अष्टावक्र गीता अध्याय 11- :-Ashtavakra geeta chapter 11.
अष्टावक्र गीता अध्याय 11- :-Ashtavakra geeta chapter 11. (अध्याय11) अष्टावक्र उवाच – भावाभावविकारश्च स्वभावादिति निश्चयी। निर्विकारो गतक्लेशः सुखेनैवोपशाम्यति॥११- १॥ श्री अष्टावक्र कहते हैं – भाव(सृष्टि, स्थिति) और अभाव(प्रलय, मृत्यु) रूपी विकार स्वाभाविक हैं, ऐसा निश्चित रूप से जानने वाला विकाररहित, दुखरहित होकर सुख पूर्वक शांति को प्राप्त हो जाता है॥१॥ Sri Ashtavakra says – … Read more