श्री गणेशाय नमः
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“सत्य सनातन वैदिक धर्म ग्रंथ किसी एक व्यक्ति द्वारा प्रवर्तित ग्रंथ नहीं है। इसका एक आधार वेदादि धर्मग्रंथ हैं, जिनकी संख्या बड़ी है। ये मुख्यतौर पर तीन भागों में विभक्त हैं-
(1.) प्रथम श्रेणी के ग्रन्थ श्रुति कहलाते हैं। इसमें वेद की चार संहिताओं, ब्राह्मणों, अरण्यकों, उपनिषदों, वेदाङ्ग, सूत्र आदि ग्रन्थों की गणना की जाती है।
(2.)द्वितीय श्रेणी के ग्रन्थ स्मृति कहलाते हैं। ये ऋषि प्रणीत माने जाते हैं। इस श्रेणी में 18 स्मृतियाँ, 18 पुराण तथा रामायण व महाभारत ये दो इतिहास भी माने जाते हैं। आगम ग्रन्थ भी स्मृति-श्रेणी में माने जाते हैं।
(3.)ग्रंथों का तिसरा प्रकार है संत साहीत्य जो की बहुत प्रसिद्ध तो होते है परंतु यह साहीत्य ईश्वर द्वारा या किसी ऋषी-महर्षी द्वारा रचित ना होकर संत द्वारा लिखे गये है जिनकी संख्या अनगिनत है जिसमें मुख्य है!… श्रीरामचरीतमानस,ज्ञानेश्वरी,श्रीमद दासबोध,सत्यार्थ प्रकाश आदी आते है।
(Mhakavya)
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