Sri ramcharitmanas pratham sopan balkand chapter 39 to 47( श्रीरामचरितमानस प्रथम सोपान बालकाण्ड अध्याय 39 से 47 :- 39. विश्वामित्र का राजा दशरथ से राम-लक्ष्मण को माँगना, ताड़का वध 40. विश्वामित्र-यज्ञ की रक्षा 41. अहल्या उद्धार 42. श्री राम-लक्ष्मण सहित विश्वामित्र का जनकपुर में प्रवेश 43. श्री राम-लक्ष्मण को देखकर जनकजी की प्रेम मुग्धता 44. श्री राम-लक्ष्मण का जनकपुर निरीक्षण 45. पुष्पवाटिका-निरीक्षण, सीताजी का प्रथम दर्शन, श्री सीता-रामजी का परस्पर दर्शन 46. श्री सीताजी का पार्वती पूजन एवं वरदान प्राप्ति तथा राम-लक्ष्मण संवाद 47. श्री राम-लक्ष्मण सहित विश्वामित्र का यज्ञशाला में प्रवेश)

॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ (श्रीजानकीवल्लभो विजयते) (श्रीरामचरितमानस) (प्रथम सोपान) (बालकाण्ड) Sri ramcharitmanas pratham sopan balkand chapter 39 to 47( श्रीरामचरितमानस प्रथम सोपान बालकाण्ड अध्याय 39 से 47 :- 39. विश्वामित्र का राजा दशरथ से राम-लक्ष्मण को माँगना, ताड़का वध 40. विश्वामित्र-यज्ञ की रक्षा 41. अहल्या उद्धार 42. श्री राम-लक्ष्मण सहित विश्वामित्र का जनकपुर में प्रवेश … Read more

Sri ramcharitmanas pratham sopan balkand chapter 34 to 38( श्रीरामचरितमानस प्रथम सोपान बालकाण्ड अध्याय 34 से 38 :-34. रावणादिका जन्म, तपस्या और उनका ऐश्वर्य तथा अत्याचार 35. पृथ्वी और देवतादि की करुण पुकार 36. भगवान् का वरदान 37. राजा दशरथ का पुत्रेष्टि यज्ञ, रानियों का गर्भवती होना 38. श्री भगवान् राम का प्राकट्य और बाललीला का आनंद)

॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ (श्रीजानकीवल्लभो विजयते) (श्रीरामचरितमानस) (प्रथम सोपान) (बालकाण्ड) Sri ramcharitmanas pratham sopan balkand chapter 34 to 38( श्रीरामचरितमानस प्रथम सोपान बालकाण्ड अध्याय 34 से 38 :-34. रावणादिका जन्म, तपस्या और उनका ऐश्वर्य तथा अत्याचार 35. पृथ्वी और देवतादि की करुण पुकार 36. भगवान् का वरदान 37. राजा दशरथ का पुत्रेष्टि यज्ञ, रानियों का … Read more

Sri ramcharitmanas pratham sopan balkand chapter 30 to 33( श्रीरामचरितमानस प्रथम सोपान बालकाण्ड अध्याय 30 से 33 :-30. नारद का अभिमान और माया का प्रभाव 31. विश्वमोहिनी का स्वयंवर, शिवगणों को तथा भगवान् को शाप और नारद का मोहभंग 32. मनु-शतरूपा तप एवं वरदान 33. प्रतापभानु की कथा)

॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ (श्रीजानकीवल्लभो विजयते) (श्रीरामचरितमानस) (प्रथम सोपान) (बालकाण्ड) Sri ramcharitmanas pratham sopan balkand chapter 30 to 33( श्रीरामचरितमानस प्रथम सोपान बालकाण्ड अध्याय 30 से 33 :-30. नारद का अभिमान और माया का प्रभाव 31. विश्वमोहिनी का स्वयंवर, शिवगणों को तथा भगवान् को शाप और नारद का मोहभंग 32. मनु-शतरूपा तप एवं वरदान 33. … Read more

Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 41 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 41 मेरुगिरिके स्कन्द-सरोवरके तटपर मुनियोंका सनत्कुमारजीसे मिलना, भगवान् नन्दीका वहाँ आना और दृष्टिपातमात्रसे पाशछेदन एवं ज्ञानयोगका उपदेश करके चला जाना, शिवपुराणकी महिमा तथा ग्रन्थका उपसंहार)

[वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड)] Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 41 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 41 मेरुगिरिके स्कन्द-सरोवरके तटपर मुनियोंका सनत्कुमारजीसे मिलना, भगवान् नन्दीका वहाँ आना और दृष्टिपातमात्रसे पाशछेदन एवं ज्ञानयोगका उपदेश करके चला जाना, शिवपुराणकी महिमा तथा ग्रन्थका उपसंहार) :-सूतजी कहते हैं-वहाँ मेरु पर्वतपर सागरके समान एक विशाल सरोवर है, जिसका नाम स्कन्द-सर है। … Read more

Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 40 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 40 वायुदेवका अन्तर्धान, ऋषियोंका सरस्वतीमें अवभृथ-स्नान और काशीमें दिव्य तेजका दर्शन करके ब्रह्माजीके पास जाना, ब्रह्माजीका उन्हें सिद्धि-प्राप्तिकी सूचना देकर मेरुके कुमारशिखरपर भेजना)

[वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड)] Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 40 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 40 वायुदेवका अन्तर्धान, ऋषियोंका सरस्वतीमें अवभृथ-स्नान और काशीमें दिव्य तेजका दर्शन करके ब्रह्माजीके पास जाना, ब्रह्माजीका उन्हें सिद्धि-प्राप्तिकी सूचना देकर मेरुके कुमारशिखरपर भेजना)   :-सूतजी कहते हैं-इस प्रकार क्रोधको जीतनेवाले उपमन्युसे यदुकुलनन्दन श्रीकृष्णने जो ज्ञानयोग प्राप्त किया था, उसका प्रणतभावसे … Read more

Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 39 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 39 ध्यान और उसकी महिमा, योगधर्म तथा शिवयोगी का महत्त्व  शिवभक्त या शिवके लिये प्राण देने अथवा शिवक्षेत्रमें मरणसे तत्काल मोक्ष-लाभका कथन)

[वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड)] Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 39 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 39 ध्यान और उसकी महिमा, योगधर्म तथा शिवयोगी का महत्त्व  शिवभक्त या शिवके लिये प्राण देने अथवा शिवक्षेत्रमें मरणसे तत्काल मोक्ष-लाभका कथन) :-उपमन्यु कहते हैं- श्रीकृष्ण ! श्रीकण्ठनाथका स्मरण करनेवाले लोगोंके सम्पूर्ण मनोरथोंकी सिद्धि तत्काल हो जाती है, ऐसा जानकर … Read more

Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 38 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 38 योगमार्गके विघ्न, सिद्धि-सूचक उपसर्ग तथा पृथ्वीसे लेकर बुद्धि- तत्त्वपर्यन्त ऐश्वर्यगुणोंका वर्णन, शिव-शिवाके ध्यानकी महिमा)

[वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड)] Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 38 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 38 योगमार्गके विघ्न, सिद्धि-सूचक उपसर्ग तथा पृथ्वीसे लेकर बुद्धि- तत्त्वपर्यन्त ऐश्वर्यगुणोंका वर्णन, शिव-शिवाके ध्यानकी महिमा) :-उपमन्यु कहते हैं- श्रीकृष्ण ! आलस्य, तीक्ष्ण व्याधियाँ, प्रमाद, स्थान-संशय, अनवस्थितचित्तता, अश्रद्धा, भ्रान्ति-दर्शन,दुःख, दौर्मनस्य और विषयलोलुपता – ये दस योगसाधनमें लगे हुए पुरुषोंके लिये योगमार्गके … Read more

Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 37 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 37 योगके अनेक भेद, उसके आठ और छः अंगोंका विवेचन – यम, नियम, आसन, प्राणायाम, दशविध प्राणोंको जीतनेकी महिमा, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधिका निरूपण)

[वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड)] Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 37 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 37 योगके अनेक भेद, उसके आठ और छः अंगोंका विवेचन – यम, नियम, आसन, प्राणायाम, दशविध प्राणोंको जीतनेकी महिमा, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधिका निरूपण)  :-श्रीकृष्णने कहा- भगवन् ! आपने ज्ञान, क्रिया और चर्याका संक्षिप्त सार उद्धृत करके मुझे सुनाया … Read more

Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 33 to 36 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 33 to 36 पारलौकिक फल देनेवाले कर्म – शिवलिंग-महाव्रतकी विधि और महिमाका वर्णन)

[वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड)] Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 33 to 36 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 33 to 36 पारलौकिक फल देनेवाले कर्म – शिवलिंग-महाव्रतकी विधि और महिमाका वर्णन) :-उपमन्यु कहते हैं-यदुनन्दन ! अब मैं केवल परलोकमें फल देनेवाले कर्मकी विधि बतलाऊँगा। तीनों लोकोंमें इसके समान दूसरा कोई कर्म नहीं है। यह विधि अतिशय … Read more

Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 32 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 32 ऐहिक फल देनेवाले कर्मों और उनकी विधिका वर्णन, शिव- पूजनकी विधि, शान्ति-पुष्टि आदि विविध काम्य कर्मोंमें विभिन्न हवनीय पदार्थोंके उपयोगका विधान)

[वायवीयसंहिता (उत्तरखण्ड)] Shiv puran vayu samhita uttar khand chapter 32 (शिव पुराण वायु संहिता अध्याय 32 ऐहिक फल देनेवाले कर्मों और उनकी विधिका वर्णन, शिव- पूजनकी विधि, शान्ति-पुष्टि आदि विविध काम्य कर्मोंमें विभिन्न हवनीय पदार्थोंके उपयोगका विधान) :-उपमन्यु कहते हैं- श्रीकृष्ण ! यह मैंने तुमसे इहलोक और परलोकमें सिद्धि प्रदान करनेवाला क्रम बताया है, जो … Read more

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