sri ramcharitmanas ayodhyakand in hindi meaning:-श्री राम चरितमानस अयोध्याकांड हिन्दी अर्थ सहित.

Sri ram charitmanas in hindi

sri ramcharitmanas ayodhyakand in hindi meaning.श्री राम चरितमानस अयोध्याकांड हिन्दी अर्थ सहित. ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ (श्रीजानकीवल्लभो विजयते) (श्रीरामचरितमानस) (द्वितीय सोपान) (अयोध्या कांड) *sri ramcharitmanas ayodhyakand in hindi meaning* 1.अयोध्याकाण्ड मंगलाचरण 2. राम राज्याभिषेक की तैयारी, देवताओं की व्याकुलता तथा सरस्वती से उनकी प्रार्थना 3. सरस्वती का मन्थरा की बुद्धि फेरना, कैकेयी-मन्थरा संवाद, प्रजा में … Read more

sri ramcharitmanas balkand in hindi meaning(श्री राम चरितमानस बालकाण्ड हिन्दी अर्थ सहित)

Sri ram charitmanas in hindi

श्री राम चरितमानस बालकांड    sri ramcharitmanas balkand in hindi meaning:- श्री राम चरितमानस बालकाण्ड हिन्दी अर्थ सहित:  *sri ramcharitmanas balkand in hindi meaning* (श्री गणेशाय नमः) (श्रीजानकीवल्लभो विजयते) (श्रीरामचरितमानस) (बालकाण्ड) ध्यान दे: -अध्याय 1 से 14 तक किसी को भी टच करेंगे तो सभी 1 से 14 तक अध्याय पढ़ने को मिलेगा धन्यबाद! *sri … Read more

Srimadvalmiki ramayana mahatmya chapter 2(श्रीमद्वाल्मीकीय रामायणमाहात्म्य दूसरा अध्याय नारद-सनत्कुमार-संवाद, सुदास या सोमदत्त नामक ब्राह्मणको राक्षसत्वकी प्राप्ति तथा रामायण-कथा-श्रवणद्वारा उससे उद्धार)

Srimadvalmiki ramayana mahatmya chapter 2(श्रीमद्वाल्मीकीय रामायणमाहात्म्य दूसरा अध्याय नारद-सनत्कुमार-संवाद, सुदास या सोमदत्त नामक ब्राह्मणको राक्षसत्वकी प्राप्ति तथा रामायण-कथा-श्रवणद्वारा उससे उद्धार) (दूसरा अध्याय) नारद-सनत्कुमार-संवाद, सुदास या सोमदत्त नामक ब्राह्मणको राक्षसत्वकी प्राप्ति तथा रामायण-कथा-श्रवणद्वारा उससे उद्धार ऋषियोंने पूछा- महामुने ! देवर्षि नारदमुनिने सनत्कुमारजीसे रामायणसम्बन्धी सम्पूर्ण धर्मोंका किस प्रकार वर्णन किया था? उन दोनों ब्रह्मवादी महात्माओंका किस क्षेत्रमें … Read more

Srimadvalmiki ramayana mahatmya chapter 1(श्रीमद्वाल्मीकीय रामायणमाहात्म्य पहला अध्याय कलियुगकी स्थिति, कलिकालके मनुष्योंके उद्धारका उपाय, रामायणपाठ, उसकी महिमा, उसके श्रवणके लिये उत्तम काल आदिका वर्णन)

Srimadvalmiki ramayana mahatmya chapter 1(श्रीमद्वाल्मीकीय रामायणमाहात्म्य पहला अध्याय कलियुगकी स्थिति, कलिकालके मनुष्योंके उद्धारका उपाय, रामायणपाठ, उसकी महिमा, उसके श्रवणके लिये उत्तम काल आदिका वर्णन) ।। श्रीसीतारामचन्द्राभ्यां नमः ॥ (श्रीमद्वाल्मीकीय रामायणमाहात्म्य) (पहला अध्याय) कलियुगकी स्थिति, कलिकालके मनुष्योंके उद्धारका उपाय, रामायणपाठ, उसकी महिमा, उसके श्रवणके लिये उत्तम काल आदिका वर्णन श्रीरामचन्द्रजी समस्त संसारको शरण देनेवाले हैं। श्रीरामके … Read more

चाणक्य नीति सत्रहवां अध्याय:Chanakya Niti chapter 17.

चाणक्य नीति सत्रहवां अध्याय:Chanakya Niti chapter 17. (सत्रहवां अध्याय) पुस्तकं प्रत्याधीतं नाधीतं गुरुसन्निधौ । सभामध्ये न शोभन्ते जारगर्भा इव स्त्रियः ।। अर्थ– वह विद्वान जिसने असंख्य किताबो का अध्ययन बिना सदगुरु के आशीर्वाद से कर लिया वह विद्वानों की सभा में एक सच्चे विद्वान के रूप में नहीं चमकता है. उसी प्रकार जिस प्रकार एक … Read more

चाणक्य नीति सोलहवां अध्याय:Chanakya Niti chapter 16.

चाणक्य नीति सोलहवां अध्याय:Chanakya Niti chapter 16. (अध्याय सोलहवां) जल्पन्ति सार्धमन्येन पश्यन्त्यन्यं सविभ्रमाः । हृदये चिन्तयन्तयन्यं न स्त्रीणामेकतो रतिः ।। अर्थ– स्त्री (यहाँ लम्पट स्त्री या पुरुष अभिप्रेत है) का ह्रदय पूर्ण नहीं है वह बटा हुआ है. जब वह एक आदमी से बात करती है तो दुसरे की ओर वासना से देखती है और … Read more

चाणक्य नीति पंद्रहवां अध्याय:Chanakya Niti chapter 15.

चाणक्य नीति पंद्रहवां अध्याय:Chanakya Niti chapter 15. (अध्याय पंद्रहवां) यस्य चितं द्रवीभूतं कृपया सर्वजन्तुषु । तस्य ज्ञानेन मोक्षेण किं जटाभस्मलेपनैः ।।१।। अर्थ– वह व्यक्ति जिसका ह्रदय हर प्राणी मात्र के प्रति करुणा से पिघलता है. उसे जरुरत क्या है किसी ज्ञान की, मुक्ति की, सर के ऊपर जटाजूट रखने की और अपने शारीर पर राख … Read more

चाणक्य नीति चौदहवां अध्याय:Chanakya Niti chapter 14.

चाणक्य नीति चौदहवां अध्याय:Chanakya Niti chapter 14. (अध्याय चौदहवां) आत्मापराधवृक्षस्य फलान्येतानि देहिनाम् । दारिद्र्य-रोग-दुःखानि बन्धनव्यसनानि च ।।१।। अर्थ– गरीबी, दुःख और एक बंदी का जीवन यह सब व्यक्ति के किए हुए पापो का ही फल है. Meaning– Poverty, disease, sorrow, imprisonment and other evils are the fruits borne by the tree of one’s own sins. … Read more

चाणक्य नीति तेरहवां अध्याय:-Chanakya Niti chapter 13.

चाणक्य नीति तेरहवां अध्याय:-Chanakya Niti chapter 13. (अध्याय तेरहवां ) मुहूर्त्तं माप जीवेच्च नरः शुक्लेण कर्मणा । न कल्पमापि कष्टेन लोकद्वयविरोधिना ।।१।। अर्थ– यदि आदमी एक पल के लिए भी जिए तो भी उस पल को वह शुभ कर्म करने में खर्च करे. एक कल्प तक जी कर कोई लाभ नहीं. दोनों लोक इस लोक … Read more

चाणक्य नीति बारहवां अध्याय:-Chanakya Niti chapter 12.

चाणक्य नीति बारहवां अध्याय:-Chanakya Niti chapter 12. (अध्याय  बारहवां) सानन्दं सदनं सुतास्तु सधियः कांता प्रियालापिनी इच्छापूर्तिधनं स्वयोषितिरतिः स्वाज्ञापराः सेवकाः । आतिथ्यं शिवपूजनं प्रतिदिनं मिष्टान्नपानं गृहे साधोः सुड्गमुपासते च सततं धन्यो गृहस्थाश्रमः ।।१।। अर्थ– वह गृहस्थ भगवान् की कृपा को पा चुका है जिसके घर में आनंददायी वातावरण है. जिसके बच्चे गुणी है. जिसकी पत्नी मधुर … Read more

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