[श्रीमदभागवत महापुराण]
Bhagwat puran ( सम्पूर्ण भागवत पुराण )
श्री गणेशाय नमः
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(विषय-सूची )
[प्रथम खंड]
2.भक्तिका दुःख दूर करनेके लिये नारदजीका उद्योग!!
5.धुन्धुकारीको प्रेतयोनिकी प्राप्ति और उससे उद्धार! 6.सप्ताहयज्ञकी विधि!
[प्रथम स्कन्ध:अध्याय]
1. श्रीसूतजीसे शौनकादि ऋषियोंका प्रश्न?
2.भगवत्कथा और भगवद्भक्तिका माहात्म्य
3.भगवान्के अवतारोंका वर्णन!
4.महर्षि व्यासका असन्तोष!
5.भगवान्के यश-कीर्तनकी महिमा और देवर्षि नारदजीका पूर्वचरित्र
6. नारदजीके पूर्वचरित्रका शेष भाग!
7.अश्वत्थामाद्वारा द्रौपदीके पुत्रोंका मारा जाना और अर्जुनके द्वारा अश्वत्थामाका मानमर्दन!
8.गर्भ में परीक्षित्की रक्षा, कुन्तीके द्वारा भगवान्की स्तुति और युधिष्ठिरका शोक!
9.युधिष्ठिर का भीष्मजीके पास जाना और भगवान् श्रीकृष्णकी स्तुति करते हुए भीष्मजीका प्राणत्याग करना!
11.द्वारकामें श्रीकृष्णका राजोचित स्वागत!
13.विदुरजीके उपदेशसे धृतराष्ट्र और गान्धारीका वनमें जाना !
14.अपशकुन देखकर महाराज युधिष्ठिरका शंका करना और अर्जुनका द्वारकासे लौटना!
15.कृष्णविरहव्यथित पाण्डवोंका परीक्षित्को राज्य देकर स्वर्ग सिधारना!
16.परीक्षित्की दिग्विजय तथा धर्म और पृथ्वीका संवाद!
17.महाराज परीक्षित्द्वारा कलियुगका दमन!
18.राजा परीक्षित्को शृंगी ऋषिका शाप! 19.परीक्षित्का अनशनव्रत और शुकदेवजीका आगमन!
[द्वितीय स्कन्ध: ]
1.ध्यान-विधि और भगवान्के विराट्स्वरूपका वर्णन!
2.भगवान्के स्थूल और सूक्ष्मरूपोंकी धारणा तथा क्रममुक्ति और सद्योमुक्तिका वर्णन!
3.कामनाओंके अनुसार विभिन्न देवताओंकी उपासना तथा भगवद्भक्तिके प्राधान्यका निरूपण!
4.राजाका सृष्टिविषयक प्रश्न और शुकदेवजीका कथारम्भ!
6.षष्ठोऽध्यायः विराट्स्वरूपकी विभूतियोंका वर्णन
7.सप्तमोऽध्यायः भगवान्के लीलावतारोंकी कथा
8.अथाष्टमोऽध्यायः राजा परीक्षित्के विविध प्रश्न!
9.नवमोऽध्यायः ब्रह्माजीका भगवद्धामदर्शन और भगवान्के द्वारा उन्हें चतुःश्लोकी भागवतका उपदेश)
10.दशमोऽध्यायः भागवतके दस लक्षण
[तृतीय स्कंध: अध्याय]
1.प्रथमोऽध्यायः उद्धव और विदुरकी भेंट
2.द्वितीयोऽध्यायः उद्धवजीद्वारा भगवान्की बाललीलाओंका वर्णन
3.तृतीयोऽध्यायः भगवान्के अन्य लीलाचरित्रोंका वर्णन
4.चतुर्थोऽध्यायः उद्धवजीसे विदा होकर विदुरजीका मैत्रेय ऋषिके पास जाना
5.पञ्चमोऽध्यायः विदुरजीका प्रश्न और मैत्रेयजीका सृष्टिक्रमवर्णन
6.षष्ठोऽध्यायः विराट् शरीरकी उत्पत्ति
7.सप्तमोऽध्यायः विदुरजीके प्रश्न
8.अथाष्टमोऽध्यायः ब्रह्माजीकी उत्पत्ति)
9.नवमोऽध्यायः ब्रह्माजीद्वारा भगवान्की स्तुति
10.दशमोऽध्यायः दस प्रकारकी सृष्टिका वर्णन
11.अथैकादशोऽध्यायः मन्वन्तरादि कालविभागका वर्णन
12.द्वादशोऽध्यायः सृष्टिका विस्तार
13. त्रयोदशोऽध्यायः वाराह-अवतारकी कथा
14.चतुर्दशोऽध्यायः दितिका गर्भधारण
15.पञ्चदशोऽध्यायः जय-विजयको सनकादिका शाप
16.षोडशोऽध्यायः जय-विजयका वैकुण्ठसे पतन
17.सप्तदशोऽध्यायः हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्षका जन्म तथा हिरण्याक्षकी दिग्विजय
18.अथाष्टादशोऽध्यायः हिरण्याक्षके साथ वराहभगवान्का युद्ध
19.अथैकोनविंशोऽध्यायः हिरण्याक्षवध
20.विंशोऽध्यायः ब्रह्माजीकी रची हुई अनेक प्रकारकी सृष्टिका वर्णन
21.अथैकविंशोऽध्यायः कर्दमजीकी तपस्या और भगवान्का वरदान
22.द्वाविंशोऽध्यायः देवहूतिके साथ कर्दम प्रजापतिका विवाह
23.त्रयोविंशोऽध्यायः कर्दम और देवहूतिका विहार
24.चतुर्विंशोऽध्यायः श्रीकपिलदेवजीका जन्म
25.पञ्चविंशोऽध्यायः देवहूतिका प्रश्न तथा भगवान् कपिलद्वारा भक्तियोगकी महिमाका वर्णन
26.षड्विंशोऽध्यायः महदादि भिन्न-भिन्न तत्त्वोंकी उत्पत्तिका वर्णन
27.सप्तविंशोऽध्यायः प्रकृति-पुरुषके विवेकसे मोक्ष-प्राप्तिका वर्णन
28.अथाष्टाविंशोऽध्यायः अष्टांगयोगकी विधि
29.अथैकोनत्रिंशोऽध्यायः भक्तिका मर्म और कालकी महिमा
30.त्रिंशोऽध्यायः देह-गेहमें आसक्त पुरुषोंकी अधोगतिका वर्णन
31.अथैकत्रिंशोऽध्यायः मनुष्ययोनिको प्राप्त हुए जीवकी गतिका वर्णन
32.द्वात्रिंशोऽध्यायः धूममार्ग और अर्चिरादि मार्गसे जानेवालोंकी गतिका और भक्तियोगकी उत्कृष्टताका वर्णन
33.अथ त्रयस्त्रिंशोऽध्यायः देवहूतिको तत्त्वज्ञान एवं मोक्षपदकी प्राप्ति
[चतुर्थ स्कंध:अध्याय]
1.प्रथमोऽध्यायः स्वायम्भुव-मनुकी कन्याओंके वंशका वर्णन
2.द्वितीयोऽध्यायः भगवान् शिव और दक्ष प्रजापतिका मनोमालिन्य
3.तृतीयोऽध्यायः सतीका पिताके यहाँ यज्ञोत्सवमें जानेके लिये आग्रह करना
4.चतुर्थोऽध्यायः सतीका अग्निप्रवेश
5.पञ्चमोऽध्यायः वीरभद्रकृत दक्षयज्ञविध्वंस और दक्षवध
6.षष्ठोऽध्यायः ब्रह्मादि देवताओंका कैलास जाकर श्रीमहादेवजीको मनाना
7.सप्तमोऽध्यायःदक्षयज्ञकी पूर्ति
8.अथाष्टमोऽध्यायःध्रुवका वन-गमन
9.नवमोऽध्यायः ध्रुवका वर पाकर घर लौटना
10.दशमोऽध्यायः उत्तमका मारा जाना, ध्रुवका यक्षोंके साथ युद्ध
11.अथैकादशोऽध्यायः स्वायम्भुव-मनुका ध्रुवजीको युद्ध बंद करनेके लिये समझाना
12.द्वादशोऽध्यायः ध्रुवजीको कुबेरका वरदान और विष्णुलोककी प्राप्ति
13.त्रयोदशोऽध्यायः ध्रुववंशका वर्णन, राजा अंगका चरित्र
14.चतुर्दशोऽध्यायः राजा वेनकी कथा
15.पञ्चदशोऽध्यायः महाराज पृथुका आविर्भाव और राज्याभिषेक
16.षोडशोऽध्यायः वन्दीजनद्वारा महाराज पृथुकी स्तुति
17.सप्तदशोऽध्यायः महाराज पृथुका पृथ्वीपर कुपित होना और पृथ्वीके द्वारा उनकी स्तुति करना
18.अथाष्टादशोऽध्यायः पृथ्वी-दोहन
19.अथैकोनविंशोऽध्यायः महाराज पृथुके सौ अश्वमेध यज्ञ
20.विंशोऽध्यायः महाराज पृथुकी यज्ञशालामें श्रीविष्णुभगवान्का प्रादुर्भाव
21.अथैकविंशोऽध्यायः महाराज पृथुका अपनी प्रजाको उपदेश
22.द्वाविंशोऽध्यायः महाराज पृथुको सनकादिका उपदेश
23.त्रयोविंशोऽध्यायः राजा पृथुकी तपस्या और परलोकगमन
24.चतुर्विंशोऽध्यायः पृथुकी वंशपरम्परा और प्रचेताओंको भगवान् रुद्रका उपदेश
25.पञ्चविंशोऽध्यायः पुरंजनोपाख्यानका प्रारम्भ
26.षड्विंशोऽध्यायः राजा पुरंजनका शिकार खेलने वनमें जाना और रानीका कुपित होना
27.सप्तविंशोऽध्यायः पुरंजनपुरीपर चण्डवेगकी चढ़ाई तथा कालकन्याका चरित्र
28.अथाष्टाविंशोऽध्यायः पुरंजनको स्त्रीयोनिकी प्राप्ति और अविज्ञातके उपदेशसे उसका मुक्त होना
29.अथैकोनत्रिंशोऽध्यायः पुरंजनोपाख्यानका तात्पर्य
30. प्रचेताओंको श्रीविष्णुभगवान्का वरदान
31.अथैकत्रिंशोऽध्यायः प्रचेताओंको श्रीनारदजीका उपदेश और उनका परमपद-लाभ
[पञ्चमः स्कन्धः]
1.प्रथमोऽध्यायः प्रियव्रत-चरित्र
2.द्वितीयोऽध्यायःआग्नीध्र-चरित्र
3. तृतीयोऽध्यायः राजा नाभिका चरित्र
4. चतुर्थोऽध्यायः ऋषभदेवजीका राज्यशासन
5. पञ्चमोऽध्यायः ऋषभजीका अपने पुत्रोंको उपदेश देना और स्वयं अवधूतवृत्ति ग्रहण करना
6.षष्ठोऽध्यायः ऋषभदेवजीका देहत्याग
8.अथाष्टमोऽध्यायः भरतजीका मृगके मोहमें फँसकर मृगयोनिमें जन्म लेना
9.नवमोऽध्यायः भरतजीका ब्राह्मणकुलमें जन्म
10.दशमोऽध्यायः जडभरत और राजा रहूगणकी भेंट
11.अथैकादशोऽध्यायः राजा रहूगणको भरतजीका उपदेश
12.द्वादशोऽध्यायःरहूगणका प्रश्न और भरतजीका समाधान
13.त्रयोदशोऽध्यायःभवाटवीका वर्णन और रहूगणका संशयनाश
14.चतुर्दशोऽध्यायः भवाटवीका स्पष्टीकरण
15.पञ्चदशोऽध्यायः भरतके वंशका वर्णन
16.षोडशोऽध्यायः भुवनकोशका वर्णन
17.गंगाजीका विवरण और भगवान् शंकरकृत संकर्षणदेवकी स्तुति
18.अध्याय अठारह भिन्न-भिन्न वर्षोंका वर्णन
19.अध्याय उन्नीस किम्पुरुष और भारतवर्षका वर्णन
20.अध्याय बीस अन्य छः द्वीपों तथा लोकालोकपर्वतका वर्णन
21.अध्याय इक्कीस सूर्यके रथ और उसकी गतिका वर्णन
22.अध्याय 22 भिन्न-भिन्न ग्रहोंकी स्थिति और गतिका वर्णन
23.अध्याय 23 शिशुमारचक्रका वर्णन
24.अध्याय 24 राहु आदिकी स्थिति, अतलादि नीचेके लोकोंका वर्णन
25.अध्याय श्रीसङ्कर्षणदेवका विवरण और स्तुति
26.अध्याय नरकोंकी विभिन्न गतियोंका वर्णन
[षष्ठः स्कन्धः]
1. प्रथमोऽध्यायः अजामिलोपाख्यानका प्रारम्भ
2. द्वितीयोऽध्यायःविष्णुदूतोंद्वारा भागवतधर्म-निरूपण और अजामिलका परमधामगमन)
3.तृतीयोऽध्यायः यम और यमदूतोंका संवाद
4.चतुर्थोऽध्यायः दक्षके द्वारा भगवान्की स्तुति और भगवान्का प्रादुर्भाव
5.पञ्चमोऽध्यायः श्रीनारदजीके उपदेशसे दक्षपुत्रोंकी विरक्ति तथा नारदजीको दक्षका शाप
6.षष्ठोऽध्यायः दक्षप्रजापतिकी साठ कन्याओंके वंशका विवरण
7.सप्तमोऽध्यायः बृहस्पतिजीके द्वारा देवताओंका त्याग और विश्वरूपका देवगुरुके रूपमें वरण
8.अथाष्टमोऽध्यायः नारायणकवचका उपदेश
10.दशमोऽध्यायःदेवताओंद्वारा दधीचि ऋषिकी अस्थियोंसे वज्र-निर्माण और वृत्रासुरकी सेनापर आक्रमण
11.अध्याय ग्यारह वृत्रासुरकी वीरवाणी और भगवत्प्राप्ति
13.अध्याय 13 इन्द्रपर ब्रह्महत्याका आक्रमण
14.अध्याय 14 वृत्रासुरका पूर्वचरित्र
15.अध्याय 15 चित्रकेतुको अंगिरा और नारदजीका उपदेश
16.अध्याय 16 चित्रकेतुका वैराग्य तथा संकर्षणदेवके दर्शन
17.अध्याय 17 चित्रकेतुको पार्वतीजीका शाप
18.अध्याय 18 अदिति और दितिकी सन्तानोंकी तथा मरुद्गणोंकी उत्पत्तिका वर्णन
19.अध्याय 19 पुंसवन-व्रतकी विधि
[सप्तम: स्कन्ध:]
1.प्रथमोऽध्यायः नारद-युधिष्ठिर-संवाद और जय-विजयकी कथा
2.द्वितीयोऽध्यायः हिरण्याक्षका वध होनेपर हिरण्यकशिपुका अपनी माता और कुटुम्बियोंको समझाना
3.तृतीयोऽध्यायः हिरण्यकशिपुकी तपस्या और वरप्राप्ति
4.चतुर्थोऽध्यायः हिरण्यकशिपुके अत्याचार और प्रह्लादके गुणोंका वर्णन
5.पञ्चमोऽध्यायः हिरण्यकशिपुके द्वारा प्रह्लादजीके वधका प्रयत्न
6.षष्ठौऽध्यायः प्रह्लादजीका असुर-बालकोंको उपदेश
7.सप्तमोऽध्यायः प्रह्लादजीद्वारा माताके गर्भमें प्राप्त हुए नारदजीके उपदेशका वर्णन
8.अध्याय 8 नृसिंहभगवान्का प्रादुर्भाव, हिरण्यकशिपुका वध एवं ब्रह्मादि देवताओंद्वारा भगवान्की स्तुति
9.अध्याय 9 प्रह्लादजीके द्वारा नृसिंहभगवान्की स्तुति
10.अध्याय 10 प्रह्लादजीके राज्याभिषेक और त्रिपुरदहनकी कथा
11.अध्याय 11मानवधर्म, वर्णधर्म और स्त्रीधर्मका
12.अध्याय 12 ब्रह्मचर्य और वानप्रस्थ आश्रमोंके नियम
13.अध्याय 13 यतिधर्मका निरूपण और अवधूत-प्रह्लाद-संवाद
14.अध्याय 14 गृहस्थसम्बन्धी सदाचार
15.अध्याय 15 गृहस्थोंके लिये मोक्षधर्मका वर्णन
[अष्टम: स्कन्ध:]
1.अध्याय 1 मन्वन्तरोंका वर्णन!
2.अध्याय 2 ग्राहके द्वारा गजेन्द्रका पकड़ा जाना
3.अध्याय 3 गजेन्द्रके द्वारा भगवान्की स्तुति और उसका संकटसे मुक्त होना
4.अध्याय 4 गज और ग्राहका पूर्वचरित्र तथा उनका उद्धार
5.अध्याय 5 देवताओंका ब्रह्माजीके पास जाना और ब्रह्माकृत भगवान्की स्तुति
6.अध्याय 6 देवताओं और दैत्योंका मिलकर समुद्रमन्थनके लिये उद्योग करना
7.अध्याय 7 समुद्रमन्थनका आरम्भ और भगवान् शंकरका विषपान)
8.अध्याय 8 समुद्रसे अमृतका प्रकट होना और भगवान्का मोहिनी-अवतार ग्रहण करना
9.अध्याय 9 मोहिनीरूपसे भगवान्के द्वारा अमृत बाँटा जाना
11.अध्याय: ग्यारह देवासुर-संग्रामकी समाप्ति
12.अध्याय: बारह मोहिनीरूपको देखकर महादेवजीका मोहित होना
13.अध्याय:तेरह आगामी सात मन्वन्तरोंका वर्णन
14.अध्याय: चौदह मनु आदिके पृथक् पृथक् कर्मोंका निरूपण
15.अध्याय:पंद्रह राजा बलिकी स्वर्गपर विजय
16.अध्याय सोलह कश्यपजीके द्वारा अदितिको पयोव्रतका उपदेश
17.अध्याय सत्रह भगवान्का प्रकट होकर अदितिको वर देना
18.अध्याय:अठारह वामनभगवान्का प्रकट होकर राजा बलिकी यज्ञशालामें पधारना
20.अध्याय बीस भगवान् वामनजीका विरारूप होकर दो ही पगसे पृथ्वी और स्वर्गको नाप लेना
21.अध्याय इक्कीस बलिका बाँधा जाना
22.अध्याय बाइश बलिके द्वारा भगवान्की स्तुति और भगवान्का उसपर प्रसन्न होना
23.अध्याय तेइस बलिका बन्धनसे छूटकर सुतललोकको जाना
24.अध्याय चौबीस भगवान्के मत्स्यावतारकी कथा
[श्रीमद्भागवत महापुराण भाग 2 स्कन्ध 9 से 12]
*ध्यान दे: – नीचे श्रीमद्भागवत महापुराण किताब अपलोड किया गया हैं जो कि हिन्दी और संस्कृत में हैं आप अपने सुविधानुसार जूम करके पढ़ सकते हैं धन्यबाद🙏
7[8सप्तमोअथाष्टमोऽध्याअध्याय 13 यतिधर्मका निरूपण और अवधूत-प्रह्लाद-संवाद)यः भरतजीका मृगके मोहमें फँसकर मृगयोनिमें जन्म लेना)ऽध्यायःभरत-चरित्र)तृतीय स्कtritन्ध:अध्याय]