter 1 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 1 ऋषियोंके पूछनेपर वायुदेवका श्रीकृष्ण और उपमन्युके मिलनका प्रसंग सुनाना, श्रीकृष्णको उपमन्युसे ज्ञानका और भगवान् शंकरसे पुत्रका लाभ)

वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड) Shiv puran vayu samhita uttarkhand chapter 1(शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 1 ऋषियोंके पूछनेपर वायुदेवका श्रीकृष्ण और उपमन्युके मिलनका प्रसंग सुनाना, श्रीकृष्णको उपमन्युसे ज्ञानका और भगवान् शंकरसे पुत्रका लाभ) नमः सूत उवाच समस्तसंसारचक्रभ्रमणहेतवे । गौरीकुचतटद्वन्द्वकुङ्कुमाङ्कितवक्षसे ॥ सूतजी कहते हैं जो समस्त संसार- चक्रके परिभ्रमणमें कारणरूप हैं तथा गौरीके युगल उरोजोंमें लगे हुए केसरसे … Read more

Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 35 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 35 भगवान् शंकरका इन्द्ररूप धारण करके उपमन्युके भक्तिभावकी परीक्षा लेना, उन्हें क्षीरसागर आदि देकर बहुत-से वर देना और अपना पुत्र मानकर पार्वतीके हाथमें सौंपना, कृतार्थ हुए उपमन्युका अपनी माताके स्थानपर लौटना)

(वायवीयसंहिता(पूर्वखण्ड)) Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 35 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 35 भगवान् शंकरका इन्द्ररूप धारण करके उपमन्युके भक्तिभावकी परीक्षा लेना, उन्हें क्षीरसागर आदि देकर बहुत-से वर देना और अपना पुत्र मानकर पार्वतीके हाथमें सौंपना, कृतार्थ हुए उपमन्युका अपनी माताके स्थानपर लौटना) :-तदनन्तर भगवान् विष्णुके अनुरोध करनेपर श्रीशिवजीने पहले इन्द्रका रूप धारण करके … Read more

Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 34 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 34 बालक उपमन्युको दूधके लिये दुःखी देख माताका उसे शिवकी आराधनाके लिये प्रेरित करना तथा उपमन्युकी तीव्र तपस्या)

(वायवीयसंहिता(पूर्वखण्ड)) Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 34 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 34 बालक उपमन्युको दूधके लिये दुःखी देख माताका उसे शिवकी आराधनाके लिये प्रेरित करना तथा उपमन्युकी तीव्र तपस्या) : -ऋषियोंने पूछा-प्रभो ! धौम्यके बड़े भाई उपमन्यु जब छोटे बालक थे, तब उन्होंने दूधके लिये तपस्या की थी और भगवान् शिवने प्रसन्न होकर … Read more

Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 33 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 33 पाशुपत-व्रतकी विधि और महिमा तथा भस्मधारणकी महत्ता)

(वायवीयसंहिता(पूर्वखण्ड)) Shiv puran vayu samhita purvkhand chapter 33 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 33 पाशुपत-व्रतकी विधि और महिमा तथा भस्मधारणकी महत्ता) :-ऋषि बोले- भगवन् ! हम परम उत्तम पाशुपत व्रतको सुनना चाहते हैं, जिसका अनुष्ठान करके ब्रह्मा आदि सब देवता पाशुपत माने गये हैं। वायुदेवने कहा- मैं तुम सब लोगोंको गोपनीय पाशुपत-व्रतका रहस्य बताता हूँ, … Read more

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