चाणक्य नीति ग्यारहवां अध्याय:-Chanakya Niti chapter 11.

चाणक्य नीति ग्यारहवां अध्याय:-Chanakya Niti chapter 11. ( ग्यारहवां अध्याय) दातृत्वं प्रियवक्तृत्वं धीरत्वमुचितज्ञता । अभ्यासेन न लभ्यन्ते चत्वारः सहजा गुणाः ।।१।। अर्थ– उदारता, वचनों में मधुरता, साहस, आचरण में विवेक ये बाते कोई पा नहीं सकता ये मूल में होनी चाहिए. Meaning– Generosity, pleasing address, courage and propriety of conduct are not acquired, but are … Read more

चाणक्य नीति दसवां अध्याय:-Chanakya Niti chapter 10.

चाणक्य नीति दसवां अध्याय:-Chanakya Niti chapter 10. (दसवां अध्याय) अथ वृध्द चाणक्यस्योत्तरार्ध्दम् । धनहीनो न हीनश्च धनिकः स सुनिश्चयः । विद्यारत्नेन हीनो यः स हीनः सर्ववस्तुषु ।।१।। अर्थ– जिसके पास धन नहीं है वो गरीब नहीं है, वह तो असल में रहीस है, यदि उसके पास विद्या है. लेकिन जिसके पास विद्या नहीं है वह … Read more

चाणक्य नीति नवां अध्याय – Chanakya Niti chapter 9.

चाणक्य नीति नवां अध्याय – Chanakya Niti chapter 9. (आठवां अध्याय) मुक्तिमिच्छासि चेत्तात ! विषयान् विषवत्त्यज । क्षमाऽऽर्जवं दया शौचं सत्यं पीयूषवत्पिब ।।१।। अर्थ– तात, यदि तुम जन्म मरण के चक्र से मुक्त होना चाहते हो तो जिन विषयो के पीछे तुम इन्द्रियों की संतुष्टि के लिए भागते फिरते हो उन्हें ऐसे त्याग दो जैसे … Read more

चाणक्य नीति आठवां अध्याय – Chanakya Niti chapter 8.

चाणक्य नीति आठवां अध्याय – Chanakya Niti chapter 8. (आठवां अध्याय) अधमा धनमिइच्छन्ति धनं मानं च मध्यमाः । उत्तमा मानमिच्छन्ति मानो हि महतां धनम् ।।१।। अर्थ– नीच वर्ग के लोग दौलत चाहते है, मध्यम वर्ग के दौलत और इज्जत, लेकिन उच्च वर्ग के लोग सम्मान चाहते है क्यों की सम्मान ही उच्च लोगो की असली … Read more

चाणक्य नीति सातवां अध्याय – Chanakya Niti chapter 7

चाणक्य नीति सातवां अध्याय – Chanakya Niti chapter 7. (सातवां अध्याय) अर्थनाशं मनस्तापं गृहिणीचरितानि च । नीचवाक्यं चाऽपमानं मतिमान्न प्रकाशयेत् ।।१।। अर्थ– एक बुद्धिमान व्यक्ति को निम्नलिखित बातें किसी को नहीं बतानी चाहिए .. १. की उसकी दौलत खो चुकी है. २. उसे क्रोध आ गया है. ३. उसकी पत्नी ने जो गलत व्यवहार किया. … Read more

चाणक्य नीति छठवां अध्याय :-chanakya niti chapter 6.

चाणक्य नीति छठवां अध्याय :-chanakya niti chapter 6. (छठवां अध्याय) श्रुत्वा धर्मं विजानाति श्रुत्वा त्यजति दुर्मतिम् । श्रुत्वा ज्ञानमवाप्नोति श्रुत्वा मोक्षमवाप्नुयात् ।।१।। अर्थ– श्रवण करने से धर्मं का ज्ञान होता है, द्वेष दूर होता है, ज्ञान की प्राप्ति होती है और माया की आसक्ति से मुक्ति होती है Meaning– By means of hearing one understands … Read more

चाणक्य नीति पांचवां अध्याय :-chanakya niti chapter 5.

चाणक्य नीति पांचवां अध्याय :-chanakya niti chapter 5. (पांचवां अध्याय) गुरुरग्निर्द्वि जातीनां वर्णानां ब्राह्मणो गुरुः । पतिरेव गुरुः स्त्रीणां सर्वस्याभ्यागतो गुरुः ।।१।। अर्थ–  ब्राह्मणों को अग्नि की पूजा करनी चाहिए। दुसरे लोगों को ब्राह्मण की पूजा करनी चाहिए। पत्नी को पति की पूजा करनी चाहिए तथा दोपहर के भोजन के लिए जो अतिथि आये उसकी … Read more

चाणक्य नीति चौथा अध्याय :-chanakya niti chapter 4.

चाणक्य नीति चौथा अध्याय :-chanakya niti chapter 4. (चौथा अध्याय) आयुः कर्म च वित्तञ्च विद्या निधनमेव च । पञ्चैतानि हि सृज्यन्ते गर्भस्थस्यैव देहिनः ।।१।। अर्थ – निम्नलिखित बातें माता के गर्भ में ही निश्चित हो जाती है…. १. व्यक्ति कितने साल जियेगा २. वह किस प्रकार का काम करेगा ३. उसके पास कितनी संपत्ति होगी ४. … Read more

चाणक्य नीति तीसरा अध्याय :-chanakya niti chapter 3.

चाणक्य नीति तीसरा अध्याय :-chanakya niti chapter 3. (तीसरा अध्याय) कस्य दोषः कुलेनास्ति व्याधिना के न पीडितः । व्यसनं के न संप्राप्तं कस्य सौख्यं निरन्तरम् ।।१।। अर्थ– इस दुनिया में ऐसा किसका घर है, जिस पर कोई कलंक नहीं, वह कौन है। जो रोग और दुख से मुक्त है। सदा सुख किसको रहता है। Meaning– … Read more

चाणक्य नीति दूसरा अध्याय 2:-chanakya niti chapter 2.

चाणक्य नीति दूसरा अध्याय 2:-chanakya niti chapter 2. (दुसरा अध्याय) अनृतं साहसं माया मूर्खत्वमतिलोभिता । अशौचत्वं निर्दयत्वं स्त्रीणांदोषास्वभावजाः ।।१।। अर्थ– झूठ बोलना, कठोरता, छल करना, बेवकूफी करना, लालच, अपवित्रता और निर्दयता ये औरतो के कुछ नैसर्गिक दुर्गुण है। Meaning– Untruthfulness, rashness, guile, stupidity, avarice, uncleanliness and cruelty are a woman’s seven natural flaws. भोज्यं भोजनशक्तिश्च … Read more

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